आकर्षक निवेश के लिए कैसे बनाएं कंपनी के पोर्टफोलियो | शेयर मार्केट में पोर्टफ़ोलियो के लिए अपनाएँ ये 9 टिप्स

दोस्तो शेयर मार्केट में उतार चढ़ाव का कोई भी स्पेशल दिन नहीं हुआ करता। आप अगर शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो आप भलीभाँति जानते होंगे कि आप मार्केट को कितना भी watch कर लें, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मार्केट का कितना भी analysis कर लें। किसी भी दिन, किसी भी समय मार्केट अचानक या तो ऊपर चला जाता है या धराशायी हो जाता है। 



ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले उन शेयर्स के अपने पोर्टफोलियो तैयार कर लें। ताकि जब भी इन्वेस्ट करें। आपके मुनाफ़े की औसत बढ़ सके और नुक़सान की संभावना कम से कम हो।


क्यों ज़रूरी है पोर्टफ़ोलियो Why is it important portfolio?

असल में Portfolio बनाने की शुरुआत करने से पहले यह जान लेना ज़्यादा ज़रूरी है कि आपको इक्विटी अथवा कमोडिटी (equity/commodity) पोर्टफ़ोलियो की ज़रूरत क्यों है? अक्सर कई लोग लंबे समय में पैसा कमाने और अपनी क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए ऐसे ऐसेट में निवेश करते हैं ताकि उन्हें महँगाई और Tax से बचने में आसानी हो। इक्विटी मार्केट में यह क्षमता देखी जाती है। चलिए वक़्त ज़ाया न करते हुए हम आपको पोर्टफ़ोलियो Portfolio बनाने के टिप्स की जानकारी देते हैं।


निवेश करने के लिए कंपनी के पोर्टफ़ोलियो बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिये?

शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले कंपनी के पोर्टफ़ोलियो बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(1) कंपनी का रिकार्ड जान लें-
हमेशा ध्यान रखें कि शेयर खरीदते ही आप उस कंपनी के हिस्सेदार बन जाते हैं। इस बात की जाँच अवश्य कर लें कि वह कंपनी स्थिर है, growth (विकास) कर रही है अथवा नहीं। यदि आप इस तरह की जाँच करने के उपरांत किसी कंपनी में निवेश करते हैं तो निश्चित रूप से आप भविष्य में होने वाले नुक़सान से कुछ हद तक बचने में सक्षम हो जाते हैं। अगर वह कंपनी आपके पोर्टफ़ोलियो के अनुसार growth कर गयी तो समझो आप अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा भी बना सकते हैं।

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(2) आय की बढ़ोत्तरी पर पैनी नज़र रखें-
एक अच्छे निवेशक के तौर पर आपका लक्ष्य इतना तो होना ही चाहिए कि आप जब भी किसी कंपनी के शेयरों (shares) ख़रीदारी करें तो यह सुनिश्चित कर लें कि उस कम्पनी की आय में लगभग अगले 10 से 20 सालों में बढ़ोत्तरी लगभग तय मानी जा रही हो। सीधे शब्दों में कहें तो यह कि आप उन्हीं कंपनियों के शेयर ख़रीदें जो कंपनियां आपके उन मानकों पर खरी उतर रही हों।

(3) बिना पक्षपात अथवा मोह के पोर्टफ़ोलियो बनाएँ-
यदि निवेशकों के पास time की कमी है। तब उन्हें चाहिए कि वे अपने पोर्टफ़ोलियो के अंतर्गत मूल्यांकन व संतुलन का काम कम से कम वार्षिक आधार पर करने का प्रयास करें। बस ध्यान इस बात का रखना है कि portfolio को संतुलित करने के लिए किसी यूनिट या शेयर से अत्यधिक मोह न करें।

(4) निवेश करने वाली राशि तय कर लें-
निवेश के लिए संतुलित पोर्टफ़ोलियो बनाते समय आप इस बात का निश्चय अवश्य कर लें कि आप कितनी राशि का निवेश करना चाहते हैं। कितनी राशि से शुरू करना चाह रहे हैं और भविष्य में लगभग कितनी राशि उसमें add करना चाहेंगे। यह मैनेजमेंट करना आपके अपने हाथों में होता है। इसलिए यह सुनिश्चित करना भी ज़रूरी हो जाता है। ताकि भविष्य में आपको बड़ा नुक़सान न हो।

(5) बेहतर रिटर्न की संभावना तय करें-
यह हमेशा याद रखें कि पोर्टफोलियो में आप सिर्फ़ अपनी ख़रीददारी और शेयरों को बनाए रखने पर ही नियंत्रण कर सकते हैं। दूसरा यह कि आप कंपनियों में अपना जोख़िम और निवेश पर नियंत्रण कर सकते हैं। लेकिन कंपनियों के शेयरों पर मिलने वाला रिटर्न कितना मिलेगा? यह आपके कंट्रोल में नहीं हो सकता।


