ऑप्शन वे अनुबंध होते हैं जो निश्चित समय के भीतर धारक को निश्चित मूल्य पर निश्चित स्टॉक की एक तय मात्रा बेचने या ख़रीदने का अधिकार देते हैं। कोई पुट ऑप्शन के अंतर्गत धारक को प्रतिभूति बेचने का अधिकार देता है, तो कोई कॉल ऑप्शन के अन्तर्गत प्रतिभूति ख़रीदने का अधिकार देता है।
दोस्तों मैं आलोक, आज इस लेख के ज़रिए ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़ी कुछ ख़ास बातें करने आपसे मुख़ातिब हूं। कैसी चल रही है आप लोगों की ट्रेडिंग? मस्त ना! वैसे आप में से अधिकांश लोग फ़्यूचर ट्रेडिंग (future trading) में interest ले रहे होंगे। आज के समय में लोग कमाई के स्मार्ट तरीक़े अपनाने लगे हैं। डिजिटल इनकम के साथ- साथ स्मार्ट लाइफ़ जीने लगे हैं। यानि कि अपनी मर्ज़ी की लाइफ़। जहाँ आर्थिक आज़ादी के साथ-साथ मानसिक आज़ादी भी होती है।
जी हाँ दोस्तों, इनमे से एक है ऑप्शन ट्रेडिंग। आज के समय में share trading से लोग अच्छा ख़ासा पैसा कमाते हैं। ख़ासकर ऑप्शन ट्रेडिंग से। शेयर मार्केट के अंतर्गत आपने ऑप्शन ट्रेडिंग (Option trading) तो सुना ही होगा। आज इस लेख में मैं आपको ऑप्शन ट्रेडिंग इन हिंदी Option trading in share market की जानकारी देने वाला हूँ।
आज के समय में हेजिंग की सुविधा पाते हुए अगर आप मार्केट में इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो फ्यूचर ट्रेडिंग के मुक़ाबले ऑप्शन ट्रेडिंग ज़्यादा बेहतर हो जाती हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ये हेजिंग की सुविधा क्या है? तो आइये जानते हैं कि हेजिंग क्या है? (hedging kya hai?)
ऑप्शन ट्रेडिंग में हेजिंग क्या है? | hedging in option trading in hindi
हेजिंग hedging meaning in hindi एक ऐसी सुविधा है जो किसी व्यवसाय के नियमित संचालन में हस्तक्षेप किये बिना आपके व्यापार करने की योजना को अधिक लचीला बनाती है। यह कम लागत पर आपके वित्त को पोषित करने की सुविधा प्रदान करती है।
आसान शब्दों में कहें तो क़ीमतों में उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए ऑप्शन अच्छा विकल्प है। वायदा कारोबार में आप 30 हजार के भाव पर गोल्ड की एक लॉट खरीदते हैं, लेकिन सोने का भाव 1000 रुपए टूट जाता है और 29 हजार तक आ जाता है। ऐसी स्थिति में एक लॉट पर आपको एक लाख रुपए का नुक़सान उठाना पड़ता है। वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो 50 रुपए प्रति दस ग्राम के हिसाब से प्रीमियम चुकाने पर यह नुकसान घटकर सिर्फ 5000 रुपए तक रह जाता है।
फ़्यूचर बाज़ार में हेजिंग (hedging) का टूल नहीं है यानि इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉपलॉस (stop loss) लगाते हैं। स्टॉपलॉस लगाने पर उस स्तर पर सौदा ख़ुद ही कट जाता है, जिसमें नुक़सान ज़रूर होता है। लेकिन यदि स्टॉपलॉस न लगाया तो नुक़सान ज़्यादा होता है, जबकि पुट ऑप्शन में ख़रीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं।
इसी तरह बिके हुए सौदे को कॉल ऑप्शन के ज़रिये नुक़सान की सीमा को बाँध सकते हैं। शेयर बाज़ार में वायदा अनुबंधों के दौरान किसी कंपनी के शेयरों में निवेश किए गए भावों में अचानक गिरावट दर्ज की जाने लगे, तो ऐसी विपरीत परिस्थितियों से बचने के लिए हेजिंग का उपयोग किया जाता है। यह काम काउंटर बैलेंसिंग के ज़रिये किया जाता है यानि एक निवेश की हेजिंग के लिए दूसरा निवेश किया जाता है।
