सेबी क्या है? इसके क्या कार्य हैं? | सेबी details in hindi

सेबी (SEBI) - सेबी का क्या अर्थ है, सेबी का क्या कार्य है, सेबी की शक्तियाँ क्या हैं, सेबी के उद्देश्य क्या हैं, सेबी के अधिकार क्या हैं? (Sebi ka arth, karya, shaktiyan, adhikar)


Sebi kya hai in hindi


दोस्तों अगर आप शेयर मार्केट से जुड़े हुए हैं? शेयर मार्केट में इन्वेस्ट invest करते हैं। तो मुझे यक़ीन है आप सेबी (SEBI) के बारे में ज़रूर जानते होंगे। या अगर आप इस मार्केट में अभी नए हैं या इस मार्केट में पदार्पण करने वाले हैं तो सेबी का क्या अर्थ है? (Sebi ka kya arth hai?) ज़रूर जानना चाह रहे होंगे।

आपके मन में यह प्रश्न ज़रूर उठ रहा होगा कि यदि किसी इन्वेस्टर (investor) के साथ शेयर मार्केट में कुछ गड़बड़ी या धोखाधड़ी हो जाए तो इसकी शिक़ायत का प्रावधान क्या है? इतने बड़े कारोबार पर क्या कोई नियंत्रण होता है या नहीं। ऐसे ही आपके कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के जवाब लेकर हम इस लेख में हाज़िर हैं।


सेबी (SEBI) एक ऐसा नियामक निकाय है जो भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों और वित्तीय बाज़ारों को नियंत्रित करता है। यह भारतीय वित्तीय बाजारों में स्टॉक एक्सचेंज, स्टॉक, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड और लगभग हर दूसरे वित्तीय उत्पाद सेबी द्वारा नियंत्रित होते हैं।


सेबी क्या है? | SEBI kya hai?

सेबी का पूरा नाम क्या है? तो हम आपको बता दें कि सेबी का पूरा नाम (Sebi ka pura naam) या सेबी का फुल फार्म 'भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड Securities and Exchange Board of India' है। यह एक वैधानिक संस्था है जो भारतीय पूँजी बाज़ार के कामकाज को नियमित करती है। और इसके साथ यह शेयर बाज़ार में शेयर के लेन-देन तथा म्यूचुअल फंड का नियंत्रण भी करती है।


इसका प्रमुख कार्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और समय-समय पर विभिन्न नियमों और विनियमों को लागू करके भारतीय पूँजी बाजारों को विकसित करना है। भारत में शेयर बाज़ार सेबी SEBI के दिशा निर्देशों पर ही चलता है।

सेबी का मुख्यालय मुम्बई में स्थित है। इसके अलावा सेबी के कुछ क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं। जो कि दिल्ली, चेन्नई, कलकत्ता, अहमदाबाद, बेंगलुरु, कोच्चि, हैदराबाद, शिमला, जयपुर और लखनऊ में हैं। 


सेबी की संगठनात्मक संरचना क्या है? (Sebi ki sangathanatmak sanrachna kya hai?)

सेबी के संगठनात्मक संरचना की बात करें तो सेबी में एक अध्यक्ष तथा एक अध्यक्ष के अतिरिक्त कई पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्य होते हैं। इसमें वित्त मंत्रालय एवं कानून मंत्रालय के एक–एक सदस्य, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एक सदस्य तथा दो सदस्यों की नियुक्ति भारत सरकार स्वयं करती है। तात्कालिक मुद्दों की जाँच करनी हो तो सेबी विभिन्न समितियाँ भी गठित करता है।

सेबी के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं? सेबी के वर्तमान अध्यक्ष श्री अजय त्यागी हैं। इसके पूर्णकालिक सदस्य श्री एस. के. मोहान्ती और श्री अनन्त बरुआ हैं। अंशकालिक सदस्य श्री एम. राजेश्वर राव (उप गवर्नर भारतीय रिज़र्व बैंक), श्री आनंद मोहन बजाज (अपर सचिव, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार) हैं। 


