लिव इन रिलेशनशिप सही है या ग़लत in India | क्या हैं क़ानूनी मान्यताएं |

ज के नए ज़माने में जहाँ नवयुवकों में प्यार को लेकर एक जिज्ञासा, अतिउत्साह, उत्तेजना (excitement) या दोस्ती को प्यार समझ लेने की होड़ सी लगी हुई है। वहीं इन युवाओं में जल्दबाज़ी भी देखी जाती है। दोस्तों दरअसल हम आज इस लेख के ज़रिये आप सभी से एक ऐसी प्रथा की चर्चा करने वाले हैं जो कि पश्चिमी देशों से आकर हमारे देश में पैर पसार रही है। तो आइये पहले ये जानने की कोशिश करें कि ये लिव इन रिलेशनशिप (live in relationship) का मतलब क्या होता है?




भारतीय युवाओं की जीवन शैली में तेज़ी से बदलाव आ रहा है। इसके लिए ये आधुनिक संस्कृति को अपनाने में कोई भी झिझक महसूस नहीं करते। और लिव इन रिलेशनशिप आधुनिक संस्कृति की ही एक शैली है। आजकल के युवा लिव इन रिलेशनशिप को वैवाहिक जीवन से बेहतर मानने लगे हैं। 

आज की पीढ़ी शादी और लिव इन रिलेशनशिप को एक जैसा ही मानती है। इनका मानना है की शादी में समाज और क़ानून का हस्तक्षेप होता है किन्तु लिव इन रिलेशनशिप में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। बल्कि पूरी आज़ादी होती है। लेकिन शादी और लिव इन रिलेशनशिप में अंतर है। इसे बारिकी से समझने की आवश्यकता है -


 

क्या है लिव इन रिलेशनशिप (what is live in relationship in hindi)



लिव इन रिलेशनशिप एक ऐसी व्यवस्था को कहा जाता है जिसमें दो लोग यानि कि एक लड़का और एक लड़की आपसी सहमति से, बग़ैर विवाह के living together without marriage पति पत्नी की तरह रहते हैं। भले ही इनका आपस में संबंध स्नेहात्मक और गहरा ही क्यूँ न हो किन्तु ये पति पत्नी की तरह रहते हुए शारीरिक संबंध भी बनाते हैं।

आजकल विदेशों के साथ-साथ भारतीय महानगरों में भी यह प्रचलन तेज़ी से आ रहा है। इस विषय में research करने पर एक वजह पता चली कि कोई लड़का और लड़की एक दूसरे को जाँचने-परखने के उद्देश से एक दूसरे के साथ लिव इन रिलेशनशिप (Live in Relarionship) में रहते हैैं। शायद ये लोग इस बात की प्रैक्टिस करते हैं कि भविष्य में ये दोनों एक साथ मिलकर ज़िन्दगी गुजार सकते हैं या नहीं। शायद इनकी यही सोच रहती है जिसके चलते ये लिव इन रिलेशनशिप का रास्ता चुनते हैं।


वैसे कुछ लोग इस प्रथा का समर्थन टाईम पास और इच्छापूर्ति का ज़रिया भी मानते हैं। उन्हें लगता है कि इस लुभावनी प्रथा का समर्थन करने से अनेक फ़ायदे होंगे।  

किन्तु हम आपको बता दें कि ये प्रथा जितनी आसान लगती है उतनी ही पेचीदा है। जितने इसके फ़ायदे हैं उससे कहीं ज़्यादा नुकसान हैं। इस तरह के संबंध प्रायः पश्चिमी देशों में बहुतायत में देखने मिलते हैं। क्योंकि वहाँ की संस्कृति इस प्रथा को सहज ही स्वीकार करती है। वहाँ की लाइफ़स्टाइल भी कुछ इसी तरह की है।

भारत में भी कुछ वर्षों से इस व्यवस्था को support मिला है। जिसके पीछे महानगरों में बसने वाले कुछ लोगों के बदलते सामाजिक विचार, विवाह की समस्या और धर्म से जुड़े मामलों का होना माना जा सकता है।


