आप जानते हैं कि इस कोरोनाकाल के दौरान जहां एकल परिवार असहाय होकर टूट गए वहीं संयुक्त परिवार में रहने वालों को साहस और साथ मिला। जिस वजह से उन्हें ऐसी विकट परिस्थिति में मानसिक और आर्थिक सहयोग भरपूर मिला।
दोस्तों अगर हम वर्तमान से महज़ 20-30 साल पीछे जाकर, विशेषकर संयुक्त परिवार के प्रचलन के समय को देखेंगे तो पता चलेगा कि उस समय संयुक्त परिवार के प्रचलन के पीछे अर्थव्यवस्था का कृषि पर आधारित होना होता था। लोग मिलजुलकर खेती करते थे। जब कृषि कार्य होता था तब बच्चों की देखभाल परिवार के ही दूसरे सदस्य कर लिया करते थे। मगर फ़िर समय बदला और लोग कामकाज, रोज़गार की तलाश में शहर, प्रान्त, देश, विदेश में जाने लगे।
फलस्वरूप परिवार टूटा और एकल परिवारों का प्रचलन बढ़ने लगा। आजकल माता-पिता दोनों ही काम करते हैं जिसका नतीजा यह होता है कि बच्चों की देखरेख के लिए घर में कोई उपलब्ध नहीं होता। यह बात अलग है कि आजकल शहरों में बच्चों की देखरेख के लिए विभिन्न संस्थाएं होती हैं जहां माता-पिता काम पर जाते वक्त अपने बच्चों को छोड़ जाते हैं और वापस आते वक्त साथ ले जाते हैं।
आज के समय में लोग मजबूरन नौकरी या काम के लिए बाहर जाकर रहते हैं फिर आर्थिक रूप से सशक्त होने के बाद भी वे एकल ही रहना पसंद करते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि उनके बच्चे भी परिवार के साथ मिलकर रहने से वंचित रह जाते हैं। कभी-कभी तो माता-पिता के कंट्रोल से बाहर निकल जाते हैं। कारण होता है माता-पिता का उनके लिए टाईम न होना। बच्चे अकेलेपन के शिकार हो जाते हैं। फलस्वरुप उन्हें डिप्रेशन होने लगता है। फ़िर वे इंटरनेट का सहारा लेते है। जहां वे एक काल्पनिक दुनियां से जुड़ जाते हैं। काल्पनिक दोस्त, काल्पनिक सलाहकार। जहां वे अपनी समस्याएं साझा करने लगते हैं जो कि उन्हें नहीं करना चाहिए।
संयुक्त परिवार और एकल परिवार का अंतर आप इसी बात से लगा सकते हैं कि आपका बचपन किस तरह बीता और आपके बच्चों का बचपन किस तरह बीत रहा है। तब आपको संयुक्त परिवार के फ़ायदे ज़रूर याद आएंगे। बच्चों के लिए संयुक्त परिवार के फ़ायदों के बारे में इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे।
संयुक्त परिवार में रहने के फ़ायदे | Benefits of living in a joint family in hindi
What are the benefits of a joint family in hindi? इस सवाल के जवाब में हम आपको बताना चाहेंगे कि संयुक्त परिवार में रहने के फ़ायदे benefits ज़्यादा हैं। आप तो जानते ही हैं कि इस कोरोनाकाल के दौरान जहां एकल परिवार असहाय होकर टूट गए वहीं संयुक्त परिवार में रहने वालों को साहस और साथ मिला। जिस वजह से उन्हें ऐसी विकट परिस्थिति में मानसिक और आर्थिक सहयोग भरपूर मिला।
संयुक्त परिवार के फ़ायदों में सबसे पहले आती है बच्चों की परवरिश। जो कि संयुक्त परिवार में ज़्यादा बेहतर ढंग से हो पाती है। आइये देखते हैं ऐसे ही कुछ विशेष फ़ायदे Joint Family Advantages Points जो बच्चों के लिए संयुक्त परिवार से मिलते हैं-
संयुक्त परिवार में बच्चों को मिलता है भरपूर प्यार
