दोस्तों अगर हम आपको खर्राटे लेते हुए लोगों की याद करने को कहें! तो हमें उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा भरोसा है कि ऐसे सिंह गर्जना करने वाले लोगों से कभी न कभी आपका पाला ज़रूर पड़ा होगा। जो आपको अब तक याद होंगे। क्यों!! सच कहा ना हमने।
जी हां!! ऐसे खर्राटे लेने वाले महापुरुषों के साथ वक्त बिताना। ख़ासकर उनके इर्द-गिर्द रहकर नींद लेने की कोशिश करना। सचमुच किसी तानाशाह समंदर की उफ़नती लहरों के बीच से अकेले नाव को संभालते हुए किनारे तक लेकर जाने जैसा होता है।
निद्रा से तो दूर-दूर तक का वास्ता नहीं होता। हाँ! बल्कि खर्राटे लेने वाले व्यक्ति की परेशानी देखकर, उसकी छटपटाहट, सोते हुए बीच-बीच में सांस रुक जाने पर होने वाली उसकी तकलीफ़, आराम से नींद लेने के बजाय पूरी रात बेचैन होता देख उस पर दया और चिंता की भावना जागृत होने लगती है। मन में यही ख़याल आता है कि आख़िर खर्राटे बंद कैसे करें? खर्राटे का इलाज क्या है?
तो चलिए दोस्तों हम यही बताना चाहते हैं कि "सोते समय नाक से आवाज़ क्यों आती है?" एक ऐसी समस्या जो आम समस्या के रूप में देखी जाती है। इसे जितनी साधारण समस्या मानी जाती है यह उतनी ही घातक हो सकती है। खर्राटे क्यों आते हैं? इसकी पूरी वजह आइये जानते हैं।
दोस्तों वजह की बात करें तो दरअसल खर्राटे लेना एक प्रकार का डिसऑर्डर है जिसे स्लिप एपनिया कहा जाता है। खर्राटों की आवाज़ इतनी अधिक हो सकती है कि ख़ुद खर्राटे मारने वाला व्यक्ति ख़ुद से ही चौंक कर जाग सकता है। अधिकांश मामलों में लोगों को ख़ुद पता नहीं होता कि वे खर्राटे मारते हैं। जो व्यक्ति खर्राटे मारते हैं, उन्हें नींद से जागने के बाद सूखा मुंह और गले में जलन की समस्या होने लगती है। नींद में सांस का बार-बार रुकना कतई सही नहीं।
" दिमाग़ पर असर होने से लगभग 90% रोगियों में स्ट्रोक यानि ब्रेन हेमरेज की सम्भावना बढ़ जाती है। लगभग 58% रोगियों में हार्ट अटेक का ख़तरा बढ़ जाता है। लगभग 80% रोगियों में ऑक्सीजन की कमी की वजह से सुबह सिर में दर्द बना रहता है। "
खर्राटे कई प्रकार की बीमारियों के जोख़िम पैदा कर देते हैं जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, डायबिटीज़ और अन्य प्रकार की कई बीमारियों के होने का ख़तरा बढ़ जाता है। दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के ज़रिये इसके लक्षणों, कारणों और इस समस्या से निजात पाने के आसान व घरेलू उपायों के विषय में चर्चा करेंगे।
किस तरह के होते हैं लक्षण?
1. तेज़ आवाज़ के साथ सांस लेना और छोड़ना के कारण नाक या मुँह से आवाज़ आना।
2. थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ सेकंड के लिए सांस का रुक बार-बार रुक जाना।
3. सांस रुकने की ये दमघोंटू प्रक्रिया का और भी तेज़ी के साथ चलना।
4. नींद में सांस के रुकने पर अचानक बार-बार हड़बड़ा कर उठ जाना।
5. सुबह सिर दर्द करना।
6. सारा दिन सुस्ती और आलस से भरा होना, पूरे दिन नींद आना।
7. थकान महसूस होना।
8. उच्च रक्तचाप का होना।
9. याददाश्त में कमी आना।
10. हाइपर टेंशन का ख़तरा बढ़ जाना।
11. हार्ट अटेक का ख़तरा बढ़ जाना।
12. मूड डिस-आर्डर (मानसिक परेशानी) एंजाइटी व डिप्रेशन समस्या का बढ़ना।
खर्राटों को ज़्यादातर नींद के डिसऑर्डर के साथ जोड़ना आम बात है। इसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्रिया - ओएसए (obstructive sleep apnea - OSA) कहते है। सामान्य भाषा में इसे sleep apnea snoring भी कह सकते हैं। यह ज़रूरी नहीं है कि जो भी व्यक्ति खर्राटे मारता है उसे 'ओएसए' ही हो। लेेकिन अगर खर्राटों के साथ उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखें तो डॉक्टर को दिखाने में बिल्कुल भी देर ना करें। क्योंकि ऐसे लक्षण आगे चलकर व्यक्ति को किसी बड़ी घातक बीमारी से जकड़ सकते हैं।
खर्राटे आख़िर क्यों आते हैं? Why Does Snoring Come in hindi?
