एक अच्छे और सफल पेरेंट्स के लिए यह अत्यंत ही ज़रूरी है कि वे एक अच्छे माता पिता की ज़िम्मेदारी निभाते हुए अपने बच्चों को स्वस्थ और हेल्दी रखने के लिए, बच्चों को खाने से जुड़ी बेहतर आदतें सिखाएं क्योंकि यही आदतें आगे चलकर उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में भरपूर मदद करती हैं।
आज इस अंक में हम आपको बच्चों के लिए खाने की अच्छी आदतों के बारे में बता रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि हमारे इस अंक के सहयोग से पेरेंट्स को अपने बच्चों में खाने सेे जुड़ी अच्छी आदतों को सिखाने में कुछ मदद मिल सके।
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यह बहुत ज़रूरी आदतों में से एक है। अक़्सर बच्चों में देखा जाता है कि वे जल्दबाज़ी में बिना हाथ धोए ही खाना खाने बैठ जाते हैं। इसीलिए खाने से पहले बच्चों को हाथ धोने का महत्व ज़रूर बताएं। उन्हें सिर्फ़ खाने से पहले ही नहीं बल्कि किसी भी चीज़ को खाने से पहले हाथ धोना सिखाएं। हाथ धोने से किसी भी वायरस के संक्रमण का ख़तरा न के बराबर हो जाता है। बच्चे अगर बाथरूम जाएं तो उन्हें अच्छे से हाथ धोकर आने के लिए प्रेरित करें। यह अच्छी आदत उन्हें स्वस्थ और हेल्दी रखने में मदद करेगी।
(2) पौष्टिक आहारों की जानकारी दें -
बच्चों को बताएं कि कौन सा आहार उनके लिए बेहतर है और उन्हें उससे क्या फ़ायदा हो सकता है। उन्हें भोजन के अंतर्गत पाए जाने वाले जितने भी पौष्टिक आहार हैं, सभी की जानकारी दें। जैसे सब्ज़ियों, फलों आदि में पाए जाने वाले तत्वों की भरपूर जानकारी दें। उन्हें बताएं कि इन सभी में कौन-कौन से तत्व पाए जाते हैं जो स्वस्थ और हेल्दी रहने के लिए बेहतर साबित होंगे।
उन्हें बताएं कि कौन से आहार लेने से उन्हें ताक़त मिल सकती है और देर तक दोस्तों के साथ खेल कूद करने के लिए एनर्जी। दरअसल बच्चे जो देखते हैं वही सीखते हैं। इसीलिए प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों के लिए उदाहरण बनें। बच्चों के साथ माता-पिता भी अच्छे पौष्टिक आहारों का सेवन करने की आदत बनाएं।
(3) एक ही तरह का खाना खाने से बचें -
बच्चे और आप पौष्टिक आहार अवश्य लेना शुरू करें। मगर इस बात का ध्यान रखें कि रोज़-रोज़ एक ही तरह का भोजन न लें। इससे बच्चे तुनकमिज़ाज (Choosy) बनने लगते हैं। इसके लिए बेहतर उपाय यह होगा कि बच्चों के लिए रंग-बिरंगे फलों और सब्ज़ियों का चुनाव करें। तरह-तरह के रंग-बिरंगे विकल्पों से बच्चे आकर्षित होते हैं। इसका परिणाम यह हो सकता है कि बच्चे खाने के लिए भी उत्सुक होने लगते हैं।
(4) बच्चों को धीरे-धीरे खाने के लिए प्रेरित करें –
अक़्सर देखा जाता है कि खाना जल्दी ख़त्म करने के चक्कर में बच्चे जल्दी-जल्दी खाने लगते हैं। इसीलिये उन्हें धीरे-धीरे अच्छे से चबाकर खाना सिखाएं। साथ ही बच्चे को खाने के लिए पूरा वक़्त दें ताकि वो अपना खाना अच्छी तरह से ख़त्म कर सकें। दरअसल भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाने से भोजन में उपस्थित पौष्टिक तत्व सही तरीक़े से प्राप्त होते हैं। जिससे पाचन क्रिया भी सही बनी रहती है। इसलिए खाने के वक्त माता-पिता उन पर दबाव न बनाएं और उन्हें आराम से खाने दें।
(5) साथ बैठकर खाने की आदत बनाएं -
खाने का कोई एक उपयुक्त समय चुनें और कोशिश करें कि बच्चे के साथ ही घर के अन्य सभी सदस्य भी उसी निर्धारित समय पर खाना खाएं। सभी के लिए एक ही तरह की सब्ज़ी बनाने का प्रयास करें, ताकि बच्चों को एक साथ खाना खिलाना आसान हो सके। और हाँ! खाते वक्त बच्चों के साथ थोड़ी मौज-मस्ती और सवाल-जवाब ज़रूर करें। ध्यान रहे कि इस दौरान बच्चों को किसी बात को लेकर डांटे नहीं। डांटने से हो सकता है कि बच्चे दबाव में आ जाए या डर जाए, जिसका बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर ग़लत असर पड़ सकता है।