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परिवार के साथ घूमने फिरने का मिलता है मौक़ा
आजकल की आपाधापी भारी ज़िंदगी में आपने महसूस किया होगा कि काम का दबाव, डिप्रेशन आदि में आप जब स्वयं तनाव में होते हैं तो बच्चों पर भी तनाव का बराबर असर दिखाई देता है। जबकि ऐसे हालातों में आपके साथ-साथ आपके बच्चों की मानसिकता और हेल्थ का ध्यान रखना ज़्यादा ज़रूरी हो जाता है। संयुक्त परिवार में आपकी इस परेशानी का बड़ी ही आसानी से समाधान हो जाता है। सबके साथ रहने से आपको मानसिक सबलता के साथ-साथ कहीं घूमने-फिरने से मन बहलाने का अवसर मिल जाता है। सबके साथ पिकनिक या सैर सपाटे के बहाने आपके और आपको बच्चों का मन भी तनाव से मुक्त हो जाता है।
संयुक्त परिवार में ज़िम्मेदारी का बोझ होता है हल्का
यदि आप संयुक्त परिवार में हैं तो आपको परिवार के सभी कार्यों को ख़ुद ही करने का टेंशन नहीं होता। जबकि वही टेंशन एकल परिवार में रहने से बढ़ जाता है। इस तरह आपके बच्चों में भी किसी भी पारिवारिक कार्य को सामूहिक यानी कि सबके साथ मिलकर करने की भावना का विकास होता है। जो कि आगे चलकर आपके बच्चों के जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है।
बच्चे सीखते हैं बांटना और एक दूसरे की परवाह करना
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और परिवार से अलग-थलग रहकर मतलबी और किसी और कि परवाह न करने की तो जैसे आदत ही बनती जा रही है। इसीलिए संयुक्त परिवार में रहने से बचपन से ही बच्चों को मिल-बांटकर रहना, खाना-पीना सिखाया जाता है। सबकी परवाह करना और भावनात्मक रूप से एक दूसरे से जुड़े होना ही आपके बच्चों को एक ज़िम्मेदार इंसान बनने में मदद करता है। जो कि एकल परिवार में देखने नहीं मिलता।
विपत्ति के वक्त पारिवारिक मदद भी मिल जाती है
कोरोना काल इसका एक प्रबल उदाहरण बनकर उभरा है। आप बेहतर जानते है कि किस तरह परिवार के साथ रहने का फ़ायदा इस कोरोनाकाल में मिला है। मानसिक-आर्थिक विपत्ति में जिन्हें परिवार का साथ मिला वो कोरोनाकाल में अधिक हिम्मत से खड़े पाए गए और उन्होंने निडर होकर इस महामारी के विकट दौर का सामना किया। यही सीख आपके बच्चों को भी मिली होगी। बच्चे बड़े होकर परिवार के साथ मिलकर रहने का महत्व समझ पाएंगे।
बड़े बुज़ुर्गों का अनुभव बच्चों के काम आता है
आपने देखा होगा कि संयुक्त परिवार में बड़े बुजुर्ग जैसे दादा-दादी अपने नाती-पोतों को अपने जीवन के छुए-अनछुए अनुभवों को सीख के तौर पर सुनाते रहते हैं। जिस वजह से बच्चे पहले से ही इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए तैयार रहते हैं। जो कि परिवार से अलग रहकर आपके बच्चे इन पहलुओं से अनछुए राह जाते हैं। जिसका नुकसान संभवतः बड़े होकर झेलने की संभावना ज़्यादा बन जाती है।
बच्चे नहीं हो पाते अकेलेपन के शिकार
आजकल एकल परिवारों के दौर ने बच्चों को अकेलेपन का शिकार बना दिया है। उस पर परिवरिश की कमी की वजह से बच्चे अनैतिक कार्यों में लिप्त होते चले जाते हैं। माता-पिता दोनों ही कामकाजी होने के कारण अपने बच्चों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते। लेकिन संयुक्त परिवार में बच्चों पर बड़े बुजुर्गों से लेकर अन्य सदस्यों का भी ध्यान होता है। जिस कारण उनको अकेलेपन से कभी जूझना नहीं पड़ता। उन्हें शुरू से ही अच्छे बुरे की समझ होती है। अगर कोई समस्या आ भी जाए तो परिवार के अन्य सदस्य बच्चों की समस्या का समाधान चुटकी में निकाल लेते हैं।