जब मुँह और नाक के अंदर से ऑक्सीजन (सांस लेने) जाने का रास्ता बहुत कम हो जाता है या बंद हो जाता है तब ऐसी स्थिति में खर्राटे आने की सम्भावना होती है। इस तरह की स्थिति पैदा होने के कुछ मुख्य कारण निम्न होते हैं-
मोटापा ज़्यादा होना-
ज़्यादातर खर्राटे आने का कारण मोटापा होता है। मोटापा बढ़ने की वजह से गर्दन पर मांस लटकने लगता है। सोते समय इसी मांस के कारण सांस नली दब जाती है। जिससे खर्राटों की स्थिति उत्पन्न होने लगती है और व्यक्ति ज़ोर-ज़ोर से खर्राटे लेने लगता है।
" लगभग 70% मोटे लोग स्लिप एप्निया की समस्या से ग्रसित पाए जाते हैं। साथ ही स्लिप एप्निया के रोगियों में लगभग 77% ख़तरा हाइपर टेंशन का बढ़ जाता है। "
अधिक शराब पीना-
Pain killers (दर्द निवारक दवाओं) की तरह ही शराब यानि कि अल्कोहल भी शरीर की मांसपेशियों को शिथिल कर देती है। बहुत अधिक एल्कोहल के सेवन से गले की मांसपेशियां फैल जाती हैं जिस कारण खर्राटे की स्थिति उत्पन्न होती है।
मांसपेशियों की कमज़ोरी के कारण-
गले और जीभ की मांसपेशियां ज़्यादा शिथिल हो जाती है तो ऐसी स्थिति में लटक जाती हैं और ये सांस नली का रास्ता रोकने का काम करती हैं। अधिकांश तौर पर ऐसी स्थिति अधिक शराब पीने की आदत या अक्सर नींद की गोलियां लेने की आदत या उम्र दराज़ होने की वजह से होती है।
साइनस के बढ़ने के कारण-
अक्सर खर्राटे साइनस के बढ़ने से भी आते हैं। साइनस के बढ़ जाने से नाक के रास्ते पर प्रभाव पड़ता है फलस्वरूप नाक के छिद्र जाम हो जाते हैं। अक्सर ज़ुकाम से पीड़ित मरीज़ों या साइनस की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों के साथ ज़्यादा होता है।
अगर सोने का ग़लत तरीका हो तो खर्राटे की स्थिति बन जाती है। ग़लत तरीके से तकिए पर सिर रखने से गले का पिछला हिस्सा सकरा (दब जाता है) हो जाता है। इस कारण सकरी जगह से ऑक्सीजन अंदर जाती है। फलस्वरूप सांस लेने में तकलीफ़ होने लगती है। जिससे खर्राटे की स्थिति बनती है।
सर्दी-ज़ुकाम की वजह से-
सर्दी ज़ुकाम की वजह से नाक का जाम हो जाना आम बात है। इसीलिए सर्दी-ज़ुकाम होने पर जल्द ही डॉक्टर से सलाह लें अन्यथा यह भी खर्राटे का कारण बन सकता है।
नीचले जबड़े का छोटा होना-
जब व्यक्ति का जबड़ा सामान्य से थोड़ा छोटा होता है तब लेटते वक्त जीभ पीछे की ओर चली जाती है और सांस की नली ब्लॉक होने लगती है। जिस कारण सांस लेने-छोड़ने में प्रेशर लगाना पड़ता है।
वात की समस्या होने से-
वात की प्रकृति जिन व्यक्तियों की होती है अथवा जो व्यक्ति वात की समस्या से ग्रस्त होते हैं। उनके गले की मांसपेशियों में शिथिलता होने के कारण सांस लेने में तकलीफ़ होती है। जो कि सोते समय खर्राटे का कारण बनती है।
श्वास नली का पतला होना-
पुरुषों की श्वास नली, महिलाओं की श्वास नली की तुलना में पतली होती है। इसीलिये ज़्यादातर मामलों में पुरुषों को महिलाओं के मुकाबले ज्यादा खर्राटे लेते हुए देखा जाता है।
आनुवांसिकता के कारण-
आनुवांशिकता के कारण किसी परिवार में उनके शरीर की मांसपेशियों की बनावट ही ऐसी होती है कि उस परिवार के ज़्यादातर लोग खर्राटे से परेशान ही रहते हैं।
नाक की विकृत बनावट-
नाक के अंदर के मार्ग में रुकावट होना या नाक के अंदर के सैप्टम (नाक के रास्ते को दो भागों में बांटने वाली दीवार) का टेढ़ा होना खर्राटे के प्रमुख कारणों में जाना जाता है।