समाज का एक वर्ग इसे भारतीय संस्कृति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा मानता है। तो वहीँ दूसरा वर्ग इसे आधुनिक परंपरा में बदलाव के रूप में देखते हुए स्वतन्त्र जीवन जीने के लिए वरदान मानता है। हर चीज़ के अपने अपने फायदे और नुकसान होते हैं। उसी तरह live in relationship के अपने फ़ायदे और नुकसान भी हैं-



लिव इन रिलेशनशिप के लाभ (Benefits of live in relationship in hindi)



लिव इन रिलेशनशिप live in relationship में साथ रहने से लड़का लड़की एक दूसरे को, उनकी आदतों, पसंद-नापसंद को अच्छी तरह जान पाते हैं। अगर ये आपस में प्रेम करते हैं तो इनके लिए लिव इन रिलेशनशिप एक अच्छा ज़रिया बन सकता है। आइये इस रिश्ते से होने वाले लाभ क्या हैं जानें-

  • इस तरह साथ रहने से दोनों को किसी भी प्रकार की सामाजिक और पारंपरिक बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
  • वैवाहिक रिश्तों वाली ज़िम्मेदारी live in relationship में लागू नहीं होतीं।
  • इस relationship के बहाने दोनों को शादीशुदा ज़िन्दगी के की सच्चाई और ज़िम्मेदारी का एहसास भी हो जाता है।
  • पैसों की बचत भी होती है। जैसे एक दूसरे से मिलने और एक दूसरे पर किये जाने वाले ख़र्चे एक साथ रहने से कम होते हैं।
  • दोनों ही एक दूसरे का सम्मान करने और सम्मान की आस में लगातार प्रेमपूर्वक रहने का प्रयास करते हैं।
  • अगर पार्टनर सच में अच्छा मिल जाए तो आगे की सारी ज़िन्दगी सचमुच संवर जाती है। क्योंकि अपने पार्टनर के साथ बिना शादी के ही साथ रहने से आप और भी नज़दीक आ जाते हैं और आपके रिश्ते और भी ज़्यादा मज़बूत बन जाते हैं।
  • वैवाहिक जीवन को संभालने का हुनर आ जाता है। छोटी-मोटी समस्याओं से जूझना आ जाता है। साथ ही इस रिश्ते का भविष्य कैसा होगा, समझ आ जाता है।
  • साथ रहने से शारीरिक संबंध बनाने की आज़ादी मिल जाती है। जो कि दूर रहते हुए मुमकिन नहीं हो पाती। दूर रहने से आप सिर्फ दोस्त की तरह ही रह पाते हैं। जबकि साथ रहने से पति-पत्नी जैसा रिश्ता बनाने का मौक़ा मिल जाता है।
  • इस दौरान यदि रिलेशनशिप से अलग होना चाहें तब ऐसे परिस्थितियों में तलाक़ जैसी झंझट से सामना नहीं करना पड़ता। कभी भी इस रिश्ते से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • लिव इन रिलेशनशिप में विवाह की तरह समाज/क़ानून के नियमों में बंधने के कोई ज़रूरत नहीं होती। ना ही Relationship बनाते समय और ना ही Relationship तोड़ते समय।


लिव इन रिलेशनशिप के नुकसान (Disadvantages of live in relationship in hindi)

दोस्तों लिव इन रिलेशनशिप की शुरुआत महानगरों में रहने वाले शिक्षित और आर्थिक रूप से स्वतंत्र लोगों ने ही की है जो कि विवाह के बंधन से छुटकारा पाना चाहते हैं क्योंकि इस रिश्ते को अपने पार्टनर की सहमति के बग़ैर कभी भी तोड़ा जा सकता है। 


