रक्षाबंधन का त्यौहार कब है, रक्षाबंधन मनाने के पीछे क्या कहानी है, बदलते परिवेश में रक्षाबंधन का महत्व, शुभ मुहूर्त, क्या है संदेश, (Rakhi ka tyohar kab aur kyon manaya jata hai, kya hai rakhi ka muhurt, sandesh aur mahatva)
दोस्तों सावन का महीना आरंभ हो गया हैं। और सावन माह आते ही सावन सोमवार भी शुरू हो जाते हैं। और शुरू हो जाता हैं त्यौहारों का खूबसूरत सिलसिला। उन्हीं त्यौहारों में से एक बेहद ख़ास और सबसे श्रेष्ठ त्यौहार है रक्षाबंधन का त्यौहार।
Table of Contents :1.11. निष्कर्ष (Conclusion)
रक्षाबंधन क्या है? | रक्षाबंधन का अर्थ | Rakshabandhan ka arth
रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्यौहार है, जो भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और एक-दूसरे की सुरक्षा की भावना का प्रतीक है। इसे राखी (Rakhi) भी कहा जाता है। यह त्यौहार मुख्यतः हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है, हालांकि भारत की विविधता में यह अब सभी धर्मों और समुदायों द्वारा अपनाया जा चुका है।
भारतीय धर्म और संस्कृति के अनुसार रक्षा बंधन का त्यौहार सावन माह की पूर्णिमा (फूल मून) के दिन मनाया जाता है। जो आमतौर पर अगस्त माह में पड़ता है। यह दिन भाई बहन के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन बहन अपने भाई की हथेली पर रंग बिरंगी राखी बांधती हैं और अपने प्यारे भाईयो की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और अपने जीवन में ख़ूब आगे बढ़ने, उन्नति करने की ईश्वर से सच्चे दिल से प्रार्थना करती हैं।
भाई अपनी बहन को कुछ उपहार भेंट करते हुए ज़िंदगी भर अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। बहन अपनी ज़िंदगी में खुश रहें ये आशीर्वाद देता है। भाई बहन का प्यार और रिश्ता सच में बहुत ही प्यारा और अनमोल होता हैं। तो आइए जानते हैं हम इस अनमोल और सच्चे रिश्तों से जुड़े पावन पर्व रक्षाबंधन के बारे में कुछ रोचक तथ्य।
रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता हैं?
रक्षाबंधन सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। कुछ विशेष समय, मुहूर्त एवं तिथि को देखकर घर में पूजा पाठ आरंभ किए जाते हैं। घर के सभी सदस्यों को एकत्र कर के पूजन एवं राखी का त्यौहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन नए कपड़े पहनते हैं और घर में पूजा का आयोजन किया जाता है। बहनें पूजा की थाली सजाती हैं, जिसमें राखी, चावल, रोली, मिठाई और दीपक होता है। भाई के माथे पर तिलक लगाकर, उसकी आरती उतारकर, और फिर राखी बांधकर बहनें अपने भाई के लंबे और सुखद जीवन की कामना करती हैं। भाई इस अवसर पर अपनी बहनों को उपहार, पैसे या अन्य वस्त्र भेंट करते हैं, जो उनकी बहनों के प्रति प्रेम और सम्मान का प्रतीक होता है।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 2024 (Rakshabandhan ka shubh muhurt 2024)
वर्ष 2024 के अनुसार इस बार रक्षाबंधन दोपहर लगभग 1.32 pm से लेकर रात्रि 9.08 pm तक है। इस बार राखी के लिए दो शुभ मुहूर्त रहने वाले हैं। पहला शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 46 मिनट से शाम 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगा जो कि दूसरे मुहूर्त के साथ रात्रि 9 बजे तक चलता रहेगा। इस तरह कह सकते हैं कि इस साल रक्षाबंधन का मुहूर्त 7.30 घंटे से अधिक का रहेगा। सामान्य तौर पर कहें तो 19 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 46 मिनट के बाद आप राखी का त्यौहार मना सकते हैं।
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं? | रक्षाबंधन का इतिहास क्या है?
