भीमबेटका क्यों प्रसिद्ध है - (भीमबेटका की जानकारी, इतिहास, रहस्य, गुफ़ाओं की खोज, भीमबेटका मंदिर), Bhimbetka ka rahasya in hindi, bhimbetka ka itihas in hindi, bhimbetka ke bare me jankari
भीमबेटका मध्यप्रदेश का एक ऐसा स्थान है जो इतिहास के पन्नों को पलटकर हमें प्राचीन काल में मानव जीवन की संस्कृति, ख़ूबसूरत शिल्पकलाओं और कलाकृतियों से भरी दुनियां में ले जाता है। यह सिर्फ़ एक स्थान ही नहीं, बल्कि मानव सभ्यता के विकास का एक जीवंत प्रमाण है।
यहां की बेजोड़ कलाकृतियों, अद्भुत शिल्पकलाओं, विस्मयकारी गुफ़ाओं, पुरातात्विक धरोहरों एवं हरी भरी पर्वत श्रेणियों का लुत्फ़ उठाने कम से कम एक बार आपको ज़रूर जाना चाहिए। सचमुच यहां की प्राचीन गुफ़ाओं, चित्रकलाओं और प्राकृतिक सौंदर्य से आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे।
दोस्तों भारत में प्राचीन काल से ही अनेक ऐसे स्मारक, महल, बावलियां, मक़बरे आदि बनाए गए हैं जिन्हें देखकर आज भी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का बोध होता है। इनकी कलाकारी, शिल्पकारी और बेजोड़ प्राचीन धरोहरों को देखकर हमारा मन प्रसन्नता से खिलते हुए गौरवान्वित हो उठता है।
दोस्तों इन्हीं बेजोड़ प्राचीन और पुरातात्विक धरोहरों में से एक है भीमबेटका। हम पूरे यक़ीन से कह सकते हैं कि आप भीमबेटका की यात्रा पर जाते ही, यहां की कलाकृति और शिल्पकारी को देखकर प्राचीन काल में खो जाएंगे। यहां आदिमानवों द्वारा बनाए गए शैलाश्रय और शैलचित्रों की झलक पाकर आप विस्मय से भर जाएंगे।
भीमबेटका, भारत के मध्यप्रदेश राज्य के रायसेन ज़िले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। जो भोपाल से क़रीब 45 किलोमीटर दूर दक्षिण में विंध्य पर्वतमाला के चट्टानी इलाकों में स्थित है। भीमबेटका की गुफ़ाएं प्राकृतिक रूप से बनी हुई हैं। इनकी ख़ूबसूरती और शांत वातावरण देश विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
भीमबेटका का नामकरण
भीमबेटका का नाम 'भीम बैठका' से लिया गया है जिसका मतलब है, 'भीम के बैठने की जगह'। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों के भाई भीम यहां आए थे। यहां आकर उन्होंने इस स्थान पर निवास (विश्राम) किया था। इसलिए इसका नाम भीमबेटका पड़ा। हालांकि, पुरातात्विक खोजों से पता चला है कि ये गुफ़ाएं पांडव काल से बहुत पहले से ही बनी हुई थीं।
भीमबेटका क्यों प्रसिद्ध है (Bhimbetka kyon prasiddh hai?)
