गर्भवती महिला का भोजन कैसा होना चाहिए? (गर्भवती महिला को क्या क्या खाना चाहिए, क्या क्या नहीं खाना चाहिए, गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक मार्गदर्शन, गर्भावस्था से जुडी भ्रांतियाँ)
एक स्त्री (महिला) की यही एक प्रबल इच्छा होती है कि वह एक ऐसे बच्चे को जन्म दे जो बिल्कुल स्वस्थ हो। अगर आप एक महिला हैं तो आप ही सोचिए। कि आपके सपने को सच करने के लिए आपको प्रैग्नेंसी के दौरान खानपान यानि कि आहार पर कितना ध्यान देना पड़ेगा!
सचमुच अपनी इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए गर्भावस्था में आपको पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार लेना बेहद ज़रूरी होता है। गर्भवती महिला का पोषण आहार (Garbhavati mahila ka poshan aahar) क्या हो? इसी वजह से महिलाएं अक़्सर खानपान को लेकर असमंजस में रहती हैं।
दोस्तों इस लेख में आज हम गर्भावस्था के दौरान खान-पान कैसा होना चाहिए? (garbhavastha ke dauran khanpan kaisa hona chahiye) के संबंध में जानकारी दे रहे हैं। दरअसल गर्भावस्था के दौरान महिला को संतुलित यानि कि पौष्टिक आहार न मिल पाने से शिशु का विकास भी पर्याप्त रूप से नहीं हो पाता।
आंकलन किया जाये तो सामान्य स्त्री को प्राय: 1900 कैलोरी की ज़रूरत होती है, जबकि गर्भावस्था में 3200 कैलोरी की सख़्त आवश्यकता होती है। गर्भवती का आहार ऐसा हो (garbhavati ka aahar kaisa ho?) जिसमें पौष्टिकता के समस्त तत्व मौजूद होने चाहिए गर्भवती महिला को पौष्टिक आहार किस तरह से उपलब्ध किया जा सकता है। उसका विवरण निम्नलिखित है -
(1) डेयरी उत्पाद -
शिशु के विकास के लिए ज्यादा प्रोटीन और कैल्शियम की ज़रूरत होती है। अगर गर्भवती महिला की उम्र 19 से 50 साल तक की हो। ऐसी गर्भवती महिला को रोज़ाना 1000 मिली ग्राम कैल्शियम की ज़रूरत होती है। इसलिए आप अपने खान-पान में दही, छाछ व दूध जैसे डेयरी उत्पादों को ज़रूर शामिल करें। डेयरी उत्पाद गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए बेहद फ़ायदेमंद होते हैं। ध्यान रहे कि गर्भवती महिला को पॉश्चरीकृत डेयरी उत्पादों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
(2) कैल्शियम (Calcium) -
गर्भावस्था में महिलाओं को कैल्शियम की अनिवार्यता अधिक होती है। यह दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है। साथ ही गाजर, चौलाई, पालक, बथुआ, मेथी, आंवला, और सोयाबीन में भी कैल्यिशम भरपूर मात्रा में होता है। गर्भवती महिला को आहार में प्रतिदिन 1500-1600 मिलीग्राम कैल्सियम मिलना ही चाहिए। गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु की स्वस्थ और मज़बूत हड्डियों के लिये कैल्शियम की बहुत आवश्यकता होती है।
गर्भावस्था में महिलाओं को कैल्शियम की अनिवार्यता अधिक होती है। यह दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है। साथ ही गाजर, चौलाई, पालक, बथुआ, मेथी, आंवला, और सोयाबीन में भी कैल्यिशम भरपूर मात्रा में होता है। गर्भवती महिला को आहार में प्रतिदिन 1500-1600 मिलीग्राम कैल्सियम मिलना ही चाहिए। गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु की स्वस्थ और मज़बूत हड्डियों के लिये कैल्शियम की बहुत आवश्यकता होती है।
(3) विटामिन -