यदि हम जानना चाहें कि रक्षाबंधन की शुरूआत कैसे हुई थी? तो भविष्य पुराण में यह वर्णन मिलता है कि देवताओं और दानवों (असुरों) में जब युद्ध आरंभ हुआ तब दानव अधिक शक्तिशाली लगने लगे। इंद्र देवता घबरा कर बृहस्पति जी के पास गए। वहां बैठी इंद्र जी की पत्नी इंद्राणी जी सब सुन रही थी उन्होंने रेशम के धागे को पूजा एवं मंत्रों आदि की शक्ति से पवित्र करके अपने पति इंद्र देव के हाथों पे बांध दिया। संयोग से उस दिन सावन माह की पुर्णिमा का दिन था। तब ऐसा माना गया कि उनकी विजय इसी रेशम धागे के मंत्र और पूजन से हुई थी।
कहा जाता है कि तभी से सावन माह की पूर्णिमा को यह रेशम का अनमोल धागा यानि राखी का त्यौहार मनाने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली हैं और इस पवित्र धागे को पूजा पाठ करके अपने भगवान को चढ़ाकर भगवान से प्रार्थना करके फ़िर राखी बांधी जाती है। यह धागा अपने आप में धन ख़ुशी, हर्ष संपन्नता, विजय और रक्षा का प्रतीक है।
इसी से जुड़ा एक अन्य प्रसंग यह है कि प्राचीन काल में महाभारत के युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण जी की उंगली पर चोट लगने से खरोंच आ गई थी जिसके कारण भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर अपनी साड़ी में से एक छोटा टुकड़ा फाड़कर बांध दिया था तभी श्री कृष्ण ने द्रौपदी की सहायता करने का वचन दिया था और चीर हरण के समय द्रौपदी की रक्षा की थी।
एक अन्य कथा के अंतर्गत रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूं का प्रसंग भी आता है। जब चित्तौड़ की विधवा रानी कर्णावती को लगा कि बहादुर शाह उनके राज्य पर हमला करेगा, तो उन्होंने हुमायूं को राखी भेजी और उससे रक्षा की अपील की। हुमायूं ने उस राखी का सम्मान किया और चित्तौड़ की रक्षा के लिए अपनी सेना भेज दी।
बहुत सी ऐसी पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं हैं जिनका प्रमाण और समय भले ही न मिल पाया हो लेकिन उन्हीं रीति रिवाज को मनाते हुए हम रक्षा बंधन का त्यौहार मना रहे हैं। रक्षाबंधन से जुड़ी ऐसी कई पौराणिक कथाएँ और कहानियाँ हैं, जिनसे इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है। सचमुच रक्षाबंधन का इतिहास (rakshabandhan ka itihas) अत्यंत रोचक और सांस्कृतिक है।
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है? (Rakshabandhan kaise manaya jata hai?)
1. सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर अपने नित्य कर्म से मुक्त होकर घर की सफ़ाई जैसे झाड़ू पोछा आदि कर के स्नान कर लेना चाहिए।
2. स्नान करते आदि करने के बाद स्वच्छ नए वस्त्र धारण कर अपने भगवान जिनकी आप पूजा करते हो उनका स्नान, तिलक, भजन, पूजन करना चाहिए। फ़िर उनको राखी बांध के मिठाई का भोग लगा कर प्रसाद बांटना चाहिए।
3. घर के सभी सदस्यों को सुबह जल्दी उठकर अपने नित्य कर्म से निवृत्त हो कर स्नान आदि करके भगवान का भजन करना चाहिए।
4. सभी सदस्यों को एकत्र कर के फिर रक्षाबंधन का त्यौहार मनाना चाहिए।
5. रक्षा बंधन के दिन अपने माता पिता एवं भाई बहन सब को एक दूसरे को राखी बांध कर एक दूसरे से प्रेम भाव से आशीर्वाद लेना चाहिए।
रक्षाबंधन भाई और बहन का इस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ त्यौहार है और इसे मनाने के लिए हर भाई और बहन हमेशा उत्सुक नज़र आते हैं। हमे अपने घर में बड़े बुजुर्गों या जो भी घर में हमसे बड़े हो उनका आदर सम्मान करते हुए सभी को तिलक लगा कर उन्हें राखी बांधना चाहिए।
रक्षाबंधन का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व (Cultural and social importance of Rakshabandhan in hindi)
