बच्चों के बुख़ार के लिए घरेलू नुस्ख़े | Home remedy for child fever in hindi

बच्चे को बुख़ार आने पर क्या करें? | बच्चों में बुख़ार के लिए 8 घरेलू नुस्ख़े (बच्चों को बुख़ार आ जाये तो क्या करें?)



दोस्तों आज के समय में बच्चों, बड़ों या किसी को भी ज़रा सी भी छींक आ जाये या शरीर का तापमान ज़रा सा भी बढ़ जाये तो घर के सभी सदस्यों के होश उड़ जाते हैं। यानि 
कि पसीने छूट जाते हैं। कोविड के दौर के बाद जो माहौल बना हुआ है। उसमें हम सभी की समस्याओं को दो गुना कर दिया है। और यदि बात करेें बच्चों के स्वास्थ्य की। तो हमें और भी अधिक सतर्क होने की आवश्यकता होती है।

आज का टॉपिक इसी विषय पर है कि किस तरह हम बच्चों को बुख़ार (bachchon ko bukhar) होने पर या सर्दी ज़ुकाम होने पर घर पर प्राथमिक उपचार दे सकते हैं। और अपने नन्ही सी जान की सुरक्षा कर सकते हैं। साथ ही बेहतर आदतों के विकास कर सकते हैं। बच्चों को बुख़ार आये तो क्या करें (baccho ko bukhar aaye to kya kare) इस समस्या का निराकरण हम आज इस अंक में बताने जा रहे हैं।

अधिकतर बच्चों में बुख़ार का सामान्य कारण वायरस संक्रमण होता है। जिसे वायरल फ़ीवर के नाम से भी जाना जाता है। और ये समस्या बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity power in hindi) कम हो जाने के कारण होती है। अतः उन्हें बाहर के संक्रमण से प्रभावित होने का ख़तरा ज़्यादा होता है।

बच्चों का बुख़ार कैसे ठीक होगा (bacchon ka bukhar kaise thik hoga?) अक़्सर हम इसी पशोपेश में रहते हैं जब घर मे बच्चे को बुख़ार आ जाये। तो दोस्तों हमारे आयुर्वेद में ऐसी कई औषधियाँ एवं घरेलू नुस्ख़े हैं जिन्हें अपनाकर हम बच्चों एवं स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं। आइये देखते हैं बच्चों का बुख़ार और घरेलू नुस्खों को। 


ज़ुकाम बुख़ार के लिए घरेलू उपचार (Home remedies for cold and fever in hindi)  



(1) बच्चे के शरीर का तापमान नापकर पट्टी करना -
थर्मामीटर से बच्चों के शरीर का तापमान मापन एवं सबसे पहले प्राथमिक उपचार के रूप में ठंडे पानी की पट्टी करना कारगर साबित होता है। इसके लिए किसी मग या बाउल में पानी लेकर सूती कपड़े की दो पट्टियाँ लें या आप दो सूती रुमाल का use भी कर सकते हैं। उसे हल्के हाथों से निचोड़ कर बच्चे के माथे एवं पैरों के तलवे पर रखते जाएं। इससे आपको कुछ ही समय में बच्चों के शरीर के तापमान में अंतर महसूस होगा।

(2) गिलोय एक रामबाण इलाज -
बच्चे हों या बड़े। सभी के लिए गिलोय वर्तमान समय में अमृत सिद्ध हो रहा है। अगर आपके आसपास गिलोय का  तना नहीं मिल पा रहा हो तो आप किसी भी ब्रांड की गिलोय घनवटी का प्रयोग कर सकते हैं। वैद्य की सलाह से आप बच्चे को गिलोय की उपयुक्त मात्रा दे सकते हैं।उपयोगिता एवं इसके औषधीय गुणों से भरपूर ये पौधा आज के समय मे किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं हैं।

इसके लिए आपको गिलोय की एक मध्यम आकार की डंडी को साफ़ पानी से धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटना होगा। और फ़िर इसे किसी बर्तन में रखकर किसी वस्तु की सहायता से कूटकर और फ़िर एक बर्तन में 1 लीटर पानी लेकर उसमें ये कूटी हुई डंडियाँ डाल दीजिए। 

इसे तब तक अच्छी तरह पकाइए जब तक इसके पानी का कलर चेंज न हो जाये। फ़िर इसके हल्के गर्म (बच्चे की सुविधानुसार) पानी को दिन में कम से कम 2 बार अवश्य पिलाएं। इससे अद्भुत लाभ मिलेगा। यह बुख़ार को कम करने के साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाएगा। जिससे आप पहले जैसा स्वस्थ और फुर्तीला महसूस कर सकेंगे।


(3) तुलसी की पत्तियां -
आज के समय में जितना गिलोय महत्त्वपूर्ण है उतनी ही तुलसी की भी उपयोगिता है। हर घर में भारतीय परम्परा अनुसार तुलसी के पौधे लगाए जाते हैं। तुलसी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर उसमें आवश्यकतानुसार शहद मिलाकर बच्चों को 2 से 3 बार अवश्य दें। या तुलसी की पत्तियों को पीसकर उसका रस निकालकर शहद के साथ दे सकते हैं।

इसके अलावा आप तुलसी की 6-7 पत्तियों को धोकर साफ कर उन्हें भी बर्तन में पानी के साथ उबाल लीजिये। 5-7 मिनट पकने के बाद उस पानी को छानकर बच्चों को दिन में 2-3 बार ज़रुर पिलाएं।

(4) अदरक के रस से बुखार का इलाज -
मध्यम आकार के अदरक को कूटकर व उसे निचोड़कर उसका रस निकाल लें और उसे शहद के साथ समान मात्रा में दें। इससे बुख़ार के साथ-साथ गले की खराश व सर्दी-ज़ुकाम में भी राहत मिलेगी।