हम आपको बता दें कि गर्भावस्था के दौरान महिला के लिए विटामिन की ज़रूरत बढ़ जाती है।गर्भवती महिला का आहार (garbhavati mahila ka aahar) ऐसा होना चाहिए कि जो अधिकाधिक मात्रा मे कैलोरीज़ तथा उचित मात्रा में प्रोटीन के साथ विटामिन की मात्रा की पूर्ति कर सके। उपलब्धता की बात करें तो हरी सब्ज़ियाँ, दलहन, दूध आदि से भरपूर विटामिन्स प्राप्त हो जाते हैं।
हम आपको बता दें कि गर्भावस्था के दौरान महिला के लिए विटामिन की ज़रूरत बढ़ जाती है।गर्भवती महिला का आहार (garbhavati mahila ka aahar) ऐसा होना चाहिए कि जो अधिकाधिक मात्रा मे कैलोरीज़ तथा उचित मात्रा में प्रोटीन के साथ विटामिन की मात्रा की पूर्ति कर सके। उपलब्धता की बात करें तो हरी सब्ज़ियाँ, दलहन, दूध आदि से भरपूर विटामिन्स प्राप्त हो जाते हैं।
(4) आयोडीन -
गर्भवती महिलाओं के लिए 200 से लगभग 220 माइक्रो ग्राम आयोडीन की सख़्त आवश्यकता होती है। आपके शिशु के विकास के लिए आयोडीन अत्यंत आवश्यक है। आयोडीन की कमी के कारण बच्चों में मानसिक रोग, वज़न बढ़ना व महिलाओं में गर्भपात जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। आयोडीन के प्राकृतिक स्रोत की बात करें तो अनाज, दालें, मांस, दूध व अंडे आयोडीन के अच्छे प्राकृतिक स्रोत माने जाते हैं। आयोडीन युक्त नमक अपने आहार में शामिल करना आयोडीन प्राप्त करने का सबसे उत्तम तरीका है।
गर्भवती महिलाओं के लिए 200 से लगभग 220 माइक्रो ग्राम आयोडीन की सख़्त आवश्यकता होती है। आपके शिशु के विकास के लिए आयोडीन अत्यंत आवश्यक है। आयोडीन की कमी के कारण बच्चों में मानसिक रोग, वज़न बढ़ना व महिलाओं में गर्भपात जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। आयोडीन के प्राकृतिक स्रोत की बात करें तो अनाज, दालें, मांस, दूध व अंडे आयोडीन के अच्छे प्राकृतिक स्रोत माने जाते हैं। आयोडीन युक्त नमक अपने आहार में शामिल करना आयोडीन प्राप्त करने का सबसे उत्तम तरीका है।
(5) फल और फलों का जूस -
गर्भावस्था के दौरान प्रैग्नेंट महिला को तरह-तरह के मौसमी फल खाना चाहिए। हो सके तो उन्हें संतरा, तरबूज व नाशपाती आदि फलों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। इसके अलावा इन फलों का रस भी पी सकती हैं। दरअसल, गर्भवती महिला को अलग-अलग चार रंगों के फल खाने की सलाह दी जाती है। वसा और कैलोरी में उच्च खाद्य पदार्थों की जगह रोज़, फल व सब्ज़ियों का सेवन करें। साथ ही पैकेट बंद फ्रूट-जूस का सेवन नहीं करना चाहिए।(6) बेर अथवा इस प्रजाति के फल -
गर्भवती महिला के लिए बेर की प्रजाति वाले फलों का सेवन करना बेहद फ़ायदेमंद माना जाता है। दरअसल इनमें भरपूर मात्रा में पानी, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन-सी पाया जाता है। जो गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए ज़रूरी होता है। इसलिए गर्भवती महिला को अपने खान-पान में स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी व ब्लैकबेरी आदि फलों को शामिल करने की कोशिश कर चाहिए।
गर्भवती महिला के लिए बेर की प्रजाति वाले फलों का सेवन करना बेहद फ़ायदेमंद माना जाता है। दरअसल इनमें भरपूर मात्रा में पानी, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन-सी पाया जाता है। जो गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए ज़रूरी होता है। इसलिए गर्भवती महिला को अपने खान-पान में स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी व ब्लैकबेरी आदि फलों को शामिल करने की कोशिश कर चाहिए।