रक्षाबंधन का महत्व (rakshabandhan ka mahatva) केवल धार्मिक या पारिवारिक स्तर पर ही नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी विशेष महत्व है। यह पर्व भारतीय समाज के उन मूल्यों को उजागर करता है जो परिवार और रिश्तों को सर्वोपरि मानते हैं। भारतीय समाज में परिवार को एक महत्वपूर्ण इकाई माना जाता है, और रक्षाबंधन इसी मूल्य को प्रकट करता है।
रक्षाबंधन का सामाजिक महत्व (rakshabandhan ka samajik mahatva) इस तथ्य से भी प्रकट होता है कि यह पर्व न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी इसे अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। यह त्यौहार सामाजिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है। यह त्यौहार हमें यह भी सिखाता है कि चाहे धर्म, भाषा या क्षेत्रीयता में कितनी भी विविधताएं हो, लेकिन जब बात रिश्तों की आती है, तो हम सभी अपनी एकजुटता का परिचय देते हैं।
रक्षाबंधन का अर्थ है एक दूसरे की रक्षा करना एक दूसरे का आदर सम्मान करना। रक्षाबंधन का त्यौहार ही ऐसा है जिसमें परिवार के सभी सदस्य आपसी प्रेम और सहयोग से एक सहयोगात्मक माहौल बना सकते हैं। अक़्सर कुछ लोग जिनकी बहन नही होती या जिनके भाई नही होते वो इस त्यौहार के दिन बहुत ही निराश और उदासीन महसूस करते हैं। जो कि बहुत ही स्वाभाविक भी है।
लेकिन यह ज़रूरी नही कि केवल भाई और बहन ही इस त्यौहार को मनाए। आज के समय में रक्षाबंधन का विस्तार हो चुका है। जिनके सगे भाई नहीं होते, वे मित्रों या क़रीबी रिश्तेदारों के साथ पूर्ण उत्साह एवं हर्ष उल्लास के साथ इस त्यौहार को मना सकते हैं। इससे आपसी स्नेह व भाईचारा और भी बढ़ता है। सही मायने में देखा जाए तो यह त्यौहार सामाजिक दायरे, जाति, संप्रदाय आदि से अलग हटकर सम्पूर्ण समाज में प्यार व स्नेह बांटने वाला त्यौहार है।
रक्षाबंधन का आधुनिक परिवेश (Modern environment of Rakshabandhan in hindi)
समय के साथ रक्षाबंधन के त्यौहार में कुछ परिवर्तन भी आए हैं, लेकिन इसके मूल सिद्धांत और भावना में कोई कमी नहीं आई है। आजकल यह त्यौहार सिर्फ़ भाई-बहन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज के विभिन्न संबंधों में भी देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, गुरु-शिष्य, मित्र-मित्र, और यहां तक कि प्रकृति और मनुष्यों के बीच भी रक्षाबंधन मनाया जाता है।
रक्षाबंधन अब केवल एक पारंपरिक पर्व नहीं रह गया है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह त्यौहार हमें यह सिखाता है कि समाज में हर व्यक्ति की एक-दूसरे की रक्षा और सम्मान की ज़िम्मेदारी है।
बदलते समाज में रक्षाबंधन (Rakshabandhan in changing society in hindi)
आधुनिक समय में, जहां परिवार के सदस्य अनेक कारणों से अलग-अलग और दूरस्थ स्थानों पर रहते हैं, वहां रक्षाबंधन जैसा पर्व रिश्तों को जोड़ने का कार्य करता है।
आज के दौर में भाई-बहन भी भौगोलिक रूप से एक-दूसरे से दूर रहते हैं, तब भी रक्षाबंधन का उत्साह कम नहीं हुआ है। अब इस त्यौहार को मनाने के लिए लोग पोस्टल सेवाओं या ऑनलाइन माध्यमों का सहारा लेते हैं। राखी और उपहार अब डाक, कुरियर या ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के ज़रिए भेजे जाने लगे हैं। जो दूरियों को मिटाने में सहायक साबित हो रहे हैं। इस प्रकार, आधुनिक तकनीक ने रक्षाबंधन के उत्सव को और भी विस्तारित कर दिया है।
समय के साथ-साथ, रक्षाबंधन के त्यौहार में कई आधुनिक परिवर्तनों का समावेश हुआ है। जैसे कि अब भाई-बहन के रिश्ते की परिभाषा में कोई खून का संबंध आवश्यक नहीं है। जिनके सगे भाई नहीं होते, वे मित्रों या क़रीबी रिश्तेदारों के साथ इस पर्व को मनाते हैं। इस तरह यह त्यौहार मानवता और आपसी स्नेह के मूल्यों को दर्शाता है।
रक्षाबंधन और पर्यावरण (Rakshabandhan and environment in hindi)
