कैसे करें बच्चों के लिए सही स्कूल का चुनाव? जानिए ये 10 तरीक़े | How to choose right school for your child in hindi

अपने बच्चों के लिए सही स्कूल का चुनाव कैसे करें | बच्चों के लिए सही स्कूल चुनने के 10 बेस्ट तरीक़े | बच्चों के लिए स्कूल का चयन करते समय किन किन बातों का ध्यान रखें?


बच्चों के लिए सही स्कूल का चुनाव कैसे करें?

दोस्तों, आज के दौर में अपने बच्चों के लिए सही स्कूल  का चुनाव करना किसी चुनौती से कम नहीं है। आजकल शिक्षा के क्षेत्र में कांपीटिशन इतना बढ़ गया है कि अपने बच्चों के लिए सही स्कूल का चयन (bachcho ke liye sahi school ka chahan) करना कठिन हो गया है। दरअसल हर मां-बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण करें। और अपना भविष्य बेहतर से बेहतर बना सकें।

वैसे भी हमारे देश में बहुत से ऐसे स्कूल हैं, जिनकी फीस इतनी ज़्यादा है, कि कोई सामान्य व्यक्ति उसमें अपने बच्चों को पढ़ाने की सोच भी नहीं सकता है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि माता पिता, बच्चों के लिए सही स्कूल का चुनाव कैसे करें (bachcho ke liye sahi school ka chunav kaise karen?) आज हम इस लेख के माध्यम से बच्चों के लिए स्कूल चुनने के बेस्ट तरीके क्या हैं? (bachcho ke liye school chunne ke best tarike kya hain?) विस्तार से जानेंगे।

बच्चों को जब शिक्षा ग्रहण करने किसी स्कूल में भेजने कि बात होती है तब मां-बाप के लिए प्रथम चिंता यह होती है, कि उनके बच्चों के लिए बेस्ट स्कूल की तलाश कैसे करें (Bachcho ke liye best school ki talash kaise karen?) जो हर मायने में उनके लिए उपयुक्त हो और उनके भविष्य को संवारने में सक्षम हो और हो सके तो उनके बजट के अंदर भी आता हो।



अपने बच्चों के लिए बेस्ट स्कूल का चुनाव कैसे करें? (Apne bachcho ke liye beat school ka chunav kaise karen?)




अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए स्कूल का चयन (school ka chayan) करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखें -

1. स्कूल और बोर्ड की जानकारी –

जिस किसी भी स्कूल में आप अपने बच्चों का एडमिशन कराएं तब विशेष तौर पर इस बात का ध्यान रखें कि वह स्कूल, राज्य या राष्ट्रीय एजुकेशन बोर्ड से मान्यता प्राप्त होना चाहिए। क्योंकि राज्य या राष्ट्रीय एजुकेशन बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों का पाठ्यक्रम (curriculum) सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों से मिलता जुलता रहता है। 

ऐसे में यदि आपको किसी कारणवश स्कूल बदलना पड़ जाए तो याद रखें कि पिछला स्कूल और नया एक ही बोर्ड से मान्यता प्राप्त हो। उदाहरणार्थ : यदि आपके बच्चे का पिछला स्कूल सीबीएसई बोर्ड वाला हो, तो नया स्कूल भी सीबीएसई बोर्ड से ही मान्यता प्राप्त हो। ताकि आपके बच्चे को पाठ्यक्रम (syllabus) बदलने से किसी भी प्रकार की दिक़्क़त ना हो।


2. घर से स्कूल की दूरी जितना हो सके कम हो –

अक़्सर स्कूली प्रतियोगिता के चलते मां-बाप अपने बच्चों का एडमिशन घर से इतनी दूर करवा देते हैं, कि उनको ट्रैवलिंग करने में ही ज़्यादा समय लग जाता है। जिससे बच्चा काफ़ी थक जाता है। परिणाम यह होता है कि बच्चा अपनी पढ़ाई पर सही ढंग से ध्यान ही नहीं दे पाता है।

बच्चों के लिए पढ़ाई जितनी ज़रूरी है उतना ही बच्चों के लिए खेलकूद भी ज़रूरी है। बच्चों का सारा समय आने जाने में ही चला जाएगा तो बच्चे खेलकूद कब कर सकेंगे। ऐसे में उनका स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है। और तो और जब बच्चा बड़ी कक्षा में पहुंच जाता है तो उसको होमवर्क भी ढेर सारे मिलने लगते हैं। फ़िर समय के अभाव के चलते बच्चे को परीक्षा की तैयारी करने में भी समस्या होने लगती है।

इसीलिए बच्चे के एडमिशन के समय सभी नज़दीकी अच्छे स्कूलों की लिस्ट बनाएं और देखें कि कौन सा स्कूल सबसे अच्छा है और आपके घर से नज़दीक भी है। शुरू में कम से कम 5 स्कूलों की लिस्ट ज़रूर बनाएं जो आपके घर से सबसे नज़दीक हों जहां आपके बच्चे को अच्छी शिक्षा मिल सके।