बच्चे संयुक्त परिवार में सीखते हैं बड़ों का आदर करना
एकल परिवार में बच्चे सम्मान करना नहीं जानते यह कहना सही नहीं है। मगर ऐसे बच्चों का औसत कम ही होता है। बल्कि संयुक्त परिवार में पले-बढ़े बच्चे बड़ों का आदर करना, उनका अदब करना, बड़ों की आज्ञा का पालन करना, उनके सामने व्यर्थ की बातें न करना आदि सीखते हैं। जिससे उनके व्यक्तित्व का निर्माण होता है। इस तरह के संस्कार एकल परिवार में कम ही देखने मिलते हैं।
बच्चे व्यवहारिक शिक्षा और संस्कार सीखते हैं
एकल परिवार में रहने वाले लोग अपने बच्चों को बड़े से बड़े स्कूलों में पढ़ाने का प्रयास कर तो लेते हैं लेकिन अपने बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा और अच्छे संस्कार देने में पीछे रह जाते हैं। कारण होता है उनका अपने बच्चों के साथ समय ज़्यादा व्यतीत न करना। जिस कारण बच्चे ज़िद्दी और स्वार्थी किस्म के बन जाते हैं। जबकि संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चों में शालीनता और व्यवहारिक शिक्षा के साथ-साथ बुज़ुर्गों द्वारा दिये गए अच्छे संस्कार भी झलकते हैं।
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बच्चे एकांतप्रिय न होकर सबके बीच मिलकर रहना सीखते हैं
संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चे एकल परिवार के बच्चों की एकांतप्रिय मानसिकता के विपरीत होते हैं। अर्थात ये सामाजिक (सोशल) होते हैं। उन्हें भलीभाँति पता होता है कि अलग-अलग उम्र के लोगों के साथ कैसे तालमेल बनाया जाता है। जहां एकांतप्रिय बच्चे किसी के साथ घुलने-मिलने में कठिनता महसूस करते हैं। वहीं संयुक्त परिवार के बच्चे जल्दी ही सभी से घुल-मिल जाते हैं। किसी कार्यक्रम आदि में आए सभी बच्चों, बड़ों से घुल-मिलकर अपना वर्चस्व स्थापित कर लेते हैं। संयुक्त परिवार में रहने का यह सबसे बड़ा फ़ायदा है।
बच्चों को मिलती है बेहतकर सामाजिक सुरक्षा
एकल परिवार में रहने से जहां लोग सामाजिक तौर पर जहां कम जुड़ाव महसूस करते हैं। वहीं संयुक्त परिवार में रहने वाले लोगों और उनके बच्चों को सामाजिक सुरक्षा का एहसास ज़्यादा होता है। ख़ासकर किसी दुर्घटना, आपदा आदि के समय परिवार की महत्ता ज़्यादा स्पष्ट होती है। इसके अलावा अनाथ, विधवा, तलाकशुदा या अलग रहने वाले लोग संयुक्त परिवार के महत्व को भली प्रकार समझ सकते हैं।
बच्चे मूलभूत सुविधाओं के बीच जीवन में संतोष करना सीखते हैं
संयुक्त परिवार में रहने से एक बाद फ़ायदा यह मिलता है कि बच्चे मूलभूत सुविधाओं और आडंबरों के बीच अंतर करना सीख जाते हैं। उन्हें संतुष्टि की परिभाषा का ज्ञान हो जाता है। आपस में भावनात्मक रूप से रहते हुए सभी के हितों की रक्षा करना सीख जाते हैं। यही कारण है कि संयुक्त परिवार में पले-बढ़े बच्चों में मानसिक कर शारीरिक सबलता पायी जाती है।
सबका साथ बच्चों के लिए त्योहार जैसा होता है