(6) भोजन सामग्री को साथ मिलकर ख़रीदें और उसे साथ मिलकर बनाएं -
जब माता-पिता बाज़ार में खाने पीने की चीज़ें ख़रीदने या फल-सब्जियों की शॉपिंग करने जाएं तो प्रयास करें कि बच्चे भी साथ हों। इससे वो नई-नई चीजों को देखेंगे और उनके बारे में सीखेंगे। इसीलिये चीज़ें ख़रीदते समय आप अपने बच्चों को शामिल करें। साथ ही उन वस्तुओं की उपयोगिता और उन वस्तुओं के फ़ायदे और नुक़सान के बारे में उन्हें पूरी जानकारी दें। उन्हें कभी-कभी भोजन बनाते समय हल्का-फुल्का सहयोग करना सिखायें।
ऐसा करने से आपके बच्चे घर और बाहर दोनों परिस्थितियों में समझदार और सहयोगी बन सकेंगे। यह कला उनके लिए भविष्य में बहुत उपयोगी साबित होगी। इन गतिविधियों से बच्चों में आत्मनिर्भरता का भी विकास होगा।
(7) बच्चों को टीवी देखते हुए खाना न खाने दें -
बच्चे का टीवी देखने का समय निर्धारित कर लें। शोध के अनुसार पता चला है कि जो बच्चे कम टीवी देखते हैं, उनका मोटापा भी कम हो सकता है। दरअसल, टीवी देखते वक्त बच्चे खाने पर कम ध्यान देते हैं, ऐसे में वो ज़रुरत से ज़्यादा खाना खा लेते हैं। इसके अलावा, जब घर में सभी सदस्य खाना खाने बैठे हों। उस वक्त बिलकुल टीवी न चलाएं, बल्कि आपस में और बच्चों के साथ बात और मज़ाक-मस्ती का माहौल बनाएं। इससे घर का माहौल तो अच्छा रहेगा ही, साथ ही बच्चों को भी अच्छा लगेगा।
(8) पर्याप्त पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करें -
बच्चे खेलकूद, दौड़ा-भाग करते हैं, ऐसे में उन्हें पोषण के साथ-साथ उन्हें हायड्रेट रखना भी जरूरी है। ऐसी स्थिति में माता-पिता बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा पानी पीने की सलाह दें। 5 से 8 साल के बच्चे को लगभग 1 लीटर यानि कि दिनभर में लगभग पांच गिलास पानी की ज़रूरत होती है, 9 से 12 साल के बच्चे को डेढ़ लीटर यानि कि 6 से 7 गिलास और 13 साल या उससे बड़े बच्चे को लगभग 2 लीटर यानी 8 से 10 गिलास पानी पीने की ज़रूरत होती है। विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि बच्चों को खाना खिलाते वक़्त ज़्यादा पानी पीने की आदत न बनने दें।
(9) बच्चों को खाने के लिए इनाम या सज़ा देने से बचें -
बच्चे को कभी भी किसी ख़ास या फैंसी खाने जैसे- आइसक्रीम, चॉकलेट या अन्य कोई भी चीज़ खाने का लालच न दें। ऐसा करने से धीरे-धीरे उनकी यही आदत बनने लगेगी। साथ ही उनके मन में यह बात भी बैठने लगेगी कि यह खाद्य पदार्थ, अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में ज्यादा स्वादिष्ट हैं। जिसका असर न सिर्फ़ उनके व्यवहार, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है।
इनाम के अलावा, बच्चों को किसी बात के लिए खाने को लेकर कभी डराने का प्रयास भी ना करें। जैसे- होमवर्क न करने पर उनकी किसी नापसंद चीज़ को खिलाने की बात कहना। या अगर बच्चा खाना न खाएं तो उन्हें ख़ूब डाँटना-फटकारना। क्योंकि इस तरह ख़ूब डाँटने से उनके मन में खाने के प्रति डर समाने लग जाएगा। इसलिए, इस तरह की चीज़ों से बच्चों को दूर रखें और उन्हें प्यार से समझाएं।
(10) बच्चों को संतुलित आहार देने का प्रयास करें -