लेकिन सही मायने में कहा जाए तो ऐसा रिश्ता जिसका कोई आधार ही न हो, वह ज़्यादा टिकाऊ कैसे हो सकता? इसके नुकसान भी झेलने पड़ते है। आइये इससे होने वाले नुकसानों को समझें-
  • चूंकि इस रिलेशनशिप में एक दूसरे को छोड़कर कभी भी चले जाने की पूरी आज़ादी होती है। इसलिए जो couples इस तरह के रिलेशनशिप में रहते हैं उनके मन में हमेशा ही इस बात का खटका बना रहता है।
  • ऐसे जोड़ों के परिवार वालों को जब इनके रिलेशनशिप का पता चलता है। तब पूरे परिवार पर तनाव का ग्रहण लग जाता है जिस कारण इन जोड़ों को भी भारी तनाव से गुज़रना पड़ता है। जिसका परिणाम बुरा ही होता है।
  • जब लोग साथ रहते हैं तो अक्सर छोटी मोटी बातों की वजह से उनके बीच तनातनी हो ही जाया करती है। यदि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले स्त्री पुरुष हों तो उनके बीच सुलह होना ज़रा मुश्किल होता है।
  • परिवार के साथ-साथ ऐसे लोगों को समाज से भी तिरस्कार के परिणाम झेलने पड़ते हैं।
  • इस तरह के रिश्ते ज़्यादा टिकाऊ नही हुआ करते, रिश्ते से बोर होने के बाद कभी भी रिश्ता तोड़ा जा सकता है।
  • बदक़िस्मती से अगर आपका पार्टनर आपके लिए बुरा साबित होता है तब तो रिश्ता टूटने के बाद आपकी ज़िंदगी एक बुरे ख़्वाब की तरह गुज़ारनी पड़ती है।
  • रिश्ता टूटने पर स्त्री को पुरुष की अपेक्षा ज़्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। क्योंकि इस रिलेशनशिप में स्त्री के साथ शारीरिक संबंध का बनना आम बात होती है। जो कि अचानक रिश्ता टूट जाने पर वह स्त्री शारीरिक, मानसिक, सामाजिक रूप से तनाव और अवसाद में डूब जाती है। जिसके बेहद दुष्परिणाम झेलने पड़ते हैं।
  • impact of live-in relationship on society- ऐसे रिलेशनशिप से जन्म लेने वाले बच्चे मर्यादाओं और समाज के व्यवहार से अलग, कुंठित जीवन जीने के लिए मजबूर होते हैं।  समाज में इस रिलेशन का सबसे ज़्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 
  • विवाह से बने रिश्तें में जो आदर सम्मान मिलता है, वह सम्मान Live in relationship में कम ही मिलता है।
  • भारत में आज भी इस प्रथा को सही नहीं माना जाता। क्योंकि इस तरह की रिलेशनशिप में सबसे ख़राब बात यह होती है कि इसमें लड़का-लड़की बिना शादी के पति-पत्नी की तरह रहते हैं। यानी कि आपस में शारीरिक संबंध भी बनाते हैं। लेकिन संबंध टूटने के बाद दोनों ही अलग-अलग किसी और के साथ शादी करके जीवन की शुरुआत करने चाहें। तो आगे उनका वैवाहिक जीवन भी बर्बाद हो जाता है।


सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय लिव इन रिलेशनशिप (Supreme Court Judgement  Live in Relationship in hindi)



भारत में लिव इन रिलेशनशिप को कानून ने इज़ाज़त दे दी है। कोई भी युवक-युवती एक साथ अपनी सहमति से रह सकते है यदि वे वयस्क होने की उम्र छू चुके हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने (अप्रैल 2014) में फैसला दिया है कि live in relationship में रहने वाले जोड़ों के साथ कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी।

साथ ही उन्हें विवाहित जोड़ों की तरह कोई क़ानूनी मदद भी मिल सकेगी यह कहना ज़रा मुश्किल ही होगा।। ये उनका अपना फ़ैसला होगा। हाँ मगर रिश्ते टूट जाने पर क़ानूनी हक़ पाने के लिए रिलेशनशिप में रहने वाले युवक-युवतियों को कुछ बातें सिद्ध करनी होगी।


मसलन वे दोनों वयस्क और अविवाहित होने चाहिए। और उनका रिलेशनशिप अधिक सालों तक चल रहा होना चाहिए। और साथ में कुछ aggrement होने चाहिए जिसके बलबूते युवती अपने पार्टनर की संपत्ति पर कुछ हक़ अपना भी जता सकती है। यानी कि लिव इन रिलेशनशिप कानून के तहत जो शर्तें होंगी उन सभी शर्तों को मानना होगा। 

यदि उनके बीच शारीरिक संबंध से बच्चा हो तो, क़ानून उसे पिता से उसका हक दिला सकता है। मगर युवती को अपने साथ रखने के लिए कोई दबाव नहीं दे सकेगा। जैसा कि विवाह के बाद होता है।