भीमबेटका अपनी प्रागैतिहासिक गुफ़ा, चित्रकला और शैलाश्रय (रॉक शेल्टर्स) के लिए विश्व प्रसिद्ध है। जहां
आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्र और शैलाश्रय देखते ही बनते हैं। इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न के रूप में माने जाते हैं।
भीमबेटका को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अगस्त 1990 में राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया था।
और जुलाई 2003 में यह स्थल यूनेस्को (Unesco) की विश्व धरोहर की सूची में शामिल हो चुका है।
भीमबैठका क्यों प्रसिद्ध है? या यूं कहिए कि भीमबैटका की विशेषता क्या है? तो चलिए भीमबैठका की विशेषताओं को हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से जानते हैं -
1. प्राचीन शैलचित्र (Rock Paintings)
भीमबेटका में करीब 500 से अधिक गुफ़ाएं और
700 से अधिक शैलाश्रय (rock shelters) हैं। जिनमें से लगभग 500 में चित्र मौजूद हैं। ये लगभग 30,000 साल पुराने शैलचित्र हैं। इन गुफ़ाओं में पाषाण युग से लेकर मध्यकालीन युग तक के चित्र मिले हैं। ये चित्र मानव सभ्यता के शुरुआती चरणों के जीवन और संस्कृति को दर्शाते हैं। इन चित्रों में शिकार, नृत्य, जानवर, धार्मिक गतिविधियां और दैनिक जीवन की झलकियां दिखाई देती हैं। इन चित्रों में लाल और सफ़ेद रंगों का उपयोग किया गया है, जो प्राकृतिक खनिजों से बनाए गए थे।
2. प्रागैतिहासिक मानव के साक्ष्य
भीमबेटका मानव सभ्यता के शुरुआती चरणों, जैसे पाषाण युग (Paleolithic), मध्यपाषाण युग (Mesolithic) और नवपाषाण युग (Neolithic) की उपस्थिति के प्रमाण प्रस्तुत करता है।
3. मिथकीय और पौराणिक महत्व
भीमबेटका का नाम महाभारत के भीम से जोड़ा जाता है। लोककथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि इस स्थान में महाभारत के भीम ने विश्राम किया था। जिसके कारण इस स्थान का नाम "भीम बैठका" पड़ा।
4. प्राकृतिक सुंदरता
यह स्थल विंध्याचल की पर्वत श्रेणियों की तलहटी और घने जंगलों के बीच स्थित है जो इसे प्राकृतिक रूप से भी आकर्षक बनाता है। यही कारण है कि यह स्थान पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत रमणीय स्थल बन गया है।
5. वैज्ञानिक और सांस्कृतिक अध्ययन
यह स्थल पुरातत्वविदों और मानव विज्ञानियों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यह मानव जीवन के विकास और उनके कला-रूपों की जानकारी देता है।
भीमबेटका कैसे पहुंचें (How to reach bhimbetka in hindi?)
भीमबेटका (bhimbetka) तक पहुंचने के प्रमुख रास्ते निम्न हैं -
सड़क मार्ग (Road route)
भीमबेटका जाने के लिए भोपाल से बस या टैक्सी द्वारा भीमबेटका आसानी से पहुंचा जा सकता है। क्योंकि भीमबैठका (bhimbetka) भोपाल से काफ़ी क़रीब है। आप चाहें तो अपने साधन यानि कि बाइक,, कार आदि से भी यहां पहुंच सकते हैं। इसके अलावा राज्य एवं निजी बसें भी भीमबेटका के लिए बेहतर सेवाएं प्रदान करती हैं। अब तो भीमबेटका को जोड़ने वाली सड़कें, मध्यप्रदेश के अन्य पड़ोसी शहरों से भी उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग (Railway route)
भीमबेटका से सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल है, जो कि भीमबेटका से लगभग 37 किमी पर स्थित है। राजधानी का यह रेलवे स्टेशन मध्यप्रदेश के अन्य नज़दीकी शरेल्वे स्टेशनों से सीधे सीधे जुड़ा हुआ है। इसलिए देश के अन्य स्थानों से भोपाल तक ट्रेन मार्ग से आना आसान है। इसके बाद भोपाल से बस या टैक्सी के ज़रिए भीमबेटका आसानी से पहुंचा जा सकता है।
वायु मार्ग (Airway)
भीमबेटका का सबसे क़रीबी हवाई अड्डा, भोपाल का राजा भोज हवाई अड्डा है। यह भीमबेटका से 45 किमी दूरी पर स्थित है। यदि आप विदेश में या देश में दूरस्थ इलाक़े में रहते हों तो यहां पहुंचने के लिए आप भोपाल तक हवाई यात्रा कर पहुंच सकते हैं। भोपाल आकर, भीमबेटका के लिए बस, टैक्सी आदि से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
भीमबेटका से जुड़े ख़ास तथ्य (Special facts related to Bhimbetka in hindi)
• भीमबेटका को भारत का प्रागैतिहासिक मानव संग्रहालय कहा जाता है।
• भीमबेटका आदिमानवों द्वारा बनाए गए शैलाश्रय और शैलचित्रों के लिए यह प्रसिद्ध है।
• यहां करीब 750 शैलाश्रय हैं जिनमें से 500 शैलाश्रयों पर चित्र बने हैं.