इसीलिये निवेश उन्हीं कंपनियों पर करें जिनकी quality लॉन्ग टर्म (long term) यानि कि दीर्घकाल में बेहतर रिटर्न देने की हो। यह ज़रूरी नहीं कि दिग्गज कंपनियां ही अच्छा रिटर्न दे। 

बस आप इस बात का ध्यान रखें कि जिन कपनियों के शेयरों पर आप निवेश कर रहे हैं उनकी दीर्घकालीन योजनाएँ (long term plan) क्या हैं। साथ ही उन कंपनियों के आगामी लक्ष्य क्या हैं?

(6) कर्ज़ में डूबी कंपनी में इन्वेस्ट करने से बचें-
लगातार बड़े-बड़े कर्ज़ लेकर काम करने वाली कंपनियों का हश्र ठीक नहीं होता। अक्सर ऐसे मामलों में कर्ज़दाता उन कंपनियों को सीधे-सीधे टेकओवर कर लेते हैं जो कंपनियां समय पर कर्ज़ नहीं चुका पातीं। परिणामस्वरूप घाटे में चल रही ऐसी कंपनियों के शेयरहोल्डर हाथ मलते रह जाते हैं। यानि कि शेयर होल्डर्स का बड़ा नुक़सान झेलना पड़ जाता है। इसलिये ध्यान रखें कि इस तरह की किसी भी कंपनी को अपने पोर्टफ़ोलियो में शामिल ना करें।

(7) कंपनी का प्रबंधन कैसा है जाँच कर लें-
शेयरधारक (share holder) कंपनी को आर्थिक बल तो देते हैं। मगर सच तो यह है कि किसी भी कंपनी की रीढ़, उसकी प्रबंधन क्षमता होती है। यदि कंपनी का प्रबंधन ही चुस्त नहीं होगा। तो संबंधित कंपनी के आँकड़े भी उतने ठीक नहीं हो पाएंगे। 


यदि कोई कंपनी लगातार 15 फ़ीसदी से कम रिटर्न दे रही है तो ऐसी कंपनी में निवेश की कोई भी योजना न बनाएँ। ना हि अपने पोर्टफ़ोलियो की योजना में ऐसी कंपनी को कभी शामिल न करें।

(8) ज़्यादा पीई रेशियो वाले शेयर से बचें-
किसी भी कंपनी की ओवरवैल्यू ही आपके पैसों को नष्ट करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। किसी भी कार्य को करते समय आपका आत्मविश्वास आपको सफलता की ओर लेकर जाता है लेकिन अति-आत्मविश्वास आपको पूर्ण रूप से असफल बना देता है। 

इसी तरह किसी भी कंपनी की वैल्यू आपको अच्छा रिटर्न दे सकती है। मगर ओवरवैल्यू आपका निवेश बर्बाद कर सकती है। इसीलिये किसी भी कंपनी की ओवरवैल्यू यानि कि उसके प्रति अति-आत्मविश्वास से हमेशा बचें।

अधिक पीई रेशियो वाली कंपनी से हमेशा बचें। पीई रेशियो
किसी कंपनी के शेयर की वैल्यू होती है। यानी वह सस्ता है या महंगा। उस कंपनी की पीई रेशियो से पता लगाया जाता है। इसे शेयर की क़ीमत और शेयर से आय का अनुपात भी कहा जाता है।

(9) पोर्टफ़ोलियो में कम से कम पाँच सेक्टर चुनें-
पोर्टफ़ोलियो बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपके पोर्टफ़ोलियो में कम से कम 5 या उससे अधिक सेक्टर होने चाहिए। साथ ही निवेश की गयी कंपनियों की संख्या इससे भी ज़्यादा होनी चाहिए। इससे आप हाइपर कॉनसन्ट्रेशन  (hyper concentration) की समस्या से बच सकते हैं।

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यदि कोई कंपनी उपरोक्त मापदंडो पर खरी उतरती है, तो ऐसी कंपनी को आप अपने पोर्टफोलियों में फ़ौरन शामिल कर सकते हैं। हालांकि, सिर्फ इन्हीं पैमानों पर संतुष्ट होकर फ़ैसला लेना ठीक नहीं। शेयर मार्केट में निवेशकों को हमेशा ही चौकन्ना रहना होता है।

नये कारोबारी या निवेशक भी अगर अपना पोर्टफ़ोलियो इसी तरह मज़बूती और स्थिरता से बनाए तो उसे कमाई करने से कोई नहीं रोक सकता। उम्मीद है आपको आज का हमारा यह अंक आपके निवेश के लिए पोर्टफ़ोलियो बनाने में मददग़ार साबित होगा।
- By Alok 

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