(7) प्रोटीन युक्त आहार -
गर्भवती महिला को प्रोटीन भी संतुलित मात्रा में मिलना चाहिए। प्रोटीन अंडा, मांस, दूध आदि में अधिक होता है। और जो महिलाएं शाकाहारी हैं। वह सोयाबीन व दालों से प्रोटीन प्राप्त कर सकती हैं। अंकुरित दालें मूंग, चने आदि भी प्रोटीन की भरपूर मात्रा उपलब्ध कराते हैं। गर्भवती महिला के आहार में प्रतिदिन लगभग 60 से 70 ग्राम प्रोटीन मिलना आवश्यक है। गर्भवती महिला के गर्भाशय, स्तनों तथा गर्भ के विकास ओर वृद्धि के लिये प्रोटीन एक महत्वपूर्ण तत्व है। अंतिम 6 महीनों के दौरान गर्भवती महिलाओं को करीब 1 किलोग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। प्रोटीन युक्त आहार में दूध और दुध से बने व्यंजन, मूंगफली, पनीर, चीज़, काजू, बादाम, दलहन, मांस, मछली, अंडे आदि का समावेश करना चाहिए।
(8) आयरन -
गर्भावस्था में महिला को औसतन लगभग 40 मिलीग्राम आयरन की आवश्यकता होती है। आयरन मांस-मछली व अंडों से प्राप्त होता है। शाकाहारी महिलाएं फल-सब्ज़ियों से आयरन प्राप्त कर सकती हैं। साथ ही विभिन्न दालों, अन्न, गुड़, अंजीर, खजूर और मेवों से भी आसानी से आयरन प्राप्त किया जा सकता है।
गर्भावस्था में महिला को औसतन लगभग 40 मिलीग्राम आयरन की आवश्यकता होती है। आयरन मांस-मछली व अंडों से प्राप्त होता है। शाकाहारी महिलाएं फल-सब्ज़ियों से आयरन प्राप्त कर सकती हैं। साथ ही विभिन्न दालों, अन्न, गुड़, अंजीर, खजूर और मेवों से भी आसानी से आयरन प्राप्त किया जा सकता है।
(9) ज़िंक -
गर्भवती महिलाओं के लिए हर रोज़ लगभग 15 से 20 मिग्रा ज़िंक की आवश्यकता होती है। हम आपको बता दें कि यदि आपके शरीर में ज़िंक न हो तो इसके कमी से आपको भूख न लगना, शारीरिक विकास का अवरुद्ध हो जाना व त्वचा रोग आदि की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। पर्याप्त ज़िंक की पूर्ति के लिए आप हरी सब्जियां और मल्टी विटामिन से भरपूर सप्लीमेंट्स ले सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए हर रोज़ लगभग 15 से 20 मिग्रा ज़िंक की आवश्यकता होती है। हम आपको बता दें कि यदि आपके शरीर में ज़िंक न हो तो इसके कमी से आपको भूख न लगना, शारीरिक विकास का अवरुद्ध हो जाना व त्वचा रोग आदि की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। पर्याप्त ज़िंक की पूर्ति के लिए आप हरी सब्जियां और मल्टी विटामिन से भरपूर सप्लीमेंट्स ले सकते हैं।
(10) फोलिक एसिड -
पहली तिमाही वाली गर्भवती महिला को हर दिन 4mg फोलिक एसिड लेने की आवश्यकता होती है। दूसरी और तीसरी तिमाही में 6mg फोलिक एसिड लेना उस गर्भवती महिला के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। हम आपको बता दें कि पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड लेने से जन्मदोष और गर्भपात होने का ख़तरा कम हो जाता है। फोलिक एसिड के प्रभाव से उल्टी होना कम हो जाता है।
पहली तिमाही वाली गर्भवती महिला को हर दिन 4mg फोलिक एसिड लेने की आवश्यकता होती है। दूसरी और तीसरी तिमाही में 6mg फोलिक एसिड लेना उस गर्भवती महिला के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। हम आपको बता दें कि पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड लेने से जन्मदोष और गर्भपात होने का ख़तरा कम हो जाता है। फोलिक एसिड के प्रभाव से उल्टी होना कम हो जाता है।
