दोस्तों दिवाली का मौक़ा है और इस दौरान चांदी के वर्क की मिठाइयां ख़ूब खाई जाती है। यहाँ तक कि पान में अगर चाँदी वर्क लगा हो तो उसकी क़ीमत बढ़ जाती है। दिवाली में रिश्तेदार हाथों में जब तरह-तरह की मिठाईयां लाते हैं तो मन ललचा जाता है। ऊपर से मिठाई पर चांदी का वर्क लगा हो तो क्या कहने! उसको देखकर बच्चे तो क्या बड़ों के मुंह में भी पानी आ जाता है।
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मिठाई पर लगा चांदी वर्क फ़ायदेमंद है या नुकसानदेह |
चाँदी का वर्क दरअसल Silver Leaf चाँदी से बनी हुई बहुत बारीक़ परत होती है। मिठाई के ऊपर जैसे काजू कतली, बेसन चक्की, बंगाली मिठाई आदि पर इसे ज़रूर लगाया जाता है। चूँकि वर्क लगी मिठाई शानदार लगती है। मिठाई के अलावा चांदी का उपयोग सजावट के लिए पान, मीठी सुपारी, इलाइची, खजूर, च्यवनप्राश आदि पर लगाया जाता है।
चाँदी वर्क लगी हुई मिठाई या अन्य वस्तु खाते समय मन में थोड़ी बहुत शंका ज़रूर होती है कि पेट में जो चाँदी वर्क लगी मिठाई जा रही है वो कहीं नुकसान तो नहीं करेगी। ये चाँदी का वर्क क्या होता है, वर्क कैसे बनता है और चांदी का वर्क फ़ायदा करता है या नुकसान आइये इस विषय पर थोड़ी विस्तृत चर्चा करते हैं।
चांदी के वर्क का इस्तेमाल
वैज्ञानिक दृष्टि में चाँदी में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो मिठाई को लंबे समय तक ख़राब होने से बचाते हैं। इसके इसी गुण के वजह से इसे लगाने का चलन शुरू हुआ। आज के समय में यह सजावट के लिए भी इस्तेमाल होने लगा लगा है। जैसे खाने की चीज़ों पर लगाने से उस भोजन या मिठाई में उसमें एक अलग तरह की आभा (चमक) आ जाती है। जो खाने के साथ-साथ देखने में भी लुभावनी लगती है। और एन्टीमाइक्रोबायल गुण होने के कारण बैक्टीरिया पनपने का चांस नहीं होता। मिठाई या भोजन को विषाक्त होने से बचाया जा सकता है।
कैसे बनाया जाता है चाँदी का वर्क
चांदी के वर्क बनाने के लिए सामान्यतः चमड़े का उपयोग किया जाता है। दरअसल चांदी को चमड़े में रख कर विशेष प्रकार के हथौड़े से लम्बे समय तक कूट-कूट कर पतला किया जाता है। जिससे पतली झिल्ली जैसी परत बन जाती है। इसे ही चांदी का वर्क कहा है।
इसे निकाल कर कागज़ में रखने के बाद पैक करके बेचा जाता है। पशु के चमड़े पर से यह आसानी से उतर जाती है। इसी कारण इसे चमड़े में रखकर हथोड़े से कूटा जाता है। चूँकि इस विधि से बने हुए चाँदी के वर्क पूजा, व्रत आदि में काम लेने योग्य नहीं होते।
आजकल वर्क बनाने के लिए पशु के किसी भी अंग के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। इसे अब जर्मन बटर पेपर नामक शीट पर या विशेष प्रकार से बनाये गए काले कागज़ की मदद से बनाया जाता है।
इसके अलावा इसे बनाने में फ़ूड ग्रेड कैल्शियम पाउडर का उपयोग भी किया जाता है। चांदी के वर्क को अब मशीन की मदद से बनाया जाता है। इस प्रकार के बनाये गए वर्क पूजा में काम लिए जा सकते हैं। इसीलिए इन्हें भगवान की मूर्ति पर भी लगाया जा सकता है।
चांदी वर्क का साइड इफेक्ट?