(5) काली मिर्च का प्रयोग -
2 से 3 काली मिर्च और 2-3 तुलसी की पत्तियां अच्छी तरह कूटकर मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण में शहद मिलाकर बच्चे को दिन में 2 बार ज़रूर दें। हो सके तो रात में आवश्यकनुसार ज़रूर दें। इससे गले का जो भी इन्फेक्शन होगा वो ख़त्म हो जाएगा।

(6) सेब के सिरके से -
कुनकुने पानी में 1 चम्मच सेब का सिरका डालकर अच्छी तरह मिला लें इसमें एक सूती कपड़ा भिगोकर हल्के हाथों से निचोड़कर बच्चे के शरीर पर विशेषकर माथे, छाती, हाथ, पेट एवं पैर के तलवों को अवश्य ही पोछें। इससे शरीर के तापमान में कमी भी आएगी और शरीर के इन्फेक्शन, संक्रमण का ख़तरा भी कम होगा।

(7) जायफ़ल के प्रयोग से -
जायफ़ल को अच्छी तरह से पानी से साफ़ कर लें। क्योंकि यह दुकानों में कई दिनों तक पड़े रहते हैं। इन्हें एक साफ पत्थर, सिलबट्टा या ऐसी कोई भी चीज़ जिससे घिसकर इसका लेप या पाउडर बनाया जा सके। इस लेप या पाउडर को दूध या शहद के साथ दिया जा सकता है।

अगर नवजात शिशु हो तो उसे माँ के दूध के साथ जायफ़ल पीसकर देना अत्यंत फ़ायदेमंद होता है। इसका प्रयोग सर्दी-ज़ुकाम, गले में किसी भी प्रकार का संक्रमण और बुख़ार आदि को दूर करने में किया जाता है। जायफ़ल को बच्चा अगर पीने में आनाकानी करे तो इसे पीसकर या घिसकर शिशु के छाती, नाक और आवश्यकनुसार सिर पर भी लेप लगाया जा सकता है। ये आयुर्वेदिक नुस्ख़े आपके शिशु को अतिशीघ्र स्वस्थ होने में मदद करेंगे।

(8) पिपरी का प्रयोग -
पिपरी बच्चों या बड़े या बुज़ुर्गों के लिए सर्दी-ज़ुकाम और बुख़ार में अत्यंत लाभकारी होती है। 2 या 3 बड़ी पिपरी लें और इसे तवे पर मध्यम आँच पर भून लें। इसके बाद इसे बारीक़ पीसकर इसका चूर्ण बना लें। और फ़िर इसे शहद के साथ दिन में 3 बार चटायें। यह अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।


बच्चों को बुख़ार आने पर निम्न सावधानियाँ बरतें -

(1) बच्चे को बुख़ार आने पर, हर थोड़ी-थोड़ी देर में ठंडे पानी की पट्टियाँ, सिर, मस्तक, पैरों के तववे, छाती से होते हुए हाथ पर रकह सकते हैं या गीले कड़े से पोंछ सकते हैं।

(2) बच्चे के शरीर में पानी की कमी न होने दें। उसे समय-समय पर तरल पदार्थ (Liquid Diet) देते रहें। जैसे ग्लूकोज़ का पानी, नीबू पानी, आरेंज जूस, तरबूज़, खरबूजा आदि। ये फल या फलों में जूस आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ शरीर के तापमान को भी मेंटेन करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

(3) एक अत्यंत आवश्यक व महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों को उबाला हुआ पानी पीने योग्य ठंडा करके पीने को दिया जाए।। केवल बीमार होने पर ही नहीं बल्कि उन्हें हमेशा ही लाइन के लिए Boil water (उबला पानी) ही दिया जाए।

(4) बच्चों को खाने में हल्का एवं आसानी से पचने वाला भोजन दिया जाये जिससे बच्चों के शरीर में बराबर एवं सही मात्रा में पोषक तत्व जा सकें जैसे दलिया, पतली खिचड़ी एवं सूप आदि।

(5) अगर बच्चा किसी भी ऐसे खाद्य पदार्थ की माँग करे जो पचने में बहुत समय ले जैसे नूडल्स, तला हुआ भोजन या अन्य कुछ हो तो बच्चों को ऐसे खाद्य पदार्थों से दूर ही रखें तो ज़्यादा बेहतर होगा।

(6) बच्चों को बाहरी शीतल पेय (कोल्ड ड्रिंक) पाइन से बचाएँ। यदि संभव हो तो आइसक्रीम से भी दूर रखें।

(7) बच्चों को कुछ भी खाने से पहले उनके हाथों को हैंडवाश या साबुन से अच्छी तरह से धुलाएँ।

(8) बच्चों को किसी भी ऐसे स्थान पर जाने के रोकें जहाँ उन्हें किसी भी प्रकार के संक्रमण का ख़तरा हो। यानि कि जहाँ उन्हें किसी भी प्रकार ख़तरा हो।

(9) बच्चों को मौसम के अनुकूल अर्थात गर्मी में सूती एवं आरामदायक वस्त्र पहनाएं।

दोस्तों उम्मीद है आपको हमारे इस अंक में बताए गए बच्चों को बुख़ार आने पर घरेलू उपाय (bachcho ko bukhar aane par gharelu upay) ज़रूर पसंद आये होंगे। आशा है आप बच्चों को बुखार के घरेलू नुस्ख़े (bacchon ko bukhar ke gharelu nuskhe) अपनाकर अपने बच्चों के स्वास्थ्य पर पूरा कंट्रोल रख पाएंगे।
(- By Poonam)


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