सेबी के अध्यक्ष का कार्यकाल कितना होता है? तो हम बता दें कि सेबी के अध्यक्ष के लिए कोई निश्चित कार्यकाल अवधि नहीं है। सेबी अध्यक्ष की नियुक्ति 5 वर्ष के लिए या 65 वर्ष की आयु तक या जब तक आदेश न आ जाए तब तक अध्यक्ष का कार्यकाल यथावत रहता है।

एक महत्वपूर्ण प्रश्न कि सेबी की स्थापना कब की गई थी? तो हम आपको बता दें कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को एक ग़ैर संवैधानिक निकाय के रूप में हुई थी। सेबी की स्थापना के बाद 30 जनवरी 1992 को भारत सरकार में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम 1992 (security and exchange board of india act, 1992) के प्रावधानों के तहत इसे एक संवैधानिक दर्जा दिया गया। इसे सेबी अधिनियम 1992 के तहत एक बड़ा बदलाव माना जाता है।

सेबी में शिकायत कैसे करें
सेबी के निर्णय से असंतुष्टों के हितों की रक्षा के लिये एक प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण – सैट ( Securities Appellate Tribunal – SAT ) का गठन भी किया गया है। SET में एक पीठासीन अधिकारी तथा दो अन्य सदस्य भी शामिल किए जाते हैं। इसे न्यायालय के समान शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। फ़िर भी यदि कोई व्यक्ति SAT के निर्णय अथवा आदेश से असंतुष्ट है तो वह सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी कर सकता है।

अगर कोई कंपनी या संस्थान शेयर मार्केट में आपके साथ धोखाधड़ी करे। तो आप सेबी में शिक़ायत दर्ज करा सकते हैं। इस क्षेत्र से जुड़ी कोई भी शिक़ायत करने के लिए आप वेबसाइट www.sebi.gov.in वेबसाइट पर जाकर कर सकते हैं।

सेबी की स्थापना के समय सेबी की प्रारंभिक पूँजी कितनी थी तो आपको बता दें कि यह पूँजी 7.5 करोड़ थी। जो कि भारतीय प्रमुख कम्पनियों IDBI, ICICI एवं IRCI की ओर से प्रदान की गई थी। 


सेबी के कार्य | सेबी के उद्देश्य


सेबी के कार्य क्या है?

सेबी (SEBI) वैधानिक संस्था बन जाने के बाद सेबी एक्ट के अंतर्गत इसे कई महत्वपूर्ण कार्य करने की शक्तियां प्राप्त हो चुकी हैं। जिन्हें हम सेबी के अधिकार भी कह सकते हैं।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के मूल कार्यों की बात की जाए तो प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों की रक्षा करना, प्रतिभूति बाज़ार (securities market) के विकास का उन्नयन करना, उसे विनियमित करना तथा उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना शामिल किया जाता है। 

इन्हें आप सेबी के मूल कार्य (Sebi ke mul karya) या सेबी के अधिकार (Sebi ke adhikar) भी कह सकते हैं। वह इसलिए क्योंकि इन्हीं अधिकारों के तहत या इन्हीं अधिकारों का इस्तेमाल कर सेबी, शेयर बाज़ार व प्रतिभूतियों के बाज़ार में होने वाली किसी भी गड़बड़ी पर अपनी तरफ़ से लगाम कसने का प्रयास करता है।

तो चलिए बिना देर किए सेबी के अधिकार क्या हैं? अथवा सेबी की शक्तियाँ क्या हैं जानते हैं।

1. शेयर बाज़ार में निवेशकों के हितों की रक्षा करना -
दोस्तों आप जैसे कई निवेशक शेयर बाज़ार में अलग-अलग कंपनियों के शेयर ख़रीदा और बेचा करते हैं। इस तरह ख़रीदने और बेचने में यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी पायी जाती है। या निवेशकों के साथ कोई भी धोखाधड़ी होती है तब सेबी उनके अधिकारों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर होता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड का पहला कार्य है शेयर मार्केट के निवेशकों के हितों का संरक्षण करना।