3. स्कूल में बुनियादी सुविधाएं अवश्य हों – 

बच्चों का ज़्यादातर समय स्कूल में ही बीतता है इसलिए अभिभावकों को यह देखना ज़रूरी है, कि उनके बच्चों के लिए स्कूल में एजुकेशन के साथ-साथ मनोरंजन एवं एक्स्ट्रा केरिकुलम के लिए उचित व्यवस्थाएं भी मौजूद है या नहीं। बच्चों के लिए एजुकेशन तो सर्वोपरि है ही। लेकिन इसके साथ ही स्कूल में कंप्यूटर लैब लाइब्रेरी, ऑडिटोरियम, प्ले ग्राउंड स्विमिंग पूल, इंडोर गेम्स की सुविधाएं हों तो और भी बेहतर होगा। 

कुछ बुनियादी सुविधाएं जैसे कि वॉशरूम टॉयलेट, पीने के लिए शुद्ध पानी एवं मेडिकल की सुविधाएं उपलब्ध होना बेहद ज़रूरी होता है। इन सभी चीज़ों को बिल्कुल भी इग्नोर करना नहीं चाहिए। बल्कि अपने बच्चों की सुविधा सर्वप्रथम ध्यान रखना चाहिए।


4. स्कूल में टीचर पोलाइट स्वभाव वाला हो –

बच्चा जब पहली बार मां का आंचल और घर का माहौल छोड़कर स्कूल पहुंचता है तो उसके लिए स्कूल में समय बिताना दूभर हो जाता है। इसके लिए ज़रूरी है कि उसे स्कूल में शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा कम से कम उतना लाड़ प्यार तो मिलना ही चाहिए जितना घर में परिवार और उसकी मां से मिलता रहा है।

हालांकि बच्चों के लिए स्कूल में इतना कुछ संभव नहीं है। लेकिन बच्चों के साथ प्यार से पेश आने से बच्चों का स्कूल में मन लगने लगता है। दरअसल बच्चा स्कूल में ही उठना, बैठना, बात करना और अनुशासन (discipline) आदि सीखता है। इसलिए स्कूल में बच्चे को लाड़-प्यार करने वाले टीचर होने चाहिए जो बच्चों को सिर्फ़ डांटने मारने के बजाय प्यार से हैंडल करने वाले हों।

बच्चों से मारपीट या ज़बरदस्ती करने से बच्चे उग्र स्वभाव वाले हो जाते हैं। जिससे बच्चों के अंदर नकारात्मक स्वभाव उत्पन्न होने लगता है, और वे किसी की भी बात को नहीं सुनते है।


5. बच्चों की सुरक्षा के दृष्टि से अच्छा हो –

बच्चों को स्कूल भेजते समय माता पिता के लिए उनकी सुरक्षा, सबसे पहली प्राथमिकता होती है। हालांकि स्कूलों में उनको किसी भी तरीक़े का नुक़सान होने का ख़तरा लगभग ना के बराबर रहता है। परंतु जब स्कूली बच्चों से संबंधित किसी भी प्रकार की ख़राब ख़बरें आती हैं तो पेरेंट्स का चिंतित हो जाना लाज़मी है।

इसीलिए माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे को ऐसे स्कूल में एडमिशन करवाएं जहां पर स्कूल में कैमरा हो और अनजान लोगों को स्कूल के अंदर आना संभव ना हो। इतना ही नहीं बल्कि बच्चों को ज़रूरत पड़ने पर सेहत संबंधी सुविधाएं भी जल्दी मिल सके।


6. स्कूल की फीस सुविधाजनक हो –

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आजकल शिक्षा का क्षेत्र भी व्यवसाय बन कर रह गया है। जिस कारण आज की महंगाई के दौर में शिक्षा ग्रहण करना बहुत ही ज़्यादा महंगा हो गया है। यदि आप अपने बच्चों के लिए किसी भी प्रकार के एडमिशन के लिए स्कूल का चयन कर रहे हैं तो अपने बजट को ध्यान में रखकर इसका चयन करें। 

यह धारणा बिल्कुल न बनाएं कि जहां पर ज़्यादा फीस लगती है वहीं पर शिक्षा ज़्यादा बेहतर होती है। बल्कि ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जहां कम फीस वाले स्कूलों में भी छात्रों को उच्च स्तर की शिक्षा प्रदान की जाती है। इसलिए बाहरी आडंबरों और भ्रामक सलाहों से बचकर, स्वयं रिसर्च कर, सोच समझकर फैसला लें।


7. बच्चों के लिए सब्जेक्ट चुनने की आज़ादी हो –

किसी भी स्कूल में अपने बच्चों का दाखिला कराने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा किस विषय को पढ़ने में ज़्यादा रुचि रखता है। किस विषय में वह ख़ुद को ज़्यादा मज़बूत मानता है। इन सभी बातों को देखते हुए ही अपने बच्चों के लिए स्कूल का चयन करना चाहिए। कुछ ऐसे ही स्कूलों की लिस्ट तैयार कर लें जिसमें आपके बच्चे के पसंदीदा विषय पढ़ाये जाते हों। 