टॉन्सिल्स या जीभ मोटी हो जाना-
व्यक्ति की जीभ किसी कारण मोती हो जाना या टॉन्सिल्स की वजह से भी सोते समय खर्राटे आने लगते हैं। व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ़ होती है ख़ासकर गहरी नींद लेते समय ये परेशानी ज़्यादा आती है।
खर्राटे की समस्या से निजात पाने के लिए कुछ घरेलू इलाज (Home Remedies for Snoring problem in hindi)
खर्राटों की समस्या से निजात पाने के लिए हम आपको खर्राटे दूर करने के कुछ घरेलू उपाय (इलाज) बताने जा रहे हैं जो निश्चित रूप से खर्राटों की समस्या को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं-
(1) पुदीना से करें खर्राटों का इलाज-
पुदीने की पत्तियों में गले और नाक से संबंधी सूजन को कम करने के लाजवाब गुण होते हैं। लगभग एक कप उबले पानी में कुछ पुदीने की पत्तियां डालकर पानी को ठंडा होने के लिए रख दें। पीने योग्य हो जाने पर उसे छानकर या ऐसे ही पीयें। कुछ ही दिनों में खर्राटे की समस्या दूर होने लगती है।
(2) दाल चीनी से करें खर्राटों का इलाज-
खर्राटे से हमेशा के लिए फुरसत पाने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में 2-3 चम्मच दालचीनी का पाउडर मिलाकर पीयें। इसके नियमित सेवन से बहुत जल्दी खर्राटों से छुटकारा मिलता है।
(3) लहसुन से करे खर्राटों का इलाज-
लहसुन हमेशा से ही नाक, गले की समस्या के लिए उपयोगी साबित होता रहा है। यह साइनस, गले की सूजन, सर्दी-जुकाम के लिए दादा-दादी के ज़माने से नुस्ख़े के काम आता है। एक या दो लहसुन की करी को पानी के साथ सोने के पहले लें अथवा थोड़ा-थोड़ा भूनकर भी ले सकते हैं।यह बलग़म, ब्लॉकेज और आपके श्वसन तंत्र को बेहतर करने में मदद करता है। जिससे खर्राटे की समस्या हल होती है।
(4) हल्दी से करें खर्राटों का इलाज-
हल्दी में पहले से ही बेहतर एंटी-सेप्टिक और एंटी-बायोटिक के गुण मौजूद हैं। इसके पसेवन से नाक, गला साफ हो जाता है। रात में सोने से पहले गुनगुने दूध में हल्दी मिलाकर पीयें। अथवा हल्दी को थोड़ा सा भूनकर फांक ले सकते हैं। इससे आपके खर्राटों की समस्या से जल्द ही छुटकारा मिलेगा।
(5) इलायची से करें खर्राटों का इलाज-
इलायची का उपयोग सर्दी-खांसी की दवा के रूप में किया जाता है। सोने से पहले (लगभग 30 मिनट पहले) रात को गुनगुने पानी के साथ इलायची के कुछ दाने मिलाकर पीयें। निश्चित ही आपको खर्राटों की समस्या से राहत मिलेगी।
(6) दूध के सेवन से करें खर्राटों का इलाज-
दूध के सेवन से अनेक समस्याओं का समाधान होता है। आप रात में सोने से पहले कम से कम एक कप दुध ज़रूर पीयें। हो सके तो थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पीएं तो और भी बेहतर परिणाम मिलेंगे।
(7) शहद से करे खर्राटों का इलाज-
शहद नाक और गले से लेकर पेट के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी Anti-Inflammatory
के गुण होते हैं। जो कि गले या नाक की सूजन कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ताकि सांस लेने में आसानी हो। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में 2 चम्मच शहद मिलाकर सोने से आधा घंटा पहले पीयें।
(8) स्टीम थेरेपी Steam Therapy से करें इलाज-
