झीलों की नगरी भोपाल | भोपाल बड़ा तालाब हिस्ट्री इन हिंदी | Bhopal bada talab history in hindi
तालाबों के बारे में एक कहावत प्रचलित है कि तालों में ताल। भोपाल का ताल, बाक़ी सब तलैया। सचमुच यह कहावत भोपाल का बड़ा तालाब (bhopal ka bada talab) देखकर चरितार्थ भी होती नज़र आती है। इसे एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील (asia ki sabse badi kritrim jhil) भी कहा जाता है।
भोपाल का बड़ा तालाब (bhopal ka bada talab) अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। सचमुच यह झीलों का शहर (jhilon ka shahar) पर्यटन के लिए बड़ा ही ख़ूबसूरत शहर है। झील के दक्षिण पूर्वी किनारे पर स्थित वन विहार राष्ट्रीय उद्यान (भोपाल चिड़ियाघर) पर्यटकों को आकर्षित करता है। बीच से गुज़रने वाली सड़क के एक तरफ़ जानवरों के प्राकृतिक आवास और दूसरी तरफ़ झील, सचमुच प्रकृति की यह छटा देखते ही बनती है। तालाब के बीच मे एक 'तकिया द्वीप' भी है जिस पर 'शाह अली शाह रहमतुल्लाह' का मक़बरा बना हुआ है।
यह भोपाल की बड़ी झील (bhopal ki badi jheel) सभी आगंतुकों, पर्यटकों, प्रकृति प्रेमियों का सम्पूर्ण मनोरंजन करती है। यूँ समझिये की अब तो हमारी आपसे गुज़ारिश है कि अपने व्यस्त समय से कुछ समय निकालकर इस झीलों की नगरी भोपाल (jheelon ki nagri bhopal) का भृमण करने और इस बड़ा तालाब भोपाल (bada talab bhopal) के अद्भुत नज़ारे को देखने कम से कम एक बार ज़रूर जाएँ।
Table of Contents :
भोपाल बड़ा तालाब की भौगोलिक स्थिति | भोपाल बड़ा तालाब कहाँ पर है?
भोजताल, जिसे पहले अपर लेक के नाम से जाना जाता था, यह मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी झील (madhyapradesh ki sabse badi jheel) है जो मध्य प्रदेश, भोपाल यानि कि भारत की राजधानी भोपाल के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। इस तालाब की ख़ासियत है कि यहाँ का पानी साफ़ यानि कि fresh दिखाई देता है।
बड़ा तालाब के पूर्वी छोर पर भोपाल शहर बसा हुआ है, जबकि इसके दक्षिण में कुछ ही दूरी पर “वन विहार नेशनल पार्क” है, इसके पश्चिमी और उत्तरी छोर पर कुछ मानव बस्तियों यानि कि मानवीय बसाहट है जिसमें से अधिकतर इलाक़ा खेतों वाला है।
भोपाल बड़ा तालाब के एरिया (bhopal bada talab area) की बात करें तो इस झील का कुल क्षेत्रफ़ल लगभग 31 वर्ग किलोमीटर है और इसमें लगभग 361 वर्ग किमी इलाक़े से पानी एकत्रित किया जाता है। इस बड़ा तालाब भोपाल (bada talab bhopal) से लगने वाला अधिकतर हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र का है, हालांकि अब समय के साथ-साथ कुछ शहरी इलाक़े भी इसके नज़दीक आ चुके हैं। भोपाल के बड़े तालाब की गहराई लगभग 30 फ़िट बतायी जाती है?
भोपाल के बड़े तालाब को किसने और कब बनवाया?
झील का निर्माण कोलन नदी पर मिट्टी का बाँध बनाकर किया गया था। 1965 में झील के दक्षिण-पूर्वी कोने पर भदभदा बाँध जहाँ 11 गेट बनाए गए थे। जो कि आजकल कलियासोत नदी के बहिर्वाह को नियंत्रित करता है।
बड़ा तालाब का इतिहास | झील का निर्माण क्यों किया गया था?
