अप्रैल फूल क्या है? जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत | मूर्ख दिवस का अर्थ क्या है? | April fool ka matlab kya hota hai?

दोस्तों! सबसे पहले तो आप सभी को अप्रैल फूल यानि मूर्ख दिवस (fool's day) की हार्दिक शुभकामनाएं। क्या करें! मूर्ख दिवस के अवसर पर आपको और क्या दें? तो सोचा मुबारक़बाद ही दे दें। आप स्वीकार कर लीजिए अगर विश्वास हो तो। क्योंकि आज के दिन वैसे भी किसी दूसरे की बातों पर यक़ीन करना मना है। लेकिन आज हम आपको सच में मूर्ख नहीं बना रहे हैं। बल्कि मूर्ख दिवस (april fool) के अवसर पर इस लेख के माध्यम से अप्रैल फूल का मतलब क्या है (April fool ka matalab kya hai?) पर दिलचस्प चर्चा करने वाले हैं। हमारे साथ लेख के अंत तक बने रहियेगा।

april fool ka matalab kya hai

अब हम आपसे कुछ पूछना चाहते हैं। क्या आपने कभी इस दिन किसी को बेवकूफ़ (fool) बनाया है? क्या इस दिन कभी किसी के द्वारा बेवकूफ़ (april fool) बनाये गए हैं? हमें यक़ीन है कि आपको अपने साथ बीते वाक़ये ज़रूर याद आ रहे होंगे। दरअसल हम सभी के साथ इस तरह के वाक़ये (किस्से) हो जाया करते हैं। जो कि मज़ेदार भी होते हैं और सालों तक याद भी रहते हैं। चलिए इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए अप्रैल फूल की meaning जानते हैं।


अप्रैल फूल क्या है? (What is fool's day in hindi?) ꘡ मूर्ख  दिवस क्या है?


अप्रैल फूल (April fool kya hota hai) यानि कि 1 अप्रैल का वो ख़ास दिन जिसमें हम आप, दिन भर सिर्फ़ इस बात से बचते रहते हैं कि कहीं कोई हमें बेवकूफ़ न बना दे। 1 अप्रैल का दिन दुनिया भर में मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाता है। कोई अपने आस-पास के लोगों को बेवकूूूफ़ बनाने का प्रयास करता है। तो वहीं हर शख़्स बेवकूफ़ बनने से बचता रहता है। इस दिन मिलने वाली किसी भी सूचना या बात को अक्सर बिना जाँच पड़ताल के गंभीरता पूर्वक नहीं लिया जाता।

अप्रैल फूल दिवस (April fool divas) के दिन हर कोई एक दूसरे के साथ मज़ाक करते हैं, ये बस हँसी मज़ाक तक ही सीमित होता है। इस दिन लोग आपस में एक दूसरे को हँसी मज़ाक में मूर्ख बनाते हैं लेकिन अन्य दिनों की तरह इस दिन मूर्ख बना व्यक्ति नाराज या गुस्सा नहीं होता और ये इस दिन की सबसे बड़ी ख़ासियत है। इस दिन आधिकारिक छुट्टी तो नहीं होती है, लेकिन लोग अपने दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी, ऑफिस के लोगों के साथ मस्ती करते हुए सेलेब्रेट करते हैं।

कभी-कभी इस दिन लोगों के साथ किया गया मज़ाक महंगा भी पड़ जाता है। अक़्सर लोग सामने वाले कि भावनाओं की परवाह किये बिना उसे बेवकूफ़ बनाने में लग जाते हैं। जिस कारण सामने वाले की नाराज़गी भी झेलनी पड़ती है। इसलिये आप से गुज़ारिश है कि मौक़े की नज़ाक़त को देखकर ही किसी से मज़ाक करें।


अप्रैल फूल बनाने के Ideas आइडियाज़

दोस्तों! आज हर कोई अप्रैल फूल (fools day) मनाने की तैयारी में लगा हुआ है। लेकिन कैसे? उसे यही बात किसी से शेयर नहीं करना है। चेहरे के हाव-भाव पर भी अच्छा ख़ासा कंट्रोल करना है ताकि किसी को भी पता ना चल पाये कि आज 1 अप्रैल है और हम सामने वाले को मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

आज सोशल मीडिया पर भी अप्रैल फूल के एक से बढ़कर एक मैसेज चल रहे हैं। कोई कॉल करके मूर्ख बना रहा है तो कोई मैसेज देकर। कोई मैसेज के ज़रिए मूर्ख बनाने के लिए आइडियाज़ दे रहा है तो कोई उन्हें फॉलो करने में भी पीछे नहीं हट रहा है।

कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जिन्होंने सोशल साइट्स पर अपनी प्रोफाईल में जन्म तारीख़ (date of birth) 1 अप्रैल डाल रखी है, ताकि मूर्ख दिवस के दिन ज़्यादा से ज़्यादा लोग उन्हें जन्म दिन की बधाईयाँ दें और वे एक साथ सभी को मूर्ख बना सकें। ओह्ह!! ये तो हमने नये तरीक़े से लोगों को मूर्ख बनाने का idea ही दे दिया।



अप्रैल फूल क्यों और कब मनाया जाता है? (Why and since when is April Fool celebrated in hindi)




जी हाँ दोस्तों! अप्रैल फूल क्यों और कब मनाया जाता है (April fool kyon aur kab manaya jata hai?) तो हम बता दें कि पश्चिमी देशों में अप्रैल फूूूल को all fool's day के नाम से भी जाना जाता हैं। वैसे तो 1 अप्रैल कोई आधिकारिक छुट्टी का दिन नहीं है लेकिन इस दिन को व्यापक रूप से एक के ख़ास दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है। व्यावाहारिक मज़ाक के साथ-साथ इस दिन एक दूसरे के साथ सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें भी की जाती हैं।
 
इस दिन दोस्तों, पड़ोसियों, परिजनों, सहकर्मियों, शिक्षकों आदि के साथ कई प्रकार की शरारतपूर्ण हरकतें और अन्य व्यावहारिक मज़ाक किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य होता है अनाड़ी लोगों को शर्मिंदा करना और बेवकूफ़ बनाना। 

हम आपको बता दें कि न्यूज़ीलैंड ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में इस तरह के मज़ाक केवल दोपहर तक, पारंपरिक तौर पर किये जाते है। यदि कोई दोपहर के बाद कोशिश करता है तो उसे "अप्रैल फूल" कहा जाता है।

हालांकि आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जापान रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, कनाडा, ब्राज़ील और अमेरिका में मज़ाक का यह सिलसिला पूरे दिन भर चलता रहता है।


अप्रैल फूल (मूर्ख दिवस) का इतिहास क्या है? (What is the history of April Fool in hindi?)

19वीं शताब्दी से अप्रैल फूल प्रचलन में है। 1 अप्रैल और मूर्खता के बीच सबसे पहला दर्ज किया गया संबंध चॉसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में पाया जाता है। कई लेखकों का है कि 16वीं सदी में एक छुट्टी का दिन निकालने के लिये एक जनवरी को न्यू ईयर्स डे के रूप में मनाये जाने का चलन शुरू किया गया था। हालांकि यह सिद्धांत पुराने संदर्भों का पूर्णतः उल्लेख नहीं करता है।

चॉसर की कैंटरबरी टेल्स (1392) एक कहानियों का ऐसा संग्रह थी। जिसमें एक कहानी "नन्स प्रीस्ट्स टेल" (नन की प्रीस्ट की कहानी) जिसमें कि 'सिन मार्च बिगन थर्टी डेज एंड टुके उल्लेख यानि कि मार्च के 30 दिन और 2 दिन में सेट थी।

संभवतः चॉसर के लिखने का मतलब मार्च के 32 दिन के बाद से यानि कि 2 मई से था। जो आगे चलकर अप्रैल फूल डे बन गया। दरअसल वह 1381 में सम्पन्न हुई इंग्लैंड के किंग 'रिचर्ड द्वितीय' की बोहेमिया की एन के साथ सगाई की सालगिरह की तारीख़ थी।

इसमें दिलचस्प मोड़ तब आया जब चॉसर के इस लेख को विद्वानों ने प्रिंटिंग की ही ग़लती मान लिया। विद्वानों का मानना था कि चॉसर ने वास्तव में मार्च ख़त्म होने के बाद के 32 दिनों का उल्लेख किया था। अब चूँकि विद्वानों ने प्रिंटिंग की ग़लती मान ही लिया था। इसलिए मार्च के 32 दिन यानि कि 32वें दिन को 1 अप्रैल मान लिया गया। 


बाद में 1508 में एक फ्रांसीसी कवि ने इस तिथि को अप्रैल फूल (प्वाइजन डी एवरिल) का नाम दिया। जिसका मतलब होता था 'अप्रैल फिश'। जहाँ अप्रैल फ़िश के माध्यम से एक संभावित छुट्टी की ओर इशारा किया गया था। जिसे 'अप्रैल फूल्स डे' के रूप में मनाने की बात कही गयी।



अप्रैल फूल से जुड़े कुछ दिलचस्प ऐतिहासिक क़िस्से


(1) 1539 में एक अमीर आदमी द्वारा 1 अप्रैल को अपने नौकरों को मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए भेजा गया था। 

(2) 1686 में जॉन ऑब्रे ने इस छुट्टी को "मूर्खों का पवित्र दिन" कहा जो कि पहला ब्रिटिश संदर्भ है।

(3) 1698 में 1 अप्रैल को ही कई लोगों को बेवकूफ़ बनाकर 'टॉवर ऑफ लंदन' ले जाया गया था। उन्हें यह बताया गया था कि वहाँ 'शेरों की धुलाई' की जा रही है।

(4) चूँकि अप्रैल फूल का नाम 'फीस्ट ऑफ फूल' की तरह सुनाई देता है जो कि मध्यकाल में 28 दिसम्बर को मनाया जाने वाला एक छुट्टी का दिन ही था। जिसे समारोह के रूप में मनाया जाता था।

(5) उस समय फ्रांस के कुछ हिस्सों में New years के रूप में सप्ताह भर चलने वाली छुट्टी होती थी जो 1 अप्रैल तक जाकर ख़त्म होती थी। इसे भी भव्य समारोह की तरह मनाया जाता था।

इसीलिए यह माना जा सकता है कि अप्रैल फूल्स की शुरुआत (April fool ki shuruvat) इसीलिए हुई थी कि जिन लोगों ने 1 जनवरी को इसे मना लिया था उन्हीं लोगों ने दूसरी तिथियों को यह दिन मनाने वालों का भरपूर मज़ाक उड़ाया था।

(6) 1915 में जर्मनी के लिले हवाई अड्डे पर एक ब्रिटिश पायलट ने एक विशाल बम फेंका। जिसे देखकर लोग इधर-उधर भागने और छुपने लगे। बहुत ज़्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी जब कोई धमाका नहीं हुआ तब लोगों ने वापस आकर देखा। तब पता चला कि वह बम नहीं बल्कि एक बड़ी फुटबॉल थी, जिस पर अप्रैल फूल लिखा गया था।

(7) 1996 में टैको बेल ने 'द न्यूयार्क टाइम्स' में विज्ञापन देकर यह घोषणा की थी कि उन्होंने देश पर कर्ज़ बढ़ने के कारण लिबर्टी बेल को ख़रीद लिया है और इसे "टैको लिबर्टी बेल" का नाम दिया है। जब बिक्री के बारे में पूछा गया तो व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव माइक मैककरी ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि लिंकन मेमोरियल भी बेच दिया गया है और अब इसे 'लिंकन मरकरी मेमोरियल' के नाम से जाना जाएगा।


(9) न्यूज़ीलैंड में रेडियो स्टेशन द एजेज मॉर्निंग मैडहाउस ने 1 अप्रैल को पूरे देश को यह जानकारी देने के लिए प्रधानमंत्री की मदद माँगी कि न्यूजीलैंड में सेलफ़ोनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इस नए क़ानून पर नाराज़गी ज़ाहिर करने के लिए सैकड़ों कॉलरों ने फ़ोन किया था।

(10) 1950 के दशक में इसी दिन डच टेलीविज़न न्यूज़ ने यह सूचना दी कि -'पीसा की मीनार गिर गयी है।' कई लोगों ने बड़े ही आश्चर्य से जानकारी लेने के लिए स्टेशन को फ़ोन किया था।


मूर्ख दिवस और नये साल का क्या संबंध है?

एक और कहानी के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन यूरोप में नया साल हर वर्ष 1 अप्रैल को मनाया जाता था। चूँकि 1582 में 'पोप ग्रेगोरी 13' ने एक नया कैलेंडर अपनाने के निर्देश दिए थे जिसमें न्यू ईयर को 1 जनवरी से मनाने के लिए कहा गया था। रोम में रहने वाले ज़्यादातर लोगों ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया लेकिन बहुत से लोग तब भी 1 अप्रैल को ही नए साल के रूप में मनाया करते थे। लेकिन तब ऐसे लोगो को मूर्ख समझकर उनका मज़ाक उड़ाया जाता था।

उम्मीद है आपको अप्रैल फूल क्या होता है? April fool kya hota hai? अब समझा आ गया होगा। तो चलिए आप अपना अप्रैल फूल मनाइए।  बस इस बात का विशेष ध्यान रखिए कि आपके मज़ाक की वजह से किसी का नुक़सान न हो। मिलते हैं किसी और दिलचस्प आर्टिकल के साथ। 
(- By Alok)

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