उन दोनों को कुछ कानूनी agreement करने होंगे। वैसे घरेलू हिंसा के तहत युवती को ज़रूर क़ानूनी मदद मिल सकेगी। मगर पत्नी को जो हक़ मिलता है वो रिलेशनशिप में रहने वाली युवती को भी मिल जाये इसकी कोई गारंटी नहीं होगी।

हम आप भली भांति जानते हैं कि शादी करने के बाद भी इसी कोई महिला की अपने पति से नहीं बनती तब ऐसी परिस्थिति में तलाक के बाद भी महिलाओं को क़ानून की तरफ़ से अनेक अधिकार हासिल होते हैं। किन्तु लिव इन रिलेशनशिप में रह रहीं महिलाओं के लिए क़ानूनन कोई विशेष अधिकार नहीं होते। 


लिव इन रिलेशनशिप और महिलाएँ (Live in relationship and women)

सुप्रीम कोर्ट से भले ही लिव इन रिलेशनशिप को क़ानूनी रक्षा कवच का जुमला दे दिया हो लेकिन सच्चाई यह है कि प्रत्येक महिला को अपने पार्टनर की संपत्ति में से हिस्सा मिल ही जाए, इस तरह का कोई विशेष कानूनी अधिकार नहीं बना है। 




बग़ैर विवाह के पति-पत्नी की तरह रहने का प्रचलन ज़ोरों पर है और चूँकि अब सुप्रीम कोर्ट भी इस लिव इन रिलेशनशिप को पाप या अपराध की श्रेणी में नहीं मानता। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ साफ़ कह दिया है कि शादी करने या न करने और किसी के साथ रिलेशनशिप में रहने का फ़ैसला पूरी तरह से उन लड़के-लड़कियों का निजी मामला होता है। हाँ बस कम से कम लड़की की उम्र 18 और लड़के की उम्र 21 वर्ष अवश्य होनी चाहिए। इस उम्र के युवक-युवतियों को किसी भी रिलेशनशिप में रहने के लिए पूरी तरह आज़ादी हैं। 


किन्तु यह कड़वी सच्चाई है कि शादीशुदा महिला की तरह live in relationship में रह रही महिला को वो अधिकार कभी नही मिल सकते। जो शादी शुदा महिला को मिलते हैं। ऐसी महिलाओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाऐं अपने पार्टनर के साथ रिलेशनशिप में रहने का सबूत देने का प्रयास भी करें। यानी कि रेंट एग्रीमेंट, जॉइंट बैंक एकाउंट, किसी बिज़नेस के कागज़ात जो कि दोनों केके साथ हों आदि का प्रमाण दे भी दे तो भी ऐसे Relationship में रहने वाली महिला को उसके पार्टनर की संपत्ति से कोई अधिकार मिल ही जाए ये निश्चित नहीं होता।

हां बल्कि इस तरह के रिश्ते में पार्टनर से उनको गुज़ारा भत्ता ज़रूर मिल सकता है। वह भी उसी परिस्थिति में जब उसका पार्टनर जीवित हो। अन्यथा उसे कोई भी गुज़ारा भत्ता नहीं मिल सकता।

कैसे मिल सकता है संपति का हक़-
सुप्रीम कोर्ट के तहत यह हो सकता है कि यदि Live in relationship में रहने वाली महिला ने अपने नाम वसीयत नाम तैयार करा लिया है तभी उसको अपने पार्टनर की संपत्ति का अधिकार मिल सकता है। लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को चाहिए कि वह जो भी एग्रीमेन्ट अपने पार्टनर के साथ करती है उसमें स्पष्ट रूप से संपत्ति के हक़ के बारे में उल्लेख किया गया हो।

इसके अतिरिक्त महिला को अपने पार्टनर के बैंक एकाउंट तथा उसकी इंसुरेन्स पालिसी में ख़ुद का नाम नॉमिनी के रूप में दर्ज करवा लेना चाहिए। अन्यथा उसे अपने पार्टनर के बैंक एकाउंट की राशि और इंसुरेन्स कि किसी भी राशि पर अधिकार नहीं होगा।

