बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कौन सी बातें सिखाना बेहद ज़रूरी है | Bachcho ko achche sanskar kaise dena chahiye?
बच्चे देश और समाज का भविष्य होते हैं। स्वस्थ वातावरण, बेहतर शिक्षा और अच्छे संस्कार जब बचपन में मिलते हैं, तो निश्चित रूप से बच्चों का व्यक्तित्व, सोच और उनके व्यवहार को एक नया आयाम मिलता है। इसलिए बच्चों को शुरू से ही अच्छी बातें सिखाना न केवल परिवार की ज़िम्मेदारी होती है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
अच्छे संस्कार और मूल्य जीवन भर व्यक्ति के साथ रहते हैं और उन्हें एक अच्छा नागरिक, अच्छा इंसान और ज़िम्मेदार व्यक्ति बनने में मदद करते हैं। ये बुद्धिमता केवल स्कूलों में नहीं सिखाई जाती है। बल्कि यह जीवन के अनुभवों से प्राप्त होती है। माता-पिता ही सबसे पहले और अच्छे शिक्षक होते हैं। इसलिए अपने बच्चों को मार्गदर्शन दें, अपने अनुभव साझा करें ताकि वे ग़लतियों से सीखने के बजाय समझदारी से आगे बढ़ें।
दरअसल बच्चों को अच्छे संस्कार देना एक सतत और प्रेमपूर्ण प्रक्रिया है। इस लेख में हम जानेंगे कि बच्चों को अच्छी आदतें कैसे सिखाएं? जिनसे वे अपने जीवन में सफल, संवेदनशील और चरित्रवान बन सकें। तो आइए बिना देर किए जानते हैं।
अपने बच्चों को अच्छे संस्कार कैसे दें | Apne bacchon ko achhe sanskar kaise de?
बच्चों को बेहतर इंसान बनाने के लिए उन्हें बचपन से ही निम्न बातें अवश्य सिखाई जानी चाहिए -
1. सत्य बोलना, ईमानदारी और नैतिकता सिखाएं
बच्चों में सत्य बोलने की आदत शुरू से ही डाली जानी चाहिए। अगर वे ग़लती करें, तो उन्हें सज़ा देने के बजाय यह समझाया जाना चाहिए कि सच बोलना क्यों ज़रूरी है। ईमानदारी केवल दूसरों के साथ ही नहीं, बल्कि ख़ुद के साथ भी होनी चाहिए। ईमानदार व्यक्ति समाज में सम्मान पाता है और आत्मविश्वासी रहता है। साथ ही दया सम्मान जैसे नैतिक सिद्धांतों के बारे में अवश्य समझाइए।
2. सम्मान देना और विनम्रता सिखाएं
बड़ों का सम्मान करना, छोटों से स्नेह रखना और दूसरों की बातों को ध्यान से सुनना। ये सब बातें बच्चों को विनम्र बनाती हैं। "कृपया", "धन्यवाद", "माफ़ कीजिए", जैसे शब्दों का प्रयोग सिखाना विनम्रता का पहला क़दम होता है। अपने बच्चों में ये आदतें शुरू से ही डालें ताकि बाद में उनके व्यवहार में शामिल हो।
3. स्वयं उदाहरण बनें
बच्चे अक़्सर माता-पिता और आसपास के बड़ों की नकल करते हैं। यदि आप ख़ुद ईमानदारी, विनम्रता, संयम और करुणा दिखाएंगे, तो वे भी वही अपनाएंगे। इसलिए अपना जीवन ऐसे बनाएं जिस पर आपके बच्चे गर्व करें। इसके लिए ज़रूरी नहीं, कि आप करोड़ों ही कमाएं। लेकिन सबसे ज़्यादा यह ज़रूरी है कि आप ख़ुद संतुलन के साथ जीवन जीएं।
आप कभी कोई ऐसा काम न करें कि आपकी वजह से परिवार और बच्चों को शर्म से सिर झुकाना पड़े। बल्कि वे गर्व से आपका नाम लें और अगली पीढ़ी को भी उसी नाम से जोड़ें। बच्चों को उनके वंश, पूर्वजों और पारिवारिक इतिहास के बारे में बताएं। उन्हें यह समझ दें कि वे किस परंपरा और विरासत से जुड़े हैं।
4. समय का महत्व समझाएं
समय का सही उपयोग सिखाना बहुत ज़रूरी है। बच्चों को समय पर उठना, खाना, पढ़ाई करना, खेलना और सोना सिखाया जाना चाहिए। जब वे समय का सम्मान करना सीखते हैं, तो जीवन अधिक अनुशासित और सफल बनता है। क्योंकि जो समय की कद्र करते हैं, समय भी उनकी कद्र करता है।
5. कर्तव्यों की समझ विकसित करें
बच्चों को सिखाना चाहिए कि उनके कुछ कर्तव्य भी हैं जैसे- पढ़ाई करना, घर के छोटे-मोटे कामों में हाथ बंटाना, स्कूल का होमवर्क समय पर करना आदि। उन्हें यह समझाना चाहिए कि जीवन केवल अधिकारों का केवल अधिकार नहीं होते, कर्तव्य भी होते हैं। जैसे- घर की छोटी ज़िम्मेदारियाँ निभाना, बड़ों का आदर करना और समय का पालन करना।
6. दूसरों की मदद करना और दया भावना