बच्चों के लिए दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि ऐसे रिश्ते होते हैं जो भावनात्मक रूप से काफी ज़्यादा जुड़े होते हैं। जो कि आजकल एकल परिवार के चलते ऐसा स्वर्ग जैसा माहौल ग़ायब सा हो गया है।
संयुक्त परिवार में रहने के नुक़सान | Disadvantages of living in joint family in hindi
संयुक्त परिवार में रहने के अनेक फ़ायदे तो है लेकिन कुछ नुकसान भी झेलने पड़ते हैं। जिस वजह से लोग एकल परिवार की ओर ज़्यादा आकर्षित होने लगे हैं। आइये देखते हैं कि जॉइन्ट फेमिली के नुकसान कौन कौन से हैं-
(1) आजकल अधिकांश लोग अपने जीवन में कुछ प्राईवेसी चाहते हैं। जो एक वजह हो सकती है एकल परिवार की तरफ आकर्षित होने की।
(2) शोरगुल और हर समय आसपास लोगों की भीड़ मौजूद होना भी अशांत मन को शांत करने के लिए बाधक होता है। शायद एक वजह यह भी हो सकती है।
(3) बड़े परिवार की बात करें तो इसमें आप अपने छोटे-मोटे निर्णय भी अकेले ले नहीं सकते। इसके लिए सभी बड़ों की हामी की आवश्यकता होती है। मसलन शादी-ब्याह का मामला हो, कोई कोर्स करना हो, कहीं आना जाना हो। ऐसे अनेक फ़ैसले आप परिवार के अन्य सदस्यों की हामी के बिना स्वतंत्र रूप से नहीं ले सकते।
(4) अगर आप कमाने वाले हैं तो आपको भी सभी की थोड़ी-थोड़ी ज़िम्मेदारी लेनी ही होती है। घर मे छोटा-मोटा कोई भी कार्यक्रम हो तो उसमें आर्थिक रूप से आपको न चाहकर भी मदद करनी ही पड़ती है। ऐसे में आपको आर्थिक बोझ सहना पड़ता है। जो कि आज की मँहगाई के दौर में आपके लिए एकल परिवार की ओर आकर्षित होने का कारण होता है।
(5) संयुक्त परिवार में यदि अन्य बच्चों की आदतें अलग हों और आप अपने बच्चे को इन आदतों से अलग रखना चाहते हैं लेकिन आप मजबूरन ऐसा नहीं कर सकते। क्योंकि आपके बच्चों की परवरिश कई हाथों में होती है जिस कारण आपका कंट्रोल न के बराबर होता है।
दोस्तों हम आपको यही कहना चाहते हैं कि दुनिया चाहे जितनी बदल जाये। आप अपनी लाइफ़स्टाइल चाहे जितनी चेंज कर लें। लेकिन संयुक्त परिवारों के फ़ायदों के सामने एकल परिवारों के फ़ायदे कम ही जान पड़ते हैं। बस आप, हम सभी को मिलकर कुछ कमियों को दूर करना होगा। और आज के दौर में बच्चों के अकेलेपन को दूर करने के लिए, अच्छी परवरिश, अच्छे संस्कार दिलाने के लिए संयुक्त परिवार के फ़ायदों को स्वीकारना होगा।
तभी हम फेसबुक, व्हाट्सएप्प, यूट्यूब के ज़माने की नई पीढ़ी के बच्चों को सही राह पर चलने, ग़लत रास्तों में भटकने से बचा सकते हैं। ये तभी संभव है जब इन्हें अकेलेपन का एहसास न सताए। और ये अकेलापन संयुक्त परिवार ही दूर कर सकता है। बच्चों को अकेले रहने के बजाय मिल जुलकर रहना सिखाएं। ताकि परिवार की ताक़त को बच्चे समझ सकें।
उम्मीद है आपको हमारा यह लेख "क्या संयुक्त परिवार में बच्चों का विकास उचित प्रकार से होता है?" Article on benifits of living in a joint family in hindi ज़रूर पसंद आया होगा। इस लेेेख से संबंधित आप अपने विचार निश्चित तौर पर हमसे साझा कर सकते हैं। मिलते हैं किसी और दिलचस्प आर्टिकल के साथ!!!
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