बल्कि फ़ोलिक एसिड का सेवन करना तभी से शुरू कर देना चाहिए जब आपने माँ बनने का मन बना लिया हो। फोलिक फ़ोलिक एसिड युक्त आहार में दाल, राजमा, पालक, भिंडी, मटर, मक्का, हरी सरसो, सोयाबीन, काबुली चना, स्ट्रॉबेरी, केला, अनानास, संतरा, दलिया, साबुत अनाज का आटा, आटे कि ब्रेड आदि का समावेश होता है।
(11) पानी की पर्याप्त मात्रा लें -
सामान्य व्यक्ति हो अथवा गर्भवती महिला हो। पानी तो हमारे शरीर के लिये हमेशा से ही उपयोगी और महत्वपूर्ण रहा है। गर्भवती महिलाओं की बात की जाए तो उन्हें अपने शरीर कि बढ़ती हुईं ज़रूरतों को पूरा करने के लिये प्रतिदिन कम से कम 3 लीटर यानि कि लगभग 10 से 12 गिलास पानी ज़रूर पीना चाहिए। बल्कि गर्मी के मौसम में 2 गिलास अतिरिक्त पानी पीना चाहिए। हर व्यक्ति को दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी का सेवन अवश्य करना चाहिये।
गर्भवती महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें पानी की कमी बिल्कुल न हो। क्योंकि पानी की कमी से सिरदर्द, थकान व कब्ज़ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को हमेशा खुद को हाइड्रेट रखने की सलाह दी जाती है। हमेशा साफ़ और सुरक्षित पानी पीने की कोशिश करें। बाहर जाते समय अपने साथ साफ़ पानी रखना न भूलें। याद रखें, पानी की हर बूंद आपकी गर्भावस्था को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
(12) सूखे मेवे -
जितना संभव हो सके, गर्भावस्था के दौरान महिलाएँ अपने आहार में सूखे मेवों को शामिल करने का प्रयास कर सकती हैं। क्योंकि मेवों में कई तरह के विटामिन, कैलोरी, फाइबर व ओमेगा-3 फैटी एसिड आदि पाए जाते हैं, जो कि सेहत के लिए अच्छे होते हैं। आप अपने खान-पान में काजू, बादाम व अखरोट आदि को शामिल कर सकती हैं, यदि आपको किसी प्रकार की एलर्जी नहीं होती। दरअसल अखरोट में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है। इसके अलावा, बादाम और काजू भी गर्भावस्था में फ़ायदेमंद होते हैं।
(13) पालक -
पालक में आयरन की मात्रा सबसे अधिक होती है। लगभग 100gm पालक, आयरन की 25 प्रतिशत पूर्ति, विटामिन C की 47 प्रतिशत पूर्ति और विटामिन K की 40 प्रतिशत की पूर्ति प्रतिदिन करता है। पालक की पत्तियों में विटामिन A, फ्लेवोनाइड और बीटा-कैरोटिन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं। इसके अलावा, पालक में विटामिन बी कॉम्पलेक्स और फोलेट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसीलिये गर्भवती महिलाओं के लिए यह काफी उपयोगी है। पालक में मौजूद आयरन गर्भावस्था में खून की कमी को दूर करने में मदद करता है।
(14) टमाटर -
यह विटामिन ए, सी, एंटी आक्सीडेंट, अल्फा और बीटा कैरोटिन का अच्छा स्रोत होता है जो हड्डियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होता है। इसमें विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और कई मिनरल जैसे आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम भरपूर मा.त्रा में होते हैं। टमाटर में लाइकोपीन होता है, लाइकोपीन व एंटीऑक्सीडेंट महिलाओं के लिए गर्भधारण में काफी उपयोगी होते हैं।
यह विटामिन ए, सी, एंटी आक्सीडेंट, अल्फा और बीटा कैरोटिन का अच्छा स्रोत होता है जो हड्डियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होता है। इसमें विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और कई मिनरल जैसे आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम भरपूर मा.त्रा में होते हैं। टमाटर में लाइकोपीन होता है, लाइकोपीन व एंटीऑक्सीडेंट महिलाओं के लिए गर्भधारण में काफी उपयोगी होते हैं।