स्टीम थेरेपी Steam Therapy एक ऐसा उपाय है जिसे कोई भी किसी भी समय कर सकता है। नाक बंद हो जाने से सांस लेने में तकलीफ़ होने लगती है। जिसका सरल और सीधा सा समाधान है यह स्टीम थेरेपी। इससे बंद नाक बहुत जल्दी खुल जाती है और आप चैन की नींद सो पाते हैं।
खर्राटों से जल्द छुटकारा पाने के लिए अपनी जीवन शैली में करें निम्न बदलाव
(1) अपना खानपान सही रखें-
रात का भोजन भारी न करें। बल्कि भूख से थोड़ा सा कम ही खाएं तो ज़्यादा अच्छा होगा। रात्रि में हल्का और सुपाच्य भोजन सदैव ही लाभकारी होता है। रात में मसालेदार भोजन से बचें। क्योंकि तीखा-मसालेदार भोजन करने से खट्टी डकारें व अपच की समस्या होने लगती है। साथ ही खर्राटों की समस्या भी उत्पन होने लगती है।
(2) नियमित एक्सरसाइज़ करें-
रोज़ाना हल्की-फ़ुल्की ही सही किन्तु एक्सरसाइज़ करते रहने से आपके शरीर की मांसपेशियां टोन हो जाती हैं। स्पष्ट है फिर खर्राटों का कोई स्थान ही नहीं होगा आपके जीवन में। क्योंकि शिथिल मांसपेशियां ही खर्राटों का कारण बनती हैं।
(3) वज़न को अपने कंट्रोल से बाहर न जाने दें-
मोटापे से ग्रस्त लोगों के गले के आसपास अत्यधिक वसायुक्त कोशिकाएं जमा हो जाती हैं। जिस कारण गले के रास्ते मे सिकुड़न होने लगती है। सोते वक्त इसी सकरे रास्ते से होकर ऑक्सीजन अंदर जाती है तो अतिरिक्त दबाव के कारण वाइब्रेशन सुनाई पड़ने लगती है।
(4) सोते वक़्त साफ़ और सही तकिये का इस्तेमाल करें-
आप जब सोएं तब सिरहाने की तकिया साफ़ सुथरी हो इसका ध्यान रखें। क्योंकि रोज़-रोज़ उपयोग करते रहने से तकिए के कवर पर रूसी या बाल या बालों का तेल या डस्ट आदि जमा तकिए पर चिपक जाते हैं। जिसके कारण आपको एलर्जी या ज़ुकाम भी हो सकता है। जिस कारण आपकी नाक और गले की परेशानी बढ़ सकती है।
" सांस लेते वक्त, ये एलर्जी आपके शरीर की श्वास संबंधी क्षमता को खत्म कर देती है। आपको सांस लेने की दिक्कत यानी कि या स्लीप एपनिया की समस्या होने लगती है। और आप ज़ोरदार खर्राटे लेते हुए ख़ुद के साथ-साथ सभी की परेशानी बढ़ा देते हैं।"
इससे अलावा एक और सावधानी आपको बरतनी है। वो यह कि तकिया बहुत ज़्यादा ऊंची न रखें। क्योंकि ऐसा करने से आपकी गर्दन पर दबाव बढ़ता जाता है। फलस्वरूप सांस लेने में तकलीफ़ होने लगती है और फिर खर्राटे आने लगते हैं।
(5) सोते वक्त अलग-अलग पोज़िशन में सोएँ-
वैसे तो सीधे सोना ही ज़्यादा आरामदायक माना जाता है। किन्तु लगातार सीधे (पीठ के सहारे/चित) सोते रहने से खर्राटे की संभावना ज़रा ज़्यादा बन जाया करती है। इसलिए यदि आप समय-समय पर करवट के बल सोने की कोशिश करें तो गर्दन, तालु, गले की परेशानी कम होगी और खर्राटे आने की संभावना भी ना के बराबर होगी।
(6) नींद की गोलियां लेने की आदत छोड़ें-
अक्सर लोग थकावट या देर रात तक जागने की वजह से नींद की गोलियां लेते हैं। जिससे शरीर की मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं अर्थात गले के ऊतक शिथिल हो जाते हैं। नींद में सांस लेने में तकलीफ़ होने से खर्राटों की समस्या बढ़ जाती है।
(7) धूम्रपान या नशीले पदार्थों से बचें-