दूसरे शब्दों में, हेजिंग दो ऐसे निवेश विकल्पों में निवेश के ज़रिये किया जाता है, जिनमें नकारात्मक सहसंबंध होता है।आपके द्वारा ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने से पहले आप क्या पूर्ण करने की आशा रखते हैं, उसकी समझ होना बेहद ज़रूरी है। केवल तभी आप ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। आइये पहले ऑप्शन ट्रेडिंग की अवधारणा (option trading ki avdharna) को समझते हैं।
ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है | Basics of option trading in hindi
ऑप्शन वे अनुबंध होते हैं जो निश्चित समय के भीतर धारक को निश्चित मूल्य पर निश्चित स्टॉक की एक तय मात्रा बेचने या ख़रीदने का अधिकार देते हैं। कोई पुट ऑप्शन के अंतर्गत धारक को प्रतिभूति बेचने का अधिकार देता है, तो कोई कॉल ऑप्शन के अन्तर्गत प्रतिभूति ख़रीदने का अधिकार देता है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए आप कोई संपत्ति को ख़रीदने का प्लान बना रहे हैं। तब आप ऐसे ऑप्शन का इस्तेमाल कर उसे कुछ समय के लिए होल्ड करने के लिए नॉन-रिफंडेबल डिपाज़िट कर देते हैं। जिससे आपका सौदा बना रहता है। वह भी वर्तमान क़ीमत पर।
ठीक इसी तरह आप किसी उपन्यास पर कोई फ़िल्म बनाना चाहते हैं। तो इसके लिए आपको सबसे पहले तो ऑप्शन ख़रीदना पड़ेगा। सरल शब्दों में कहूँ तो निर्देशक या उपन्यासकार एक निश्चित दिनांक से पहले उस उपन्यास पर फ़िल्म बनाने का अधिकार ख़रीद लेता है।
इस तरह हम कह सकते हैं कि मकान व स्क्रिप्ट वाले, निश्चित दिनांक से पहले किसी निश्चित मूल्य पर कोई उत्पाद ख़रीदने के अधिकार के रूप में कुछ पैसा जमा रख देते है। इसी तरह की प्रक्रिया शेयर मार्केट के अंतर्गत ऑप्शन ट्रेडिंग में भी करनी होती है। जो कि बड़ी ही सुविधाजनक होती है।
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ऑप्शन ट्रेडिंग के दौरान कुछ प्रीमियम चुकाकर नुक़सान का बीमा कवर भी लिया जा सकता है। ये बीमा कवर किसी निश्चित प्रतिभूति के मूल्यों में उतार चढ़ाव से आपकी सुरक्षा करते हैं। यह बिल्कुल उसी तरह होता है जैसे कार इंश्योरेंस लेने के बाद उसमें स्क्रेच आने, चोरी हो जाने या एक्सीडेंट हो जाने पर बीमा कंपनी नुक़सान की भरपाई करती है।
सीधे शब्दों में कहें तो "ऐसा तरीक़ा जो कम जोख़िम में ज़्यादा फ़ायदा दिलाता हो ऑप्शन ट्रेडिंग कहलाता है।"
ऑप्शन ट्रेडिंग के प्रकार (option trading ke prakar) -
ऑप्शन ट्रेडिंग के प्रकार हैं -
(1) कॉल ऑप्शन और (2) पुट ऑप्शन। आइये इन दोनों प्रकारों को हम समझने का प्रयास करते हैं।
(1) कॉल ऑप्शन (Call Option) CE
कॉल ऑप्शन एक ऐसा अनुबंध है जो निवेशक को एक निश्चित समय सीमा के भीतर निश्चित क़ीमत पर एक परिसंपत्ति में कॉल खरीदने का अधिकार देता है। पहले से तय क़ीमत को स्ट्राइक प्राइज़ कहा जाता है, जिसे समाप्ति तिथि के रूप में जाना जाता है। कॉल ऑप्शन आपको उस नियत तिथि तक शेयर ख़रीदने की अनुमति देता है।
अनुबंध की अवधि समाप्त होने से पहले आप लाभ या हानि पर ऑप्शन बेच सकते हैं। सामान्यतः इसका इस्तेमाल तब होता है जब निवेशक को लगता है कि किसी शेयर की क़ीमत में तेज़ी पर दांव लगाना चाहिए। सामान्य तौर पर अंतर्निहित साधनों का मूल्य बढ़ने के साथ-साथ, कॉल ऑप्शन का मूल्य भी बढ़ता है।
(2) पुट ऑप्शन (Put Option) PE)