2. तीनों अंगों को सेबी के ढाँचे के अधीन लाना
सेबी एक्ट यानि कि सेबी 1992 के अधिनियम में नियामक निकाय में निहित शक्तियों की एक सूची दी गई है। सेबी के कार्य इसे प्रतिभूतियों का जारीकर्ता, निवेशकों और व्यापारियों का रक्षक और एक वित्तीय मध्यस्थ के रूप में स्थापित करते हैं।
  • जारीकर्ता - जारीकर्ताओं के लिए एक बाज़ार उपलब्ध करना जिसके अंतर्गत जारीकर्ता अपना वित्त बढ़ा सकें।
  • निवेशक - निवेशकों के लिए सही और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना, साथ ही उचित सुरक्षा देना।
  • बिचौलिए - बिचौलिए या मध्यस्थ के लिए एक प्रतिस्पर्धी बाज़ार का निर्माण करना।

इनको सेबी के अधीन लाना या सेबी का जो नियम है उसके अधीन लाना भी सेबी का एक प्रमुख कार्यों में से एक है। ताकि पूरा का पूरा जो शेयर मार्केट है वह सेबी के बनाए हुए नियम से चल सके और किसी भी निवेशक के साथ धोखा ना हो।

3. प्रतिभूति बाज़ार को विकसित करना - 
प्रतिभूति बाजार के विकास करना भी सेबी के प्रमुख कार्यों में से एक है। सेबी इस बाज़ार के उन्नयन के साथ-साथ उसे विनियमित करने का भी बीड़ा उठाता है। 

4. शेयर बाज़ार में अनैतिक व्यापार पर रोक लगाना - 
कोई भी कंपनी ग़लत तरीक़े से व्यापार कर रही हो। या किसी कंपनी के शेयर यदि ग़लत तरीक़े से ख़रीदे या बेचे जा रहे हों। तो ऐसी स्थिति में ऐसे कार्यों पर कड़ी निगरानी रखते हुए रोक लगाना सेबी के प्रमुख कार्यों में से एक है।

5. इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाना -
इनसाइडर ट्रेडिंग का तात्पर्य होता है अंतरंग व्यापार। शेयर बाज़ार में कई बार ऐसा होता है कि जब कोई कंपनी अपना शेयर जारी करती है। तब उस कंपनी के कुछ अधिकारियों को कंपनी के उस शेयर से जुड़ी कुछ गुप्त जानकारियाँ प्राप्त हो जाती हैं। जिसके चलते वे अधिकारी उस शेयर की ख़रीद व बिक्री पर अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा कमा लेते हैं। इस तरह की गुप्त जानकारियों के चलते मुनाफ़ा कमाने की इन गतिविधियों को रोकना भी सेबी के प्रमुख कार्यों में से एक है।

6. पूँजी उद्द्योग व म्युचुअल फंड पर नियंत्रण
सेबी बोर्ड उद्यम पूँजी कोषों और म्युचुअल फंड सहित सामूहिक निवेश योजनाओं के कामकाज के पंजीकरण तथा विनियमन का कार्य करता है।


7. मनी पूलिंग योजना पर नियंत्रण
प्रतिभूति कानून (संशोधन) अधिनियम 2014 के अंतर्गत सेबी अब 100 करोड़ या उससे अधिक की राशि की किसी भी मनी पूलिंग योजना को विनियमित करने तथा ग़ैर अनुपालन के मामलों में संपत्ति को संलग्न करने में सक्षम होता है।

8. तलाशी जाँच व ज़ब्ती संबंधी अधिकार -
सेबी के अध्यक्ष के पास तलाशी, जाँच और ज़ब्ती संबंधी आदेश का अधिकार है। सेबी किसी भी प्रकार के प्रतिभूति लेनदेन के संबंध में किसी भी व्यक्ति या संस्थाओं से टेलीफ़ोन कॉल डेटा रिकार्ड जैसी जानकारी माँगने के लिए सक्षम है।

उम्मीद है हमारा यह अंक "सेबी क्या है? सेबी के कार्य, शक्तियाँ या अधिकार क्या हैं?" पढ़कर आप भलीभाँति समझ चुके होंगे। ऐसी आशा करते हैं सेबी एक्ट क्या है? (Sebi act kya hai?) और सेबी की भूमिका क्या है? (sebi ki bhumika kya hai?) यह जानकारी आपके लिए अत्यंत ही सटीक और उपयोगी साबित होगी। अब आप निश्चिंत होकर अपना पैसा निवेश करते हुए शेयर मार्केट में अच्छा मुनाफ़ा भी कमा सकेंगे।
(- By Alok)


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