परीक्षा के दिनों में बच्चों का ख़्याल कैसे रखें? | बच्चों की परीक्षा के दिनों में पेरेंट्स रखें इन 12 बातों का विशेष ध्यान

परीक्षा का नाम सुनते ही विद्यार्थियों की भौहें तनकर खड़ी हो जाया करती हैं। इन्हें परीक्षा एक प्रकार का बोझ लगने लगता है। परीक्षा की टेंशन में विद्यार्थी अनाब-शनाब सवाल सोचने लगते हैं। यहाँ तक कि बाक़ी लोगों से मिलना जुलना भी बंद कर देते हैं।




इन दिनों बच्चों की परीक्षाएं या तो शुरू हो चुकी हैं या कुछ दिनों में शुरू होने वाली हैं। ऐसे में इन दिनों कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है, जिससे उनका रिज़ल्ट अच्छा हो और साथ ही उनकी सेहत भी ठीक ठाक बनी रहे।

वैसे देखा जाए तो इस तरह के डर का सामना हर किसी को  कभी न कभी करना ही पड़ता है। इन्हीं संघर्षों से उबरकर जीवन में नई ऊँचाइयों को पाना होता है। बच्चे परीक्षा के दौर से गुज़रते-गुज़रते तमाम कठिनाइयों से जूझते रहते हैं।

ज़रूरत होती है तो बस उन्हें प्रोत्साहन की। अभिभावकों के द्वारा उनमें नई उमंगों के साथ-साथ उनके अंदर दबे हुए आत्मविश्वास को बढ़ाने की। आज इस अंक में हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स देने जा रहे हैं जिसमें आप अपने बच्चों को परीक्षा के दिनों में होने वाली समस्याओं से जूझना सिखा सकेंगे।


आप उन पर एक ज़िम्मेदार पेरेंट्स की तरह ध्यान दे पाएंगे। ताकि आपके बच्चे पूरे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा हॉल में बेहतर परफॉर्मेंस देने खुशी-खुशी जा सकें। तो चलिए बिना देर किये जानते हैं कि परीक्षा के दिनों में बच्चों के लिए पेरेंट्स क्या करें? (Pariksha ke dino me bachchon ke liye parents kya karen?)



बच्चों की परीक्षा के दिनों में अभिभावक इन बातों का रखें ध्यान (Parents should keep these things in mind during the examination days of children in hindi)  



(1) सहुलियत के हिसाब से टाईम टेबल बनाएं - 
बच्चों की परफॉर्मेंस सुधारने के लिए पेरेंट्स अपने बच्चों के time management में सहायता करें। बच्चों की सहूलियत के हिसाब से time table बनाएं। पढ़ाई के अनुसार 7 से 8 घंटों की नींद और लगभग 1 घंटे का खेलना भी शामिल करें। 

(2) बच्चों को समझने का प्रयास करें -
बच्चों की मनोस्थिति को समझने का प्रयास करें। बच्चे यदि किसी समस्या के बारे में बताना चाह रहे हों तो उनकी बातें ध्यान पूर्वक सुनें और समझें। परीक्षा के दिनों में बच्चे अक्सर अत्यधिक तनाव से गुज़रते हैं। वे अपनी घबराहट को किसी से शेयर नहीं कर पाते। जिसका परिणाम घातक हो सकता है। 

(3) पढ़ाई के समय बच्चों को अकेला न छोड़ें -
बच्चा जब पढ़ाई कर रहा हो तब उसे अकेला कतई न छोड़ें। उसके इर्द-गिर्द मौजूद रहें ताकि बच्चे को पढ़ाई से बोरियत महसूस न हो। इस करने से बच्चे का मन पढ़ाई में लगा रहेगा। बच्चों को पढ़ने के लिए मोटिवेट करने का सबसे बेहतर तरीका यही है। ऐसे समय में फ़ोन या लैपटॉप में व्यस्त रहने के बजाय आप उसकी मदद करें।

(4) बच्चों की तुलना किसी से न करें -
बच्चों की कभी दूसरों से तुलना न करें। ऐसा करने से उसका परफार्मेंस और आत्मविश्वास दोनों ही कम होंगे। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि जिन बच्चों के कम नम्बर आते हैं। अधिकतर ऐसे ही बच्चे सफ़ल होते हैं। बस ज़रूरत होती है उन्हें उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की।