बड़ा तालाब के इतिहास की बात करें तो लोककथाओं के माध्यम से यह जानकारी मिलती है कि भोजताल को परमार राजा भोज मालवा के राजा के रूप में (1005-1055) अपने कार्यकाल के दौरान बनवाया था। भोजताल के बारे में यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील (asia ki sabse badi kritrim jheel) का निर्माण चर्म रोग दूर करने के लिए करवाया गया था।
उस समय श्यामला हिल्स से लेकर मंडीदीप, दाहोद डैम, अब्दुल्लाहगंज, दिवटिया और भीमबैठका की पहाड़ियों के बीच असंख्य जल स्रोत थे। इन जल स्रोतों से पानी इकट्ठा किया गया। लेकिन 9 नदियों की संख्या पूरी नहीं हो पा रही थी। फ़िर भदभदा के पास से एक नदी खुदवाई गयी। जिसे बेतवा से जोड़ दिया गया। इस नदी को 'कलियासोत' नाम दिया गया। बेतवा नदी के जल स्रोतों को बड़ा तालाब पहुंचाने के लिए भोजपुर में एक बाँध बनाया गया। श्यामला हिल्स और फतेहगढ़ की पहाड़ियों के बीच भी एक बाँध बनाया गया। जिसे आज 'कमला पार्क' के नाम से जाना जाता है। राजा भोज यहीं रोज़ नहाते थे। जिससे उनका चर्म रोग दूर हो गया था।
दरअसल यहाँ के पानी में सल्फ़र, गंधक, ज़िंक ऑक्साइड और मृदा संघ सहित कई खनिज तत्व थे जिनकी वजह से राजा का यह असाध्य रोग चमत्कारी ढंग से ठीक हो गया।
भोपाल की इस ऊपरी झील bada talab का नाम राजा भोज के सम्मान में भोजताल (bhojtal) रखा गया। इसके लिए झील के एक कोने पर तलवार लेकर राजा भोज की एक विशाल प्रतिमा भी स्थापित की गई है। जो कि देखते ही बनती है। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
सामाजिक व सांस्कृतिक महत्व (Social and cultural importance in hindi)
![]() |
raja bhoj ki pratima, bhopal |
ग्यारहवीं शताब्दी में इस भोपाल झील (bhopal jheel) के निर्माण के बाद से, भोपाल शहर इसके चारों ओर विकसित हुआ है। लोग धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भोपाल की झीलों से जुड़े हुए हैं। भोजताल बड़ा तालाब (bhojtal bada talab) के पानी में चेस्टनट की खेती और छोटा तालाब में कमल की खेती भी होती है। धार्मिक उत्सवों के दौरान देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी झील में विसर्जित किया जाता है, हालांकि स्थानीय प्रशासन भक्तों को ऐसा न करने की सलाह दे रहा है।
भोपाल की झील भोपाल शहर के लिए लगभग 40% पीने के पानी का प्रमुख स्रोत है। यानि कि भोपाल की लगभग 40 फ़ीसदी आबादी को इस बड़ा तालाब से पानी मिलता है। साथ ही निचली झील कच्चे पानी की आवश्यकता को पूरा करती है और शहर की सुंदरता को बढ़ाती है। ये भोपाल की झीलें (bhopal ki jheelen) कयाकिंग, कैनोइंग, पैरासेलिंग और वाटर स्कीइंग जैसे वाटरस्पोर्ट्स के लिए आदर्श स्थान हैं और पर्यटकों की अपार भीड़ को आकर्षित करती रहती हैं। पर्यटन के साथ-साथ यह भोपाल की बड़ी झील (bhopal ki badi jheel) मछुआरों, नाव मालिकों और स्थानीय विक्रेताओं की आजीविका का साधन भी है।
उम्मीद है आपको भोपाल तालाब की जानकारी अच्छी और उपयोगी लगी होगी। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि इसे एशिया का सबसे बड़ा तालाब यूँ ही नहीं कहा जाता है। ऐसे ही दिलचस्प लेख पढ़ने के लिए बने रहिये चहलपहल के साथ। भोपाल की बड़ी झील (bhopal ki badi jheel) से जुड़ी कोई दिलचस्प जानकारी हो तो आप कमेंट्स कर हमसे साझा कर सकते हैं।
(- Written by Alok)
Some more articles :
Tags
पर्यटन स्थल