धूम्रपान करने से फेफड़ों की बीमारियाँ ज़्यादा होती हैं। नाक व फेफड़ों में बलग़म जमने लगता है। जिससे नाक, गले से संबंधित परेशानियों के साथ खर्राटों की संभावना अधिक हो जाती है। फेफड़ों की क्षमता कम होने के कारण सोते समय ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। जिसे 'स्लिप एपनिया' कहते हैं। इसीलिए ऑक्सीजन की कमी की वजह से खर्राटों की गति बढ़ जाती है। सोने से पहले नशीले पदार्थों के सेवन से शरीर की मांसपेशियां शिथिल होने के कारण सोते वक्त सांस लेने में तकलीफ़ होने लगती है और खर्राटों की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
(8) पर्याप्त मात्रा में पानी पीयें-
अधिकतर लोग पानी बहुत कम पीते हैं। पानी कम पीने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है। जिस कारण नाक व गले के रास्ते में सूखापन आ जाता है। नमी सूख जाने से साइनस, श्वास तंत्र में हवा को पहुँचाने में अपना पूर्ण सहयोग नहीं दे पाता। इसी वजह से सांस लेने में तकलीफ़ होने लगती है और खर्राटों की आवाज़ें आने लगती हैं।
(9) नियमित योग-प्राणायाम की आदत बनाएं-
खर्राटों की समस्या से निजात पाने के लिए नियमित योग व प्राणायाम करने की आदत डालें। ख़ासकर कपाल-भाती व उज्जायी प्राणायाम गले के लिए लाभकारी है। साथ में अनुलोमविलोम करना भी फ़ायदेमंद साबित होगा। योग या प्राणायाम करते समय गले की मांसपेशियों के लिए फ़ायदेमंद एक्सरसाइज़ या प्राणायाम विशेष रूप से करने का प्रयास करें।
निष्कर्ष (The Conclusion)
अधिकतर लोग सोते समय कभी-कभी खर्राटे ले लेते हैं। ज़्यादातर मामलों में इसे सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है। हाँ!! अगर उपरोक्त खतरनाक लक्षण दिखाई देने लगे जैसा की हमने ऊपर बताया है, तब गंभीरता से उसके उपाय के विषय में सोचना चाहिए। ज़्यादा परेशानी होने पर डॉक्टर से सलाह भी ली जा सकती है। Snoring treatment यानि कि खर्राटों की समस्या का निराकरण ऊपर दिए उपायों के आधार पर बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है। जो व्यक्ति रोज़ खर्राटे नहीं मारते, उनको किसी बीमारी से, ज़्यादा शराब से या किसी दवाई के सेवन के बाद सोने से खर्राटे की आदत लग जाती है। वैसे तो किसी की शारीरिक बनावट से भी खर्राटों का कोई विशेष सम्बन्ध नहीं होता। मोटी अथवा पतली गर्दन वाला व्यक्ति हो या कमज़ोर अथवा भारी-भरकम शरीर वाला ही क्यों ना हो। कोई भी ऊँची गर्जना यानि कि ऊँचे खर्राटे मार सकता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसी भयावह समस्या लगातार हो रही हो तो उसपर गंभीरतापूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है। खर्राटों के लिए कौन से योग व प्राणायाम करें? यह जानना आवश्यक है। साथ ही खर्राटों से बचने के घरेलू नुस्खे जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
सामान्यतया वज़न और उम्र के बढ़ने के साथ-साथ खर्राटों की सम्भावना भी बढ़ती है। लगभग 50 से 60 प्रतिशत वयस्क पुरुषों एवं 20 से 25 प्रतिशत वयस्क महिलाओं में यह समस्या देखी जाती है।नियमित योग व प्राणायाम व् अच्छी जीवन शैली से खर्राटों की समस्या से बड़ी आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। हमने इस लेख में खर्राटों से बचाव के घरेलु नुस्ख़े बताने का पूरा प्रयास किया है। उम्मीद है आपको हमारा आज का यह दिलचस्प लेख "खर्राटे लेना गहरी नींद नहीं, बल्कि घातक बीमारी के लक्षण" ज़रूर पसंद आया होगा। इस विषय व आर्टिकल पर आप अपने विचार हमसे साझा कर सकते हैं।
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