हाल के वर्षों में, लोगों ने रक्षाबंधन को पर्यावरण के प्रति जागरूकता का एक माध्यम भी बनाया है। अब बाज़ार में इको-फ्रेंडली राखियाँ मिलने लगी हैं, जो बायोडिग्रेडेबल होती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचातीं। इस प्रकार, रक्षाबंधन जैसे त्यौहार भी अब पर्यावरण संरक्षण के संदेश को फैलाने का माध्यम बन गए हैं।
बहनें अब ऐसे पौधे भी भाइयों को उपहार में देती हैं, जो उनके रिश्ते की तरह ही लंबे समय तक जीवित रहते हैं और एक हरा-भरा संदेश देते हैं। यह पहल न केवल पर्यावरण के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी को बढ़ाती है, बल्कि इस बात की भी याद दिलाती है कि हमारे रिश्तों की तरह ही हमें प्रकृति का भी कैसे ख्याल रखना चाहिए।
रक्षाबंधन का वैश्विक प्रसार (Global spread of Rakshabandhan in hindi)
भारतीय प्रवासी समुदायों के साथ-साथ, रक्षाबंधन का पर्व अब विश्व भर में लोकप्रिय हो गया है। विदेशों में बसे भारतीय परिवार इस पर्व को मनाकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहते हैं। इसके अलावा, विदेशी नागरिक भी इस पर्व के महत्व को समझने लगे हैं और इसे अपना रहे हैं। इस प्रकार, रक्षाबंधन का त्यौहार अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक वैश्विक पर्व बन गया है जो प्रेम, स्नेह और सुरक्षा की भावना को दर्शाता है।
रक्षाबंधन का त्यौहार हमें क्या संदेश देता है? (What message does the festival of Rakshabandhan give us in hindi)
रक्षाबंधन का त्यौहार हमें यह भी सिखाता है कि प्रेम, सुरक्षा, और आपसी सम्मान के बिना कोई भी रिश्ता पूर्ण नहीं हो सकता। इस पर्व के माध्यम से हम अपने भाई-बहन के प्रति अपने दायित्वों को समझते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि यह बंधन जीवनभर अटूट रहे।
आज की इस आधुनिकता के बावजूद भी, रक्षाबंधन के मूल भावनात्मक मूल्य और पारंपरिक रीतियाँ अब भी वैसी की वैसी हैं। यह त्यौहार हमें यह सिखाता है कि चाहे हम कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाएं, लेकिन हमारे रिश्तों और पारंपरिक मूल्यों की अहमियत कभी कम नहीं होनी चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ होता है "रक्षा का बंधन"। यह त्योहार बहन और भाई के बीच पवित्र रिश्ते को मज़बूती देने वाला होता है। रक्षाबंधन का त्यौहार भारतीय संस्कृति की एक अनमोल धरोहर है, जो हर वर्ष भाई-बहन के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाता है। यह पर्व न केवल एक उत्सव है, बल्कि यह एक ऐसे भावनात्मक बंधन को दर्शाता है जो जीवनभर स्थायी रहता है। इस पर्व के पीछे की भावनाएं और कहानियां, चाहे वह पौराणिक हों या ऐतिहासिक, हमें सदैव यह याद दिलाती हैं कि भाई-बहन का रिश्ता जीवन में सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र संबंधों में से एक है।
रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते को ही मज़बूत नहीं एबनाता है, बल्कि यह त्यौहार समाज में आपसी प्रेम, स्नेह और सदभावना को भी बढ़ावा देता है। यह त्यौहार हमें यह सिखाता है कि जीवन में रिश्तों का महत्व सर्वोपरि है, और हमें हमेशा इनकी रक्षा और सम्मान करना चाहिए।
इस त्यौहार की सुंदरता इसकी सरलता और गहराई में है। राखी का धागा, भले ही वह शारीरिक रूप से कमज़ोर हो, लेकिन इसका भावनात्मक महत्व अत्यंत मज़बूत और स्थायी है। यह त्यौहार हमें याद दिलाता है कि चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, हमें अपने रिश्तों को हमेशा सहेज कर रखना चाहिए, क्योंकि यही रिश्ते हमें जीवन में सच्चा सुख और संतोष प्रदान करते हैं।
(- written by Poonam)
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