सहानुभूति और करुणा का भाव बच्चों में बचपन से विकसित किया जाना चाहिए। ज़रूरतमंदों की मदद करना, जानवरों से प्यार करना, बुजुर्गों का सहारा बनना जैसी बातें उन्हें संवेदनशील और मानवीय बनाती हैं। उन्हें यह सिखाएं कि दूसरों की मदद करना, जानवरों से प्यार करना और कमज़ोरों के प्रति दया दिखाना कितना ज़रूरी है।
7. स्वच्छता और स्वास्थ्य की आदतें
बच्चों को शारीरिक स्वच्छता जैसे- नियमित नहाना, हाथ धोना, साफ कपड़े पहनना और आसपास का वातावरण साफ़ रखना सिखाना ज़रूरी है। साथ ही संतुलित भोजन, पर्याप्त नींद और व्यायाम की आदतें भी उनके जीवन का हिस्सा बननी चाहिए।
8. साझा कर और सहयोग करना
बच्चों को खिलौने, किताबें या खाने की चीज़ें दूसरों के साथ साझा करना सिखाना, उनमें दूसरों के साथ मिलकर रहने की भावना पैदा करता है। सहयोग की भावना से वे सामाजिक जीवन में बेहतर ढंग से जुड़ पाते हैं। बच्चों को भविष्य में सबसे मिलकर रहने की कला ज़रूर सिखाएं।
9. आत्मनिर्भरता सिखाएं
बच्चों को छोटे-छोटे काम ख़ुद करना सिखाएँ, जैसे अपने कपड़े पहनना, बैग तैयार करना, चीज़ें व्यवस्थित रखना। इससे उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास दोनों विकसित होते हैं। आत्मविश्वासी बच्चे डर से नहीं, समझ से निर्णय लेते हैं।
10. आत्मविश्वास बढ़ाएं
बच्चों में आत्म-विश्वास भरें, उन्हें उनके उद्देश्य और सामर्थ्य का बोध कराएं। उन्हें सिखाएं कि वे विपरीत परिस्थितियों में भी डटकर खड़े रहें। जीवन में उतार चढ़ाव तो आते रहते हैं। मुश्किल समय में उन्हें धैर्य से डटकर खड़े रहने के लिए प्रेरित करें।
11. पढ़ने और सीखने की आदत
पढ़ने की आदत बच्चों के ज्ञान को बढ़ाने के साथ-साथ उनके सोचने की क्षमता और कल्पना को भी विकसित करती है। उन्हें कहानी की किताबें, बच्चों की पत्रिकाएं और चित्रात्मक ज्ञान सामग्री दी जा सकती है। इससे उनमें पढ़ाई को लेकर सकारात्मक नज़रिया बनता है।
12. सामाजिक कौशल (Social skills)
जीवन में रिश्तों का बेहद महत्व होता है। जीवन में आप रिश्ते, प्यार पैसों से कभी नहीं ख़रीद सकते। ये सिर्फ़ आप अपने व्यवहार और अपनों के प्रति लगाव से ही जीत सकते हैं। इसलिए बच्चों को आत्म-संयम, भाईचारे, विपरीत लिंग से व्यवहार, सही संगति चुनना, स्वस्थ मित्रता बनाना और और उसे उतनी ही शिद्दत से निभाना, संवाद करना आदि सिखाएं। ये कौशल उन्हें जीवनभर काम आएंगे।
13. धैर्य और सहनशीलता
हर बात में तुरंत प्रतिक्रिया देना या ज़िद करना सही नहीं होता, यह बच्चों को समझाना ज़रूरी है। उन्हें सिखाएं कि हर चीज़ समय के अनुसार मिलती है और कभी-कभी इंतज़ार करना भी सीखना पड़ता है। इससे उनमें संयम और सहनशीलता का गुण आता है। सदैव यह याद रखें कि निरंतरता और धैर्य से ही स्वयं का विकास होता है
14. आभार प्रकट करना सिखाएं
छोटे-छोटे कामों के लिए भी “धन्यवाद” कहना बच्चों में विनम्रता और कृतज्ञता का भाव पैदा करता है। जब वे दूसरों की मदद को महत्व देना सीखते हैं, तो उनके संबंधों में आत्मीयता और स्नेह बढ़ता है। ऐसी आदतें उनमें भविष्य में परिवार, समाज में अच्छा नाम कमाने में मदद करती हैं। वे अहम के शिकार होने से बच जाते हैं।
15. धार्मिक और नैतिक शिक्षा
बच्चों को धर्म, पूजा, प्रार्थना और आध्यात्मिक मूल्यों की जानकारी देना भी महत्वपूर्ण है। नैतिक कहानियाँ, श्लोक, भजन या प्रेरक प्रसंग उन्हें अच्छे और बुरे में फ़र्क करना सिखाते हैं। इसलिए उन्हें अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराएँ। जैसे- प्रार्थना, त्यौहार, संस्कार और धार्मिक ग्रंथों की सरल व्याख्या से परिचित कराएं।
16. अच्छी यादें (Good Memories)
बचपन की यादें या तो जीवन को संबल देती हैं या कष्ट देती हैं। अपने बच्चों को ऐसा बचपन दें जिसे याद करके उन्हें ख़ुशी मिले। उन्हें यह अनुभव कराएं कि इस दुनिया में अच्छे लोग हैं। जैसे उनके माता-पिता। और उनके भाई बहन। बच्चों का बचपन यदि अच्छी यादों के साथ गुज़रा हो तो, उन्हें आगे बढ़ते रहनेवाले लिए प्रेरणा मिलती है। उन्हें अपने जीवन और रिश्तों नातों के प्रति अपनापन महसूस होता है।
17. पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी और जागरूकता
बच्चों को पर्यावरण के महत्व के बारे में ज़रूर बताएं।
बच्चों को पेड़-पौधों से प्यार करना, पानी बचाना, कचरा सही स्थान पर डालना और प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाना बहुत ज़रूरी है। इससे वे पर्यावरण की सुरक्षा में भी सहयोगी बनते हैं। आज के दौर में नई पीढ़ी पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ने में प्रमुख भूमिका निभा रही है। ऐसे में हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि आने वाली पीढ़ी को हम पर्यावरण को बचाए रखने की कला सिखाएं।
18. ग़लतियों से सीखना
बच्चों को यह अवश्य समझाएं कि ग़लती करना कोई अपराध नहीं, बल्कि एक अवसर है कुछ सीखने का। अपनी ग़लतियों को स्वीकार कर जब बच्चे पुनः सीखना शुरू कर देते हैं तब उनके जीवन में फ़िर से वही ग़लती होने की संभावना कम हो जाती है। और वे फ़िर से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं। जिससे उनका आत्मबल दोहरी गति से बढ़ता है। किसी भी सफलता के लिए ख़ुद की ग़लतियों से सीखना सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है।
19. टीवी, मोबाइल, इंटरनेट का संतुलित उपयोग
आज के डिजिटल युग में बच्चों को तकनीक का सही उपयोग सिखाया जाना बेहद ज़रूरी है। उन्हें स्क्रीन टाइम का संतुलन सिखाएं। यानि कि स्क्रीन टाइम को सीमित करें और ऐसा कंटेंट दिखाएँ जो नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देता हो।
20. मानसिक स्वास्थ्य
बच्चों को भावनात्मक चोट, गाली, उपेक्षा, तुलना और तिरस्कार से दूर रखें। उन्हें प्यार, सम्मान और सुरक्षा दें ताकि वे मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हुए बड़े हों। मानसिक स्वास्थ्य अच्छा हो तो बच्चे भविष्य में उपेक्षा के शिकार नहीं होते हैं और सकारात्मक सोच के साथ अपना जीवन जीते हुए अपनों का साथ सकारात्मकता के साथ निभाने में सक्षम होते हैं।
21. आर्थिक संपत्ति (Financial Wealth)
बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए धन की आवश्यकता होती है। उन्हें संपत्ति, धन, शेयर या पारिवारिक व्यवसाय ज़रूर दें, साथ ही उन्हें धन प्रबंधन भी सिखाएं। क्योंकि अच्छी शिक्षा, मेहनत, लगन, आत्मविश्वास, बेहतर स्वास्थ्य के साथ साथ यदि आप आर्थिक रूप से उन्हें ज़रूरी सहयोग देंगे तो हो सकता है। उन्हें अपने लक्ष्य सही समय और प्रबलता के साथ प्राप्त हों।
22. परिवार के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण
अगर आप अपने बच्चों के मन में शादी या परिवार के प्रति नकारात्मक सोच भरते हैं, तो उनका भविष्य प्रभावित हो सकता है। चाहे आप एक एकल परिवार से ताल्लुक़ रखते हों या संयुक्त परिवार से। बच्चों को परिवार के महत्व की समझ अवश्य दें। तभी आपके बच्चों में परिवार और रिश्तेदारों के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण पैदा होगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
बच्चों को अच्छी बातें सिखाना केवल शिक्षा का भाग नहीं, बल्कि जीवन निर्माण की प्रक्रिया है। यह कार्य सिर्फ़ स्कूल या शिक्षक का नहीं, बल्कि माता-पिता, परिवार और समाज की भी ज़िम्मेदारी है। जब बच्चों को बचपन में अच्छे संस्कार, आदतें और मूल्य मिलते हैं, तो वे न केवल व्यक्तिगत रूप से सफल होते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक योगदान देते हैं।
इसलिए हर माता-पिता, शिक्षक और अभिभावक का कर्तव्य है कि वे बच्चों के चरित्र निर्माण की दिशा में प्रेम, धैर्य और निरंतरता से काम करें। याद रखें, हम सभी अपने पूर्वजों की विरासत हैं। अगर हम अच्छे इंसान हैं तो हमारे माता-पिता ने अच्छे बीज बोए होंगे। अब हमारी बारी है कि हम अगली पीढ़ी को सशक्त बनाएं।
(- By Alok Khobragade)
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