ऐसे रिश्ते से जन्मे बच्चे के लिए कानून के अधिकार-
इस तरह के रिश्ते में भले ही महिला को कोई अधिकार मिले न मिले किन्तु इस रिश्ते से जन्मे बच्चे के लिए क़ानूनी अधिकार मिलने के प्रावधान हैं। इस क़ानून की एक बात ज़रूर अच्छी है कि लिव इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चे को वही अधिकार मिलते हैं जो शादी शुदा दंपत्ति से जन्मे बच्चे को प्राप्त होते हैं।

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विदेशों में लिव-इन रिलेशनशिप क़ानून के लेकर सतर्कता-
चूँकि हर देश के अपने अपने स्थानीय क़ानून होते हैं। विदेश में रहने वाली महिलाएं इस तरह के रिश्तों में क़ानूनी अधिकारों को लेकर ज़्यादा सजग रहती हैं। लेकिन इसके विपरीत ज़्यादातर भारतीय महिलाएं लिव-इन में रहने के बावजूद अपने क़ानूनी अधिकारों को लेकर अत्यधिक लापरवाह होती हैं। जिसके चलते भारतीय महिलाओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 


लिव इन रिलेशनशिप और पुरुष (Live in relationship and men in hindi)

इस तरह के रिश्ते में जीने के लिए और साथ ही लम्बे समय तक टिकाऊ बनाये रखने के लिए उससे सम्बंधित कुछ नियम-क़ानून (Live In Relationship Latest Law) कुछ सामाजिक, व्यावहारिक और निकट भविष्य की बातों को जानने के लिए पर्याप्त समय अवश्य देना चाहिए। वर्ना पुरुषों के लिए भी लाइन इन रिलेशनशिप बहुत ज़्यादा घातक साबित हो सकता है।



आप भले ही लिव इन रिलेशनशिप बग़ैर शादी किये एन्जॉय करने के हिसाब से शुरू करना चाहते हों लेकिन ऐसे वाहियात रिश्ते का आरम्भ करने से पहले लिव इन रिलेशनशिप में समस्याओं problems in live in relationship को भलीभांति जान समझ लें। क्योंकि इस रिश्ते के फ़ायदे कम, बल्कि साइड इफेक्ट्स ज़्यादा हैं।

जितना एक्साइटमेंट आप इस तरह के रिश्ते  के लिए दिखा रहे हैं। आपको इस मौज मस्ती की भारी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है। यह रिश्ता सही है या ग़लत। यह कोई भी आपको नहीं बता सकता। यह फ़ैसला सिर्फ़ आपका होता है। जिसके ज़िम्मेदार सिर्फ़ आप होते हैं।

पुरुष इस रिश्ते से सम्बंधित क़ानून अवश्य जानें-
पुरुषों को चाहिए कि वे इस तरह की रिलेशनशिप को शुरू करने से पहले क़ानूनी दांवपेंच को ज़रूर समझ लें। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन्स के अनुसार आपका रिश्ता पर्याप्त समय (लंबे समय) तक चलना चाहिए। ऐसे में आपका रिश्ता क़ानूनी अधिकारों के तहत आएगा अथवा नहीं यह कोर्ट तय करेगा।

यदि काफी लंबे समय से स्त्री-पुरुष दोनों ही आर्थिक व अन्य प्रकार के संसाधनों को आपस में बांटते हुए जीवन बसर कर रहे हैं तो ये रिश्ता लिव इन रिलेशनशिप कहलाएगा। लिव इन रिलेशनशिप में आपको शारीरिक संबंंध बनाने की पूरी आज़ादी होती है। लेकिन यदि रिश्ते बनाने के दौरान बच्चा जन्म लेता है तब क़ानून के दायरे के अंतर्गत आपको बच्चे की परवरिश और वो तमाम ख़र्चे तथा अधिकार देने होंगे जो विवाह के बाद जन्मे बच्चे को देने होते हैं।