बच्चों को बेलेंस डाइट देना बहुत ज़रूरी होता है। ख़ासतौर पर तब जब वो स्कूल जाना शुरू करते हैं। बच्चों को लंच में तरह-तरह के पौष्टिक खाद्य पदार्थ देने का प्रयास करें। उन्हें हरी सब्ज़ियाँ, फल, अंडे, दूध और दही जैसी चीज़ें दें। कोशिश करें कि बच्चे भोजन के रूप में उपयोगी खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें। नुक़सानदायक चीज़ों से बचें। संतुलित आहार ही स्वस्थ जीवन का आधार है।
(11) बच्चों के खाने की मात्रा का विशेष ध्यान रखें-
जब भी बच्चा खाना खा रहा हो। उसके खाने की मात्रा का ध्यान रखें। बच्चे का आहार उसकी उम्र और स्वास्थ्य पर ज़्यादा निर्भर करता है। लड़का हो या लड़की, बच्चे का आहार 2,000 कैलोरी से अधिक या कम हो सकता है। बच्चों के खाने की मात्रा के बारे में डॉक्टर की सलाह भी ली जा सकती है कि बच्चों को कैल्शियम, मिनरल, विटामिन युक्त आहार कितनी मात्रा में दिया जा सकता है।
(12) घर में पौष्टिक आहार रखने की आदत बनाएं -
बच्चों की आदत होती है कि वो बार-बार फ्रिज़ खोलकर देखते हैं या किचन में इधर-उधर घूमते रहते हैं कि खाने के लिए क्या रखा है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि माता-पिता घर में या फ्रिज़ में पौष्टिक आहार रखें जैसे- फल, मेवे, हरी सब्ज़ियाँ आदि। जिसे कच्चा खाया जा सके जैसे- ककड़ी या खीरा। इसके अलावा दही, छाछ या फलों का रस को भी शामिल कर सकते हैं ताकि उन्हें स्वस्थ और पौष्टिक आहार लेने की आदत बनी रहे।
(13) खाने का समय निर्धारित रखें -
खाने के साथ-साथ खाने का वक्त भी काफी मायने रखता है। ऐसे में माता-पिता न सिर्फ़ बच्चों का बल्कि अपने खाने का समय भी निर्धारित करें। बच्चों के ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर का रूटीन बनाएं और हर रोज़ ठीक उसी वक्त उन्हें खाना खिलाने की कोशिश करें। इससे उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा और उनके खाने की आदत भी सही रहेगी।
(14) बच्चों को खाने के विकल्प देने से बचें -
अक़्सर कई माता पिता बच्चों के खाना खाने से मना करने पर झट से अन्य विकल्प उनके सामने रख दिया करते हैं। हम आपसे कहना चाहते हैं कि अगर आपका बच्चा किसी तरह के खाद्य पदार्थ को खाने से मना कर दे। तो उसे झट से उसके बदले कोई अन्य विकल्प देने से बचें। ऐसा करने से बच्चे ठीक तरह से खाना नहीं खाएंगे और बार-बार वो इस आदत को दोहराने लगेंगे। ऐसे में उन्हें ठीक तरह से पौष्टिक आहार नहीं मिल सकेगा। साथ ही उनके खाने की आदत भी बिगड़ने लगेगी।
(15) बच्चों को खाने की अहमियत समझाएं -
बच्चे को खाने की अहमियत के बारे में समझाएं। उन्हें सिखाएं कि खाना बर्बाद करना अच्छी आदत नहीं होती। उन्हें आवश्यकतानुसार ही भोजन परोसें। उन्हें पहली बार में उतना ही भोजन दें जितना वो खाना चाहते हैं। उनपर खाने को लेकर किसी प्रकार की ज़ोर-ज़बरदस्ती करने का प्रयास कतई ना करें। उन्हें शेयरिंग करना भी सिखाएं।
उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गईं बच्चों के खाने-पीने से जुड़ी आदतों की जानकारी से माता-पिता को मदद मिलेगी। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि बच्चा इन आदतों को धीरे-धीरे सीखेगा। इसलिए किसी भी प्रकार की जल्दबाज़ी न करें और बच्चों को डांटें नहीं। खाने की अच्छी आदतों के साथ बच्चों में अच्छे व्यवहार संबंधी गुण भी देने की कोशिश करें।
उम्मीद है कि यह लेख "बच्चों को सिखाएं खानपान संबंधी ये 15 अच्छी आदतें (bachchon ko sikhayen khanpan se judi ye 15 achchi aadatein)" आपके लिए उपयोगी साबित होगा। ऐसे ही दिलचस्प आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारी 'चहलपहल' वेबसाइट visit करते रहें।
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