पुट ऑप्शन, कॉल ऑप्शन के ठीक विपरीत होता है। यह धारक को शेयर ख़रीदने का अधिकार देता है। पुट ऑप्शन में भी अनुबंध की अवधि समाप्त होने से पहले, स्ट्राइक प्राइज़ पर धारक को अंतर्निहित शेयर बेचने का अधिकार होता हैं। इसका इस्तेमाल तब होता है जब निवेशक को लगता है कि बाज़ार में आगे मंदी के आसार हैं। ऐसे में वह अपनी ज़रूरत के हिसाब से बाज़ार से एग्जिट करता है, या और भी ज़्यादा ख़रीदी करता है।
सामान्य तौर पर अंतर्निहित साधनों का मूल्य कम होने पर, कॉल ऑप्शन का मूल्य बढ़ता है। ऐसी परिस्थिति में आप पुट ऑप्शन चुन सकते हैं। सरल शब्दों में कहा जाए तो पुट ऑप्शन वह सुविधा है जिसमें कोई व्यक्ति बाद में होने वाले मूल्य की गिरावट को देखते हुए कोई स्टॉक सुनिश्चित कर सकता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं? | How to do option trading in hindi
यदि आपके चुने हुए स्टॉक का मूल्य बढ़ रहा है यो आप कॉल ऑप्शन लेकर पूर्व में निर्धारित मूल्य पर ख़रीद सकते हैं। जिनके लिए आपको निर्धारित प्रीमियम राशि ही लगानी पड़ती है। यदि मार्केट आपके अनुमान से विपरीत भी चल जाये तो आपको ज़्यादा नुक़सान होने के बजाए आपकी प्रीमियम राशि का ही नुक़सान होता है।
यदि आपके चुने हुए स्टॉक का मूल्य कम हो रहा हो तो आप पुट (PE) ऑप्शन लेकर पूर्व में निर्धारित मूल्य पर बेच सकते हैं। यदि स्टॉक का मूल्य ऊपर जा रहा हो तब आपको केवल चुकाई गयी प्रीमियम राशि का नुक़सान (loss) ही होता है। अर्थात हम कह सकते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग में जोख़िम कम होता है।
ट्रेडिंग करने के लिए क्या ज़रूरी होता है (Trading ke liye kya zaruri hota hai?)
स्टॉक मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले ट्रेडिंग अकाउंट होना ज़रूरी है। अगर पहले से ही फ़्यूचर बाज़ार में आपका खाता है तो अपने ब्रोकर को ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सहमति पत्र देना होता है। ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए खाता खोलने के लिए ऐसे अनेक प्लेटफार्म मौजूद हैं।
मैं अपनी बात करूँ तो मुझे Angle One बहुत ही सुविधाजनक प्लेटफार्म महसूस हुआ। इसमें आप बड़ी ही आसानी से ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते हैं। इसका इंटरफ़ेस (interface) अन्य प्लेटफार्म की तुलना में ज़्यादा सुविधाजनक है।
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आप इस ऑप्शन ट्रेडिंग अकाउंट को ओपन कर इस अकाउंट के ज़रिये ही निवेशके बनकर शेयर मार्केट में फ़्यूचर या ऑप्शन में किसी भी सौदे की ख़रीद या बिक्री कर सकते हैं। अगर नया खाता खुलवा रहे हैं तो फ़्यूचर की तरह ऑप्शन में कारोबार के लिए आपको अपने एकाउंट में login कर अलग से कुछ विकल्प को चुनकर सलेक्ट करना होता है।
उम्मीद है ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? Option trading kya hai? जान चुके होंगे। आशा करता हूँ। अब आप कम अमाउंट लगाकर, कम जोख़िम उठाकर अच्छा ख़ासा पैसा कमा सकते हैं। बशर्ते आप अपनी लिमिट ख़ुद तय करें। ज़्यादा लालच और महत्वकांक्षा बनाकर ट्रेडिंग ना करें। तभी आप ठीक तरह से समझ पाएंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है(option trading kya hoti hai?)
(- By Alok)
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