आप पर हो सकती है क़ानूनी कार्यवाही-
महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते  हुए कुछ सालों में क़ानून में भी बदलाव किये हैं। शायद इसीलिए ताकि कोई भी पुरुष केवल मौज मस्ती यानी कि सेक्स संबंध के लिए किसी भी लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने का शौक़ीन न हो। यदि इस तरह की मौज मस्ती करके किसी लड़की को छोड़ देता है तब उस पर क़ानून की के अंतर्गत उसके ख़िलाफ़ उचित कार्यवाही की जा सके। लिव इन रिलेशनशिप 2020 में रहने वाली महिलाओं के पास क़ानून ने वो सारे अधिकार दिए हैं, जो भारतीय पत्नी को संवैधानिक तौर पर दिए गए हैं। जैसे -
  • घरेलु हिंसा से संरक्षण हेतु क़ानून 
  • संपत्ति पर अधिकार दिलाने हेतु क़ानून 
  • रिश्ता तोड़ कर अलग हो जाने की स्थिति में गुज़ारा भत्ता 
  • बच्चे हो जाने पर बच्चों को पिता की विरासत व परवरिश हेतु क़ानून 
लिव इन रिलेशनशि में रहने के बाद लड़का यदि उस लड़की को छोड़ देता है तब ऐसी स्थिति में उसको उपरोक्त अधिकार स्वयं कोर्ट दिलाने का काम करेगा। इसके लिए पीड़ित होने वाली लड़की को रिलेशनशिप में रहने के पर्याप्त सबूत ख़ासकर, आर्थिक लेनदेन और उनके बीच एग्रीमेंट के कागज कोर्ट के सामने पेश करने होंगे। 

यदि कोई पुरुष लिव इन रिलेशन में रहना चाहता है तो उसे चाहिए की वह पति की तरह सारी ज़िम्मेदारी उठाने का प्रयास करे। अगर आप बग़ैर धोखा दिए यानी कि आपसी सहमति से रिश्ता तोडना चाहते हैं तो भी कोर्ट के फ़ैसले के आधार पर जुर्माना भरना पड़ सकता है। यदि सम्बन्ध विच्छेद कर भी दिया तब भी बच कर निकल जाने की कोई सम्भावना है। 

इसीलिए ऐसे पुरुष इस तरह के रिश्तों के लिए ख़ुद को पहले आर्थिक और मानसिक रूप से तैयार कर लें। तभी ऐसे क़दम उठाने का साहस करें। इस मामले में भावनाओं से नहीं बल्कि समझदारी से काम लें।


क्या शादी शुदा स्त्री या पुरुष लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं?




दोस्तों आज के दौर में कुछ विवाहित स्त्री-पुरुषों के मन में भी अक्सर ऐसे विचार आते होंगे कि "शादीशुदा लोग लाइव इन रिलेशन में कैसे रह सकते हैं?" (Live in relationship with married man or woman) तो हम आपको बताना चाहते हैं कि लिव इन रिलेशनशिप के किसी मामले को लेकर इलाहाबाद (प्रयागराज) कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है कि पति या पत्नी के अलावा किसी ग़ैर पुरुष या स्त्री के साथ रिलेशनशिप में रहते हुए सम्बन्ध बनाना अवैध है। इसे आप निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-
  • विवाहित स्त्री किसी पराये पुरुष के साथ लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकती। ठीक इसी तरह विवाहित पुरुष भी किसी परायी स्त्री के साथ संबंध नही बना सकता। यह आज़ादी सिर्फ़ अविवाहित और बालिग स्त्री-पुरुषों के लिए है।
  • यदि कोई इस तरह के रिलेशनशिप में रहता/रहती है तब उसे किसी भी प्रकार की कोई क़ानूनी सुरक्षा नहीं दी जा सकेगी। उनके लिए ऐसा करना अनैतिक व अवैध माना जाएगा।
  • शादी शुदा स्त्री-पुरुष को केवल आपस में ही (पति-पत्नी के रिश्ते में) संबंध बनाने की कानूनी छूट है। इसके अलावा यदि किसी गैर स्त्री या पुरुष के साथ अनैतिक संबंध बनाए जाते हैं तो ऐसे रिश्ते अपराध की श्रेणी में माने जाएंगे।
  • सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि शादी शुदा महिला पति के अलावा किसी अन्य पुरुष से संबंध नही बना सकती। और इसी तरह पुरुष भी अपनी पत्नी के अलावा किसी गैर स्त्री के साथ रिलेशनशिप में नहीं रह सकते। ऐसे रिश्ते अनैतिक व अपराध की श्रेणी में गिने जाएंगे।
  • शादी शुदा स्त्री-पुरुष को यदि गैर स्त्री या पुरुष के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना हो तो पहले उन्हें आपस में तलाक देना होगा। 
  • ऐसे अनैतिक और आपराधिक रिश्ते कभी भी समाप्त हो जाते हैं। और इन रिश्तों में उन स्त्री पुरषों को क़ानूनी कोई भी संरक्षण प्राप्त नहीं होता।
  • तलाक शुदा या स्वतंत्र स्त्री पुरुष ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते है। ऐसे स्त्री पुरुषों का रिश्ता ही मान्य होगा।