• यहां की चट्टानें भूवैज्ञानिक रूप से भी अद्भुत हैं। ये चट्टानें 10,000 साल पुरानी कही जाती हैं।
• भीमबेटका से जुड़ा एक विशिष्ट तथ्य है कि दुनिया की सबसे पुरानी गुफ़ा और इतनी प्राचीन चित्रकारी भीमबेटका में ही मिली हैं। इन चित्रों की उम्र लगभग 30,000 साल से अधिक बताई जाती है। ये चित्र हमें हमारे पूर्वजों के जीवन, उनकी सोच और कला के बारे में बताते हैं।
• यहां कई पुरातात्विक अवशेष मिले हैं, जैसे कि प्राचीन किले की दीवार, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, पुराने समय में बनाया गया भवन, और परमार कालीन मंदिर के अवशेष।
• यूनेस्को ने भीमबेटका को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। यह भारत के लिए गर्व का विषय है।
• इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और छात्रों के लिए भीमबेटका एक महत्वपूर्ण अध्ययन केंद्र है। यहां से इतिहास के कई रहस्य खुलते हैं।
• भीमबेटका की गुफ़ाएं प्राकृतिक रूप से बनी हुई हैं। इनकी ख़ूबसूरती और शांत वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
• भीमबेटका रत्नागिरी और सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित है। यह जगह आबादी से दूर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पहाड़ियों के बीच में है।
• यहां के चित्रों में शिकार, नाच-गाना, घोड़े और हाथी की सवारी, लड़ते हुए जानवर, श्रृंगार, मुखौटे और घरेलू जीवन से जुड़े कई दृश्य हैं।
भीमबेटका का रहस्य (Bhimbetka ka rahasya)
भीमबेटका में आदिमानवों द्वारा बनाए गए शैलाश्रय और शैलचित्र, अद्भुत शिल्पकारी, विस्मयकारी गुफ़ाएं
किसी रहस्य से कम नहीं हैं। दरअसल भीमबेटका का रहस्य यह है कि आख़िर यहां इतने प्राचीन चित्र कैसे बनाए गए? हमारे पूर्वजों ने इन चित्रों को क्यों बनाया होगा? इस तरह के अनेक सवाल आज भी रहस्य बने हुए हैं। हालांकि इस प्राचीन धरोहर से कुछ ख़ास जानकारी ज़रूर मिलती है। जो निम्नलिखित है -
" शिकार और संग्रह : भीमबेटका के अधिकांश चित्रों में शिकार, नृत्य, संगीत और जानवरों को प्रदर्शित किया गया है। जिनसे पता चलता है कि प्राचीनकाल से ही लोग शिकार पर निर्भर थे। और नृत्य, संगीत आदि से जुड़े हुए थे।
" धार्मिक विश्वास : भीमबेटका में आप देखेंगे कि यहां कुछ चित्रों में धार्मिक प्रतीकों को प्रदर्शित किया गया है, जिससे साफ़ पता चलता है कि हमारे पूर्वज इस समय भी धार्मिकता से ओतप्रोत थे।
" समाज और संस्कृति : भीमबेटका में बनाए गए अद्भुत और विशिष्ट चित्रों में उस समय के समाज और संस्कृति का विशेष चित्रण किया गया है। इस तरह हम उस समय की संस्कृति और समाज के बारे में आसानी से अंदाज़ा लगा सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
भीमबेटका भारत का एक अनमोल ख़ज़ाना है। यह हमें हमारे अतीत से जोड़ता है और हमें हमारे पूर्वजों के जीवन के बारे में बताता है। यहां की गुफ़ाएं पाषाण युग से लेकर मध्यकाल तक की मानव सभ्यता का प्रतिनिधित्व करती हैं। भीमबेटका की यात्रा आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव हो सकता है।
भीमबेटका न केवल भारत के, बल्कि पूरी दुनिया के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भीमबेटका भारतीय इतिहास, कला, और संस्कृति का एक अद्वितीय संगम है, जो प्राचीन मानव जीवन और उसकी रचनात्मकता की झलक दिखाता है।
सामान्यतः सर्दियों का मौसम, यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय होता है। आप सर्दियों के दिनों में भीमबेटका की चित्रकारी, शिल्पकारी, शैलचित्र और गुफ़ाओं के साथ साथ प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी ले सकते हैं।
उम्मीद है हमारा यह लेख "Information about bhimbetka in hindi" पढ़कर आप जान चुके होंगे कि भीमबैटका क्यों फेमस है (bhimbetka kyu famous hai?) और भीमबेटका का इतिहास (bhimbetka ka itihas) क्या है? ऐसे ही दिलचस्प लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहिए हमारी वेबसाइट चहलपहल के साथ।
"- Written by Alok"
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