आपको बता दें कि आंखो को सुंदर लगने वाली चांदी के वर्क सिर्फ चांदी का नहीं बना होता है इसमें कुछ टॉक्सिक मेटल भी होता है। त्यौहारों के समय मिठाई में मिलावट आम बात होती है। फूड रिगुलेटर ने जांच के दौरान ये पाया कि चांदी के असली वर्क के नाम पर बाज़ार में एल्युमिनियम के वर्क भी बिक रहे हैं। यानि कि है यह चांदी वर्क शुद्ध चांदी वर्क नहीं होता।
मिठाई के एक टुकड़े के साथ चांदी के वर्क की बहुत कम मात्रा ही पेट में जाती है। शुद्ध चांदी से बने वर्क सीमित मात्रा में शरीर के लिए नुकसान देह नहीं होते हैं। लेकिन अधिक मात्रा या नियमित रूप से उपयोग करना नुकसानदेह हो सकता है।
चांदी की अधिक मात्रा शरीर में जाने से अर्जिरिया नामक बीमारी हो सकती है जिसमें त्वचा नीली हो जाती है। इसके अलावा इसे बनाते समय साफ़ सफ़ाई और शुद्धता का ध्यान न रखा जाये तो यह और भी कई बिमारियों का कारण बन सकता है।
चांदी के नकली वर्क बहुत नुकसानदायक हो सकते है। इनसे लीवर, फेफड़े या किडनी की बीमारी होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है। विशेष कर एल्युमिनियम से बनाये गए वर्क बहुत अधिक नुकसानदायक होते हैं।
इसके अलावा जहाँ मिठाई बनाई जाती है वहां की गंदगी और ये अशुद्धि दोनों मिलकर सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इससे पेट की बीमारियाँ भी हो सकती हैं। इसके अलावा इसमें निकिल लेड, कैडमियम भी पाया जाता है। कुछ समय पहले इंडियन एयरलाइंस ने कर्व को नाॅनवेज मानते हुए इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
चांदी के बजाये एल्युमिनियम की परत लगा रहे दुकानदार
दोस्तों दिवाली आयी नहीं कि मिलावटखोरों की चाँदी हो जाती है। मिठाइयों की बढ़ती मांग की वजह से ये मिलावटख़ोर अपना ईमान खो बैठते हैं। आपको पता भी नहीं चल पाता कि जिस मिठाई को आप शौक़ से खा रहे हैं वह मिलावटी भी हो सकती है और उससे आपको नुक़सान भी हो सकता है।
मिठाई पर लगा हुआ यह चमचमाता सुंदर रंग का चांदी का वर्क देखने में तो अच्छा लगता है लेकिन क्या ये सचमुच सेहत के नज़रिये से अच्छा होता है? हालांकि, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने चांदी के ऐसे वर्क पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद पूरे देश में ये धड़ल्ले से बिक रहा है। इतना ही नहीं, चांदी के असली वर्क के नाम पर बाजार में एल्युमिनियम के वर्क भी बिक रहे हैं। इससे कैंसर, फेफड़े और दिमाग की बीमारियां हो सकती हैं। इस दिवाली चांदी के वर्क वाली मिठाई ख़रीदने से पहले इस पर ज़रूर ग़ौर फरमाइएगा।
डॉक्टरों की अगर मानें तो चाँदी की परत लगी मिठाईयों से ज़रा परहेज ही करना चाहिए। अधिकतर दुकानदार चाँदी की जगह एल्युमिनियम की परत का इस्तेमाल करने लगे हैं। जो कि स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है। दिवाली के दौरान मिठाइयां बाज़ार में ख़ूब बिकती हैं। इन्हें बनाने में कई जगहों पर सिंथेटिक दूध, ख़राब तेल, चांदी की जगह एल्युमिनियम के वर्क और नकली रंगों का इस्तेमाल किया जाने लगा है।
हो सकती हैं पेट की बीमारियाँ
अगर कोई व्यक्ति सिंथेटिक दूध से बनी चीजों को खा लेता है, तो उसे पेट की कई बीमारियाँ हो सकती हैं।इसके अलावा इन दिनों मिठाइयों को बनाने के लिए जिस तेल व घी का इस्तेमाल किया जाने लगा है वह भी अच्छी Quality का नहीं होता। ख़राब तेल से बने पदार्थ कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं। साथ ही पेट में इंफेक्शन भी बढ़ाते हैं। हालांकि लोगों को लगता है कि जिन मिठाइयों पर सिल्वर की परत लगी होती है। वह मिठाई देखने के साथ-साथ खाने में भी अच्छी ही होगी। दरअसल ग्राहक इसे पहचान नहीं पाते।इसी वजह से दुकानदार मिठाइयों में सिल्वर की जगह एल्युमिनियम की पर्त का इस्तेमाल करने लगे हैं। इस तरह की मिठाइयाँ खाने से दिमाग़ की ग्रोथ रुक सकती है।
घर की बनी मिठाइयाँ हैं ज़्यादा बेहतर