लिव इन रिलेशनशिप में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए? (What precautions should be taken in live in relationship in hindi)

लिव इन रिलेशनशिप चूंकि पूर्णतया सुरक्षित रिश्ता नहीं कहलाता है। इस तरह का रिश्ता अपने आप में बहुत ज़्यादा रिस्की है।



इसलिए आप यदि लिव इन रिलेशन में रहना चाहते हैं तो ज़रा सावधान हो जाइए। और निम्न सावधानियाँ रखिये-
  • यदि आप किसी के साथ Live in relationship में हैं तो इस बात की पुष्टि कर लें कि आपका पार्टनर कहीं अपना स्वार्थ सिद्ध तो नहीं कर रहा है/कर रही है।
  • Relationship में रहते हुए इस बात का ध्यान हमेशा रखिये कि कोई ऐसा फ़ोटोग्राफ़ या वीडियो तो नहीं है जिसे वह बाद में दुरूपोग कर सकता है।
  • इस बात की जानकारी अवश्य ले लें कि कहीं आपका पार्टनर आपके साथ पैसों अथवा आपकी संपत्ति के लिए ही तो आपके साथ लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह गया।
  • ये जाँच लें कि आपका पार्टनर कहीं आपके साथ सिर्फ मन बहलाने के लिए ही तो नहीं रह रहा/रही है।
  • लंबे समय से आप किसी के साथ रिलेशनशिप में है किंतु फिर भी आप दोनों के रिश्तों में तनाव लगातार है, साथ ही भविष्य में कोई संभावना नज़र नही आ रही हो तो फ़ौरन ही इस तरह की रिलेशनशिप मेंं कोई निर्णय लें।
  • इस प्रकार की रिलेशनशिप के लिए आपको कम उम्र का नहीं होना चाहिए। लड़की की उम्र कम से कम 18 वर्ष और लड़के की उम्र 21 वर्ष होनी ही चाहिए।

निष्कर्ष Conclusion

दोस्तों Live in Relationship के मुश्किल से 10% मामले ही शादी तक पहुँच पाते हैं। बाकी 90% मामलों में रिश्ते टूट ही जाते हैं। ठीक उसी तरह, जिस तरह आजकल के नवयुवक प्रेमी-प्रेमिकाएँ जितनी तेजी से propose करते हैं उतनी ही तेज़ी से ब्रेकअप और फ़िर उतनी ही तेज़ी से प्रेमी भी बदल लेते हैं। 

ऐसे प्रेमी-प्रेमिकाओं को live in relationship जैसी लुभावनी प्रथा सही लगती है। क्योंकि उन्हें एक दूसरे के साथ बिना शादी के पति-पत्नी जैसा रहने का मौक़ा मिल जाता है। और पति-पत्नी जैसे रिश्ते का अर्थ आप अच्छी तरह समझते हैं। इसीलिए रिश्ता टूटने के बाद सबसे ज़्यादा जीवन बर्बाद लड़कियों का होता है। रिश्ता टूटने के बाद अक्सर लड़कियां आत्महत्या जैसे क़दम उठा लिया करती हैं।



भले ही सीधे शब्दों में कहना आपको थोड़ा अटपटा सा लगे लेकिन यह कहना ग़लत नहीं होगा कि लिव इन रिलेशनशिप का मकसद ही ज़्यादातर यही होता है कि "लड़का-लड़की शादी के बाद के झमेलों में न पड़कर पति-पत्नी जैसा एहसास ले पाएं यानी कि सेक्स कर सकें और मन भरने पर इस रिश्ते से आसानी से छुटकारा भी पा सकें।