यदि आप के अगल-बगल में कोई बच्चा ऐसा हो जो किसी ऐसे स्कूल में पढ़ रहा हो जहां आपके बच्चे का पसंदीदा विषय भी पढ़ाया जा रहा हो। तो उस स्कूल की पड़ताल अवश्य कर लें। स्कूल सही हो तो दाखिला अवश्य करवाएं क्योंकि इससे आपके बच्चे के लिए एक साथी मिल जाएगा और इससे आपके बच्चे को हेल्प भी मिल जाया करेगी।


8. बच्चे को ट्यूशन की आवश्यकता ना हो -

अपने बच्चों के लिए ऐसे स्कूल का चयन करें जहां पर सभी विषयों का ठीक तरह से अध्ययन करवाया जाता हो। ऐसा स्कूल कभी भी न करें जिसमें आपके बच्चे को अनिवार्य रूप से ट्यूशन पर निर्भर रहना पड़े। क्योंकि आजकल कई स्कूलों में टीचर्स, ट्यूशन के लालच में सभी विषयों का सही तरीक़े से अध्ययन नहीं करवाते हैं। ताकि उनकी एक्स्ट्रा इनकम भी बनी रहे। 

अपने बच्चे के लिए आपको स्कूल की सारी फीस भी वहन करना पड़े और उन्हीं विषयों को अच्छे से पढ़ने के लिए ट्यूशन फीस भी अलग से चुकाना पड़े। इससे बेहतर तो यही होगा कि आप ऐसे स्कूल का चयन करें जहां पर आपके बच्चों के लिए शिक्षा का स्तर उत्कृष्ठ हो। जहां सभी विषयों का अध्ययन कक्षा में ही अच्छी तरह करवाया जाए।

9. बच्चों के लिए अच्छा केरिकुलम भी ज़रूरी – 

बच्चों के जीवन में पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद का भी अपना एक विशेष महत्व होता है। इसलिए ऐसे स्कूल का चयन करें जहां पर पढ़ाई के साथ-साथ एक्स्ट्रा केरिकुलम भी करवाया जाता है। जैसे- स्कूल में स्पोर्ट्स, फिजिकल एक्टिविटी, ड्रामा, म्यूजिक, एंटरटेनमेंट, डिबेट, कविताएं या कहानियां आदि एक्टिविटी भी एक्स्ट्रा केरिकुलम के अंतर्गत करवायी जाती हो। एक्स्ट्रा केरिकुलम करवाने से छात्रों के अंदर मानसिक एवं शारीरिक रूप से विकास होता है। इन सभी चीज़ों से आपके बच्चों का सम्पूर्ण विकास होता है।


10. भरोसेमंद व अच्छे मार्गदर्शक टीचर हों -

आजकल सभी माता-पिता यह चाहते हैं कि उनका बच्चा आजकल की प्रतियोगिता भरे माहौल में, तमाम तनाव झेलते हुए मज़बूती से खड़ा हो सके और अपना एक अलग मुक़ाम हासिल कर सके। इसके लिए यह ज़रूरी है कि उस स्कूल में ऐसे टीचर हों जो एजुकेटेड होने के साथ साथ केयरिंग, सकारात्मक, भरोसेमंद तथा बच्चों को प्रेरित करने वाले हों। जो पढ़ाई के साथ साथ बच्चों को जीवन का व्यावहारिक ज्ञान भी दे सके। ताकि बच्चे स्कूल से निकलकर, अपने जीवन में आने वाले उतार चढ़ावों से मुक़ाबला करना सीख सकें।

बच्चों का भविष्य संवारने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। टीचर चाहे सकारात्मक अथवा नकारात्मक विचारधारा के हों। उनका विद्यार्थियों पर भरपूर असर दिखाई देता है। इसलिए एक अच्छा शिक्षक अपने छात्रों को सामाजिक एवं मानसिक रूप से मज़बूत करने के लिए पूरे उत्साह से प्रेरित करता है। बच्चों को खाने-पीने, रहने से लेकर बातचीत करने के तौर तरीक़े सिखाता है। ताकि वे समाज में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाने में सक्षम हो सकें।

उम्मीद है आपको हमारा यह लेख "बच्चों के लिए स्कूल चुनने से पहले इन 10 बातों का रखें विशेष ध्यान।" ज़रूर पसंद आया होगा। आशा करते हैं यह लेख आपके बच्चों के लिए सही स्कूल का चुनाव (bachcho ke liye sahi school ka chunav) करने में अवश्य मददगार साबित होगा। आप चाहें तो इसे अपने दोस्तों को ज़रूर शेयर कर सकते हैं।

(- By Alok)


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