(5) बच्चों को दोस्त बनाएं -
बच्चों के साथ मित्र जैसा व्यवहार रखें। ताकि बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ सके। आपके इस व्यवहार से बच्चा आपके साथ अपने दिल की हर बात कहना शुरू कर देगा। फलस्वरूप आप अपने बच्चों की समस्याओं को भलीभाँति जान सकेंगे। साथ ही संभावित निराकरण का प्रयास कर सकेंगे।

(6) बच्चों को तनाव से दूर रखने का प्रयास करें -
परीक्षा के दौरान देखा जाता है कि विद्यार्थियों की धड़कनें तेज़ होने लगती हैं। यानि कि उनका दिल तेज़ी से धड़कने लगता है। ऐसा इसीलिये होता है क्योँकि परीक्षा को लेकर उनके मन में तरह-तरह के संशय और घबराहट छिपी होती है।

इससे बचने के लिए बच्चों को गहरी साँस लेने के लिए कहें। थोड़ी देर खुली हवा में टहलने दें। हो सके तो पढ़ाई में छोटे छोटे ब्रेक सेट करवाएँ। ऐसा करने से उन्हें बोरियत महसूस नहीं होगी।

(7) बच्चों के अनुरूप ही उनकी क्षमता बढ़ायें -
आपको यह समझना होगा है कि आपके बच्‍चे की सीखने और याद करने की क्षमता कैसी है। यही कि उसे बोल-बोल कर या लिख-लिख कर जल्‍दी याद होता है। इससे आपके बच्चे को परीक्षापयोगी मेटर याद करने में आसानी होगी।


(8) बच्चों पर अनावश्यक दबाव न डालें - 
ज़िंदगी में हार जीत तो लगी रहती है। बच्चों पर इतना दबाव न डालें कि आपका बच्चा फेल हो जाने के डर से अपना संतुलन खो बैठे। और असफ़ल हो जाने पर खुद के साथ कोई ग़लत क़दम न उठा ले।

(9) बच्चों को चाय कॉफी देने से बचें -
चाय कॉफी में कैफ़ीन होता है। इससे नींद तो नहीं आती लेकिन थोड़ी देर बाद बच्चों का एनर्जी लेवल ज़रूर कम हो जाता है। और तो और थकान महसूस होने लगती है। इससे बेहतर तो यही है कि बच्चों को पानी ख़ूब पीना सिखायें। पढ़ाई करते समय उनके पास में पर्याप्त रूप से पानी रखें।

(10) अच्छी नींद से बढ़ती है याद करने की क्षमता -
आंकलन किया जाए तो शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त नींद ज़रूरी है। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे परीक्षा के समय भी पर्याप्त रूप से 7-8 घंटे नींद लें। इससे उन्हें अगले दिन भरपूर ताज़गी मिल सकेगी। 

कुछ बच्चों की आदत होती है कि वे देर रात तक जागते हुए पढ़ते हैं। बच्चों को ऐसा करने से बचाएं। बल्कि रात में बच्चों को जल्दी सोने दें और सुबह जल्दी उठकर पढ़ने दें। दरअसल सुबह जल्दी उठकर पढ़ने से आपकी याद करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।

(11) बच्चों की सोच को सकारात्मक बनाये रखें - 
बच्चों को लगातार प्रेरित करें। उन्हें सकारात्त्मकता के साथ पढ़ाई करने का जज़्बा देते रहें। ताकि वे नई ताक़त के साथ exam की तैयारी में जुट जाएं और अपेक्षित सफ़लता प्राप्त कर सकें।

(12) बच्चों के खानपान का ध्यान रखें -
एग्जाम exam के दिनों में बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखें। सही और संतुलित खानपान होने से उनकी सेहत, याददाश्त और आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है।

उम्मीद है आपको इस अंक से परीक्षा के दिनों में बच्चों के साथ होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए टिप्स (Pariksha ke dino me bachcho ke sath hone vali samasyaon  जानने मिले होंगे। साथ ही आशा है कि आप इन दिनों अपने बच्चों का अच्छे से ज़रूर ध्यान रख पाएंगे।
(- By Alok)


Related Articles :


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने