एकांत में रहने के फ़ायदे और नुक़सान | Advantages and Disadvantages of Living Alone in hindi

दोस्तों एक वाक्य 'लिव मी अलोन (leave me alone) आपने किसी को कहते हुए ज़रूर सुना होगा। ख़ासकर तब, जब कोई व्यक्ति बहुत ज़्यादा परेशान हो, दुखी हो। दरअसल हर इंसान के जीवन में कभी न कभी एक समय ऐसा ज़रूर आता है जब उसे चाहते हुए या न चाहते हुए अकेले रहना पड़ता है। तब वह यह समझ नहीं पाता है कि उसे इस एकांतवास से कैसे निपटना है। 




लेकिन अब चिंता की कोई बात नहीं। हम आपको बता दें कि एकांत में रहने के नुक़सान (ekant me rehne ke nuksan) ही नहीं बल्कि एकांत में रहने के फ़ायदे (ekant me rehne ke fayde) भी होते हैं। आज हम इस लेख में एकांत में रहने के फ़ायदे और नुक़सान (ekant me rehne ke fayde aur nuksan) सम्बन्धी कुछ विशिष्ट पहलुओं के बारे में बात करने वाले हैं। इसलिए आप इस लेख के अंत तक अवश्य बने रहिएगा।

एकांत यानि कि अकेलापन। जी हाँ, सामान्यतौर पर अकेलेपन को मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या माना जाता है। विशेषज्ञों का भी कहना है कि इससे उपजी कई स्थितियाँ शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से क्षति पहुंचा सकती हैं। इतना ही नहीं बल्कि ये समस्याएँ जानलेवा भी हो सकती हैं। यही कारण है कि लोग अकेलेपन के बारे में सोचकर ही घबरा जाते हैं।


अकेलेपन को हम दो पहलुओं में देखें तो इसके दो प्रकार जान पड़ते हैं। पहला- एकाकी समय बिताना, जिसमें किसी ख़ास मक़सद के साथ लोगों से संपर्क तोड़कर अपना सारा ध्यान लक्ष्य की तरफ़ लगा दिया जाता है। और दूसरा- ख़ालीपन, जिसमें व्यक्ति न चाहते हुए भी अकेला महसूस करने लगता है। अब ज़रा सोचिये कि पहली स्थिति को हम मानसिक शांति देने वाली मान सकते हैं तो वहीं दूसरी स्थिति को अत्यंत पीड़ादायक। 

सरल भाषा में कहें तो दोनों ही स्थितियाँ हमारी परिस्थिति और मनःस्थिति पर निर्भर करती हैं। दरअसल जब लोग अकेले होते हैं तब वे अक़्सर अपने या अन्य लोगों से संपर्क स्थापित करने का बार-बार प्रयास करते हैं, लेकिन उनकी मनःस्थिति अन्य लोगों के साथ संपर्क स्थापित करने को और भी जटिल बना देती है। 

एक बात तो तय है कि यदि आपकी मनः स्थिति ठीक नहीं है तो आपको अकेले रहने के नुक़सान (akele rehne ke nuksan) झेलने पड़ सकते हैं। और यदि समय पर इसका निदान  और उसका उचित प्रबंधन कर लिया जाए तो निश्चित तौर पर आप अपने अकेलेपन में उदासीन रहने के बजाय और भी बेहतर रास्ते तलाश सकते हैं। तो चलिए पहले एकांत में रहने के नुक़सान क्या हैं (ekant me rehne ke nuksan kya hain?) जान लेते हैं।



एकांत में रहने के नुक़सान (ekant me rehne ke nuksan)




एकांत में रहने के क्या नुक़सान होते हैं (ekant me rehne ke kya nuksan hote hain) हम निम्न बिंदुओं के आधार पर समझ सकते हैं -

1. मानसिक रूप से कमज़ोर -
एकांत समय बिताना कभी कभी मानसिक रूप से कमज़ोर बना देता है क्योंकि आप अपनी परेशानियों से अकेले ही लड़ रहे होते हैं जो आपको कमज़ोर बना देता है। दरअसल
जब कोई व्यक्ति अकेला होता है तब उसे इमोशनल सपोर्ट की कमी महसूस होती है। नतीजतन, उस पर लंबे समय तक अकेले रहने के मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ने लगते हैं। जैसे- ख़राब मानसिक स्वास्थ्य, डिप्रेशन, दर्द, शारीरिक परेशानी आदि। कुल मिला के देखा जाए तो ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति का मेंटल हेल्थ काफ़ी प्रभावित होता है। 

2. सेहत पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव -
जब आप रिश्ते में होते हैं तो अधिक ख़ुश रहने की संभावना होती है और मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के ख़िलाफ़ इम्यूनिटी भी मज़बूत बनती है। लेकिन अकेले हो जाने पर आपके साथ ऐसा नहीं होता है। शोध से पता चलता है कि लगभग 54% लोग जो बहुत लंबे समय तक अकेले रहते हैं, उनमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बहुतायत में देखी जाती हैं, जो बाद में उनके लव लाइफ को भी प्रभावित करती हैं। लंबे समय तक अकेले रहने वालों में सबसे आम स्वास्थ्य समस्याएं हैं एंग्जायटी, डिप्रेशन, सुसाइडल बिहेवियर, नींद न आना, मूड डिसऑर्डर, निराशा आदि।


3. डिप्रेशन का शिकार -
अकेले रहने वाला इंसान डिप्रेशन का शिकार ज़्यादा होता है। क्योंकि अकेले रहने वाला इंसान अपने मन के विचार किसी से शेयर नहीं कर पाता। और जब आप अपने मन की बात किसी से शेयर नहीं कर पाते हैं तब कई बातें आपके मन में ही रह जाती हैं। परिणाम यह होता है कि वो बातें लगातार चोट करते हुए आपके मन पर गहरे घाव कर देती हैं। इसीलिए कहा भी जाता है कि मन में कोई बात हो तो उसे दबाकर नहीं रखना चाहिए बल्कि किसी से कहकर हल्का हो जाना चाहिए।

4. समाज से कटकर सोशल साइट्स पर निर्भर -
अकेले रहने वाला इंसान समाज से कटा हुआ महसूस करता है। जिसके कारण उसके अंदर की व्यवहारिकता धीरे धीरे ख़त्म होती चली जाती हैं। अपनों से दूर जब दिल में एक कसक बनी रहती है कि काश कोई अपना उसके क़रीब होता। ऐसे में वह सोशल साइट्स पर झूठा जीवन जीने लगता हैं। आप तो जानते ही हैं कि आजकल सोशल साइट्स पर आपके हज़ारों दोस्त हो सकते हैं लेकिन ये रिश्ते सिर्फ़ दिखावटी होते हैं। कहने को तो हम अनेक लोगों से जुड़े होते हैं लेकिन हकीक़त में हम अकेले ही होते हैं। असली जीवन से उनका कोई ख़ास ताल्लुक़ नहीं होता है।

5. परेशान व अप्रसन्न रहना -
हमारा अकेलापन हमें सबसे ज़्यादा खलता है। अकेलेपन के कारण हम परेशान और दुखी रहने लगते हैं। हमारी ख़ुद से ही नहीं निभती है। और तो और हम स्वयं भी ख़ुद के मित्र नहीं होते हैं। हमारी ख़ुशी हम अपने बाहर, दूसरे लोगों, स्थानों या चीज़ों में ढूँढने लगते हैं। यह बेहद नकारात्मक होता है जो कि हमें अवसाद (depression) की ओर ले जाता है।

6. भावनात्मक स्थिरता में आती है कमी -
एक अध्ययन के अनुसार, बहुत लंबे समय तक अकेले रहने से भावनात्मक स्थिरता और आत्म-मूल्य (Self-worth) में कमी आती है। अकेले व्यक्ति किसी के साथ रिश्ते में न होने से मानसिक रूप से कमज़ोर हो जाते हैं। जिस कारण भावनात्मक रूप से भी कमज़ोर हो जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों में भावनात्मक अस्थिरता प्रायः देखी जाती है।


7. उम्र होती है कम -
लंबे समय तक एकांत सा जीवन बिताना मृत्यु दर का प्रमुख कारण है। अकेलापन आपकी सेहत के लिए उतना ही ख़तरनाक हो सकता है, जितना कि एक दिन में 15 सिगरेट पीना। लंबे समय तक अकेले अकेले रहने से हृदय रोग के कारण मृत्यु होने का रिस्क बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि जो लोग लंबे समय से अकेले रहते हैं, उनका जीवनकाल कई कारणों से छोटा हो सकता है। इन मामलों में सेहत को अधिक लाभ नहीं मिलता है।

8. रिश्ते में रहने के अनिच्छुक -
जो लोग लंबे समय तक अकेलेपन में जीते हैं, उन्हें बाद में किसी भी तरह की रिलेशनशिप में रहना या किसी के साथ रहने में दिक्कत महसूस होने लगती है। इन्हें किसी के साथ ख़ुद को एडजस्ट करना मुश्किल काम लगने लगता है। लंबे समय तक अकेले होने से ऐसे व्यक्ति जब किसी के सतह रहने लगते हैं तो उन्हें अपने साथ में रहने वाले लोगों से तरह तरह की परेशानियां महसूस होने लगती हैं। क्योंकि वे एकाकीपन के माहौल में पूरी तरह ढल चुके होते हैं।

दोस्तों ऊपर हमने अकेलेपन के शिकार हो रहे लोगों की समस्याओं पर बात की। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अकेले रहना ही पसंद करते हैं। अगर आप ऐसे इंसान हैं जिसे हमेशा ही किसी के साथ रहना पसंद है तो आपके लिए अचानक अकेले रहना थोड़ा सा मुश्किल ज़रूर हो सकता है।

पर आप चिंता न करें। अकेले रहकर आप जो हासिल कर सकते हैं वह शायद आप किसी के साथ रह कर हासिल नहीं कर सकते हैं। इसलिए हम आपको बता देना चाहते हैं कि जिन्हें अपने जीवन में अकेले रहना है वह अकेले रहने के कुछ ख़ास फ़ायदे (akele rehne ke kuchh khas fayde) ज़रूर जान ले ताकि फ़िर अकेले रहकर डिप्रेशन में जाने के बजाय भरपूर आनंद लेते हुए पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।


और ऐसा तभी होता है जब हमारी स्वयं से निभती है और हम अपनी अंतरात्मा से जुड़ते हैं। यह सकारात्मक होता है और हमें विकास की ओर ले जाता है। हम अपने अकेलेपन को सकारात्मक रूप में लेना शुरू कर देते हैं।

दोस्तों, एक बात तो तय है कि यदि आपकी मानसिकता, दृढ़ शक्ति सकारात्मक है। तो आप निश्चित रूप से एकांत में रहकर भी ख़ुद को अपने लक्ष्य तक पहुंचा सकते हैं। इस दृष्टि से सोचा जाए तो एकांत में रहने के फ़ायदे (ekant me rehne ke fayde) लिए जा सकते हैं। चलिए हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि एकांत में रहने के क्या फ़ायदे होते हैं (ekant me rehne ke kya fayde hote hain?)


अकेले रहने के फ़ायदे (akele rehne ke fayde in hindi)




अकेले में रहने के फ़ायदे निम्नलिखित हैं -

1. ख़ुद को जानने का मौक़ा -
दोस्तों जब आप ख़ुद के लिए वक्त निकालते हैं तो अन्दर से आपको एक सुकून की भावना आती है  जो आपके मन को प्रसन्न करती है। और यह प्रसन्नता आपके अंदर एक नई ऊर्जा का संचार करती है। सीधे शब्दों में कहें तो अकेले व्यक्ति को आत्ममंथन करने का मौक़ा मिलता है ताकि वह ख़ुद को अच्छी तरह समझ सके। समझ सके कि वह क्या सही कर रहा है और क्या ग़लत। मिलने वाली सफलताओं में कैसे ख़ुद को विनम्र रखना है और असफलताओं में ख़ुद को कैसे संभालकर रखना है। अकेले रहने वाले लोग अपने आप में ही संपूर्णता संजोए हुए होते हैं। ये लोग ख़ुद को ख़ुद का सबसे अच्छा दोस्त मानते हैं।

2. आत्ममंथन करने का अवसर -
जब आप अकेले होते हैं तब आपको आत्ममंथन का बेहतर
अवसर मिलता है। आप यह जान पाते हैं कि आपको ख़ुद पर कितना सुधार करना है। आपके अंदर ऐसी कौन कौन सी कमियां और अच्छाइयां हैं जिन्हें हैं जानना आवश्यक है। इस तरह आप ख़ुद को पहले से बेहतर बना पाते हैं। उलझे हुए रिश्तों को नए तरीके से सुलझाने की तरकीब निकाल पाते हैं। आप एक नए व्यक्तित्व के रूप में उभरकर सामने आते हैं।

3. कुछ नया सीखने में समर्थ -
अकेले रहने वाला इंसान वह सीख और समझ सकता है जिसमें उसे रुचि है। कभी कभी हम अपने आस पास के नकारात्मक लोगों की वजह से अपने मन मुताबिक़ काम नहीं कर पाते। हमें वहीं काम करना होता है जो हमसे जुड़े लोग चाहते हैं या हमसे करवाना चाहते हैं। अकेले रहकर हम अच्छी किताबों का सहारा ले सकते हैं। हम उस काम के लिए सम्पूर्ण रूपरेखा तैयार कर सकते हैं जो हम सच करना चाहते हैं। जबकि साथ में रहने से ज़्यादातर टाइम हम भटकते रहते हैं।


4. पूरी आज़ादी होती है -
अकेले रहने का यह भी एक फ़ायदा होता है कि जब आप अकेले रहते हैं तब आपको पूरी आज़ादी होती है। अकेले रहकर आप अपनी ज़िन्दगी अपने तरीक़े से जी सकते है जो कि सबके साथ शायद संभव ही नहीं। इसके लिए आपको अपने विचारों ओर आपके रहन-सहन में भी अनचाहे बदलाव लाने पड़ते हैं। हम आपको बता दें कि किसी के साथ रहने से आपके अंदर भी उन्हीं की तरह बदलाव आने लगते हैं। अगर आप किसी बुरे के साथ रहते हैं तो आपके ऊपर भी बुरा असर भी पड़ेगा। ऐसे लोग इस बात की ज़्यादा परवाह नहीं करते कि दूसरे क्या सोचेंगे? ये अपने मन का काम करते हैं और ज़िन्दगी को भरपूर जीते हैं।

5. निर्णय लेने में स्वतंत्र -
अक़्सर सबके साथ रहने से यह नुक़सान झेलना पड़ता है कि आप वह काम नहीं चुन पाते जिसे चुनने का आपका मन करता है। जबकि अकेले रहकर आप अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं। आपको कुछ भी करने से पहले किसी दूसरे के बारे में सोचने की ज़रूरत नही पड़ती जबकि साथ रहते समय आप कुछ भी करने से पहले 10 बार सोचते हैं। सभी से राय लेते हैं क्योंकि आप सोचते हैं कि आपके काम का प्रभाव कहीं साथ में रहने वाले व्यक्तियों पर तो नहीं पड़ेगा।