वैसे तो अभी भारत में  इस तरह की रिलेशनशिप में रहने वालों  का प्रतिशत (percent of live in relationship in india) कम है।  ऐसे रिश्ते ख़ासकर महानगरों में देखे जा रहे हैं। भारत के नवयुवक जागरूकता के साथ साथ यदि लिव इन रिलेशनशिप की अच्छाई और बुराई को भी (live in relationship is good or bad) जान लें तो इस रिश्ते की तरफ उनके काफी कम रुझान देखने मिलेंगे। 

movies on live-in relationship लिव इन रिलेशनशिप पर फ़िल्में बनाकर समाज में ऐसे रिश्तों को बढ़ावा न दिया जाये बल्कि फ़ायदे और नुकसान भी बताते हुए भटकते युवाओं को नयी सीख दी जाये। फिल्मकार पैसों कमाने के चक्कर में ख़राब बातें समाज में ना परोसें। इतनी ज़िम्मेदार तो अवश्य बनें।

दोस्तों मेरी दिल से यही सलाह है कि आप जैसे ही वयस्क होते है, दुनिया के आकर्षण को देखकर आप ऐसे रिलेशनशिप के झमेले में ना ही पड़ें तो अच्छा है। वैसे भी यह समय पढ़ने-लिखने और भविष्य संवारने का होता है। अच्छे कार्यों में मन लगाते हुए संयमित और सुरक्षित रहिये इसी में आप सभी नवयुवकों की भलाई है। अच्छे प्रेरणादायक वीडियो, लेख आदि देखने पढ़ने की आदत डालिये। अपने जीवन को अपने ही हाथों से ग़लत दिशा की ओर कदापि न जाने दें। वर्ना इसके दुष्परिणाम स्वयं आपको ही झेलने होंगे।


शादी दो व्यक्ति नहीं बल्कि दो परिवारों का मिलन-
दोस्तों शादी केवल लड़का-लड़की का ही नहीं बल्कि दो परिवारों का भी मिलन कहलाता है। सामाजिक तौर पर एक सूत्र में बंधने से सामाजिक और क़ानूनी तौर पर हमें सुरक्षा मिलती है। वो अपनापन ख़ासकर विपरीत परिस्थितियों में संभलने के लिए जो साथ परिवार और समाज का मिलता है। वह लिव इन रिलेशनशिप में नहीं देखने मिलता। 

वैसे भी विवाहित जोड़ों में एक दूसरे के लिए जो सम्मान, भरोसा, अपनापन होता है। वह लिव इन रिलेशनशिप में कम ही देखने मिलता है। Temporary रिश्ते और Permanent रिश्ते में अंतर साफ़-साफ़ झलकता है। इसे आप मानें या न मानें लेकिन कड़वा सच यही है। 

सुशांत सिंह के जीवन का कड़वा सच भी यही है और उनकी नाकामी भी। कि 10 साल तक लिव इन रिलेशनशिप में रहकर भी उन्हें वो अपनापन, वो भरोसा नहीं मिल सका जो शायद शादी कर लेने से मिल सकता था। 10 साल लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बजाय उन्हें शादी कर लेना चाहिए था शायद डिप्रेशन के दिनों में उन्हें अपनी पत्नी का साथ ज़रूर मिला होता जो कि उन्हें उनके Temporary रिश्तों से नहीं मिल पाया।

शादी एक पवित्र बंधन है। इसे रिहर्सल (Practice) के तौर पर कभी न देखेंभले ही कानून इसमें हस्तक्षेप नहीं करता लेकिन आप स्वयं अपने जीवन को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर देते हैं। क्योंकि ऐसे रिश्तों में शारीरिक संबंध का बनना सामान्य सी बात होती है। रिश्ता टूट जाने के बाद युवती के लिए यह सब कुछ सामान्य नहीं रह जाता। ख़ासकर युवती को आत्मग्लानि के साथ-साथ कुंठित जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

इसी कामना के साथ हम ये उम्मीद करते हैं कि आपको इस लेख से लिव इन रिलेशनशिप के विषय में पर्याप्त जानकारी मिली हो और आपके भविष्य के लिए ज़रा भी प्रेरणादायक प्रतीत हुआ हो तो हमें ज़रूर बताएं। आप अपने विचार हमसे साझा कर सकते हैं।
- By Alok

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