फ़रीदाबाद के सेक्टर 8 स्थित सर्वोदय अस्पताल के वरिष्ठ विशेषज्ञ इंटरनल मेडिसिन डॉ राणा ने बताया कि त्यौहारों के मौसम में कुछ मिठाइयों में नकली रंगों का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है।जिससे कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी के होने की आशंका भी बनी रहती है। फ़ेस्टीवल की वजह से दुकानदार ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने के लालच में मिलावटी चीज़ों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए ख़ासकर ऐसे मौक़ों पर डॉक्टरों की सलाह यही है कि आप घर पर ही अपने हाथों से बनी शुद्ध मिठाइयां बनाकर खाएं और दोस्तों-रिश्तेदारों को भी अपने हाथों से बनी मिठाइयाँ खिलायें।
कैसे करें चांदी के वर्क की सही पहचान
मिठाईयों पर लगाया जाने वाला चाँदी का वर्क जितना आकर्षक लगता है, सेहत के लिए भी उतना ही फायदेमंद होता है। लेकिन वर्तमान में जहाँ हर चीज़ों में मिलावट होती है वहां चांदी का वर्क भी मिलावट से भला अछूता कैसे रह सकता है। ऐसे में अगर आप नकली चांदी की परत लगी मिठाईयाँ खाते हैं, तो यह सेहत के लिए निश्चित ही हानिकारक है। इसलिए आइये हम आपको बताते हैं कि मार्केट में चाँदी की नकली परत को कैसे पहचानें -
(1) चांदी का वर्क लगी कोई भी मिठाई लेकर इसे अपनी अंगुली पोंछने का प्रयास करें। अगर पोंछते समय यह आपके हाथ में चिपकता है, तो इसका मतलब है इसमें एल्युमिनियम है। लेकिन अगर यह आपके हाथ में नहीं चिपकता और गायब हो जाता है, तो यह पूरी तरह सुरक्षित है। असली चांदी वर्क इतना कि इसे ऊँगली और अंगूठे के बीच मसलने पर वह लगभग ग़ायब ही हो जाता है, दिखाई ही नहीं देता। जबकि जबकि नकली चांदी वर्क मसलने पर धातु की गोली बन जाता है।
(2) नकली वर्क थोड़ा मोटा होता है जबकि असली वर्क महीन होता है। अगर मिठाई पर लगे चांदी के वर्क को उतारा जाए और इसे गर्म किया जाए, तो यह चांदी के गोले की तरह तब्दील हो जाएगा। लेकिन अगर वर्क मिलावटी है, तो जलाने पर यह काला पड़ जाता है या फिर राख में बदल जाता है, क्योंकि इसमें एल्यमिनियम मिला होता है।
(3) मिलावटी या नकली वर्क असली वर्क की अपेक्षा मोटा होता है। यह एक साधारण तौर पहचान का तरीका है।
(4) पैकेट पर पेकिंग की डेट चेक करके ही लेना चाहिए। पुराना होने पर काला हो सकता है। इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखें।
(5) चांदी के वर्क को परखनली में लेकर अगर हाइड्रोक्लोरिक एसिड की एक बूंद डाली जाए तो यह सफेद वेग के साथ टदबाइड हो जाएगा। लेकिन अगर यह मिलावटी है, तो यह टरबाइड नहीं होगा। इसका मतलब है कि इसमें चांदी नहीं बल्कि एल्युमिनियम है।
(6) अगर आप चांदी के वर्क को हाथ में रखकर हथेली के बीच रगड़ेंगे, तो यह ग़ायब हो जाएगी। लेकिन अगर चांद के वर्क में मिलावट है, तो यह एक बॉल के रूप में एकट्ठा हो जाएगा।
(7) चांदी का वर्क अगर असली है, तो यह लंबे समय तक भी टिका रह सकता है और इसकी चमक कम नहीं होती। लेकिन अगर यह एल्युमिनियम है, तो पुराना होने पर इसका रंग काला पड़ जाता है।
(8) चांदी के वर्क का टेस्ट करने के लिए एक और साधारण तरीका यह है कि मिठाई पर लगे चांदी के वर्क को उतार लें। इसके बाद इसे जलाएं या गर्म करें। यदि यह चांदी से बना है तो यह चांदी की एक गेंद के आकार में बदल जाएगा और अगर इसमें मिलावट है, तो यह काला हो सकता है। आमतौर पर इसमें एल्यूमीनियम की मिलावट की जाती है। जिस कारण इसे जलाने पर एल्यूमीनियम काली राख़ में बदल जाता है।
उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह आर्टिकल "मिठाई पर लगी चांदी की परत सेहत के लिए है हानिकारक या फायदेमंद?"अवश्य ही आपके लिए लाभदायक साबित होगा। निश्चित ही आपको मिठाई के ऊपर चांदी की परत के बारे में जानकारी मिल चुकी होगी। अब आप मिठाइयों को खाने से पहले चाँदी वर्क की पहचान ज़रूर कर पायेंगे।