6. शांति महसूस होना -
अकेले रहने का यह भी एक फ़ायदा है कि इससे व्यक्ति को अकेले रहकर शांति महसूस होती है। वैसे भी आजकल, शांति पाने के लिए लोग कितने प्रयास करते हैं फ़िर भी शांति नहीं मिल पाती है। लेकिन अकेले रहने वाले व्यक्ति को बिना कुछ किए शांति मिलती है। वह इस शांतिपूर्ण माहौल में चैन से रह सकता है।


7. आत्मविश्वास में वृद्धि -
अकेले रहने वाले लोगों को अपनी ज़िम्मेदारियां स्वयं ही उठानी पड़ती हैं। हमारे आस-पास होने वाली हर चीज़ के ज़िम्मेदार हम ख़ुद होते है। इसके लिए हम किसी और को ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं।

इसलिए साथ रहने वाले लोगों की अपेक्षा अकेले रहने वाले लोगों का आत्मविश्वास ऊंचा होता है। अकेले रहने से आप अच्छे बुरे परिणामों से स्वयं जूझते हुए आगे बढ़ते हैं। जिस कारण अधिकतर अकेले रहने वाले लोग आत्मविश्वास और सकारात्मकता से परिपूर्ण होते हैं। यही आत्मविश्वास और सकारात्मकता ही आगे बढ़ने में सहायक साबित होता है।

8. आत्मनिर्भरता का गुण - 
ज़्यादातर देखा जाता है कि ऐसे लोग अपने जीवन में स्पष्ट और ईमानदार होते हैं। उन्हें बिना किसी के सहारे के अपने काम करना बख़ूबी आता है। उतना ही काम हाथों में लेते हैं जितना कि वे कर पाएं। और ख़ास बात यह कि वे जितनी ज़िम्मेदारी लेते हैं उसे उतनी ही ख़ूबी के साथ निभाते भी हैं। ऐसे लोग मात्र दूसरों को ख़ुश करने के लिए कोई काम नहीं करते। बल्कि अपनी क्षमता के अनुसार काम करते हैं और खुश रहते हैं। इसलिए स्पष्ट तौर पर हम यह कह सकते हैं कि अकेले रहने वाले लोग आत्मनिर्भर होते हैं।


9. भावनात्मक रूप से मज़बूत -
छोटी-बड़ी गलतियों से ख़ुद ही सीखते हैं और भावनात्‍मक रूप से मज़बूत होते हैं। इसका कारण यह है कि ऐसे लोग विपरीत परिस्थितियों में ख़ुद ही लड़कर संभलते हैं। इनके ऊपर किसी का हाथ नहीं होता जिस कारण ये कभी किसी से उम्मीद भी नहीं रखते हैं। इसलिए अकेले रहने वाले लोग भावनात्मक रूप से मज़बूत होते हैं।

10. रचनात्मकता में वृद्धि -
अकेले रहने वाले लोगों में ग़ज़ब कि रचनात्मकता (creativity) होती है। मज़े की बात यह है कि अपने लिए नियम ये खुद बनाते हैं और उसका कड़ाई से पालन करते हैं। ये लोग खुले विचारों के तो होते हैं, लेकिन अपने नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं करते। अनुशासित रहकर अपनी दिनचर्या व्यती‍त करते हैं। बिना किसी रोक टोक के ये अपने मन की सुनते हैं और कुछ नया करने की कोशिश करते हैं।

वैसे भी अब बदलते ज़माने के साथ लोगों का रहन-सहन तो बदल ही रहा है, साथ ही जीने का तरीक़ा भी बदल रहा है। आज कई लोग ऐसे हैं, जो या तो किसी मजबूरी में अकेले रहते हैं या बिना किसी मजबूरी के अपनी मर्ज़ी से अकेले रहना पसंद कर रहे हैं। अकेले रहना वाकई आसान काम नहीं है। लेकिन अकेले रहकर भी लोग आत्मविश्वास से भरपूर और सकारात्मक सोच रखते हुए अपने अकेलेपन को ही एक बेहतर अवसर साबित कर देते हैं।

(- By Alok)


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