(15) शकरकंद -
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को शकरकंद यानि कि स्वीट पोटैटो का सेवन करना फ़ायदेमंद हो सकता है। क्योंकि इसमें विटामिन-A होता है, जो शिशु की देखने की शक्ति को विकसित करता है। साथ ही इसमें विटामिन-C, फोलेट और फ़ाइबर भी होता है।
(16) साबुत अनाज -
गर्भावस्था के दौरान साबूत अनाज को अपने आहार में ज़रूर शामिल करें। ख़ासतौर पर गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान साबूत अनाजों का सेवन फ़ायदेमंद होता है। साबुत अनाज के सेवन से गर्भवती महिला को भरपूर कैलोरी मिलती है, जो कि उसके गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में मदद करती है। आप चाहें तो साबुत अनाज के तौर पर ओट्स, भूरे चावल आदि को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं। क्योंकि इन अनाजों में प्रोटीन बहुतायत में पाया जाता है। इसके अलावा, इनमें फाइबर, विटामिन-बी और मैग्नीशियम भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है, जो कि गर्भावस्था के लिए में फ़ायदेमंद साबित हो सकते हैं।
ध्यान रहे, कम वसा वाला आहार लेने की आदत बनाएं, ताकि रोज़ाना प्राप्त होने वाली कैलोरी की मात्रा में ज़्यादा वृद्धि न हो। संभव हो तो तले हुए भोजन से कुछ दिनों के लिए तौबा कर लें। साथ ही उन पेय पदार्थों से बचें, जिनमें अतिरिक्त शक्कर पायी जाती है। जैसे मिठाई, केक और बिस्कुट को ख़ुद से दूर रखें क्योंकि इनमें उच्च वसा और चीनी की मात्रा होती है।
(17) अंडे का सेवन -
अंडे को पौष्टिक तत्वों का ख़ज़ाना माना जाता है। रोज़ अंडा खाने से आपका शरीर ऊर्जावान बना रहता है। गर्भवती महिलाओं को इसीलिये इसे अपने आहार में शामिल करने के लिए कहा जाता है। अंडे में प्रोटीन, कोलीन, बायोटीन, कोलेस्ट्रोल, विटामिन-डी और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। एक बड़े अंडे में लगभग 77 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसलिए या गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फ़ायदेमंद माना जाता है।
अंडे को पौष्टिक तत्वों का ख़ज़ाना माना जाता है। रोज़ अंडा खाने से आपका शरीर ऊर्जावान बना रहता है। गर्भवती महिलाओं को इसीलिये इसे अपने आहार में शामिल करने के लिए कहा जाता है। अंडे में प्रोटीन, कोलीन, बायोटीन, कोलेस्ट्रोल, विटामिन-डी और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। एक बड़े अंडे में लगभग 77 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसलिए या गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फ़ायदेमंद माना जाता है।
वैसे जो महिलाएं शाकाहारी हैं वे सोयाबीन का सेवन कर सकती हैं। सोयाबीन में अंडे की तरह प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसमें कैल्शियम, आयरन के साथ-साथ रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। सामान्यतः 30 वर्ष से 65 वर्ष की उम्र की महिलाओं में नाइट्रोजन की कमी के कारण हड्डियों में कैल्शियम की कमी आ जाती है। जिस कारण हड्डियों में कमज़ोरी आ जाती है। सोयाबीन का सेवन, गर्भवती महिला के लिए और भी ज़्यादा फ़ायदेमंद होता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए अन्य आवश्यक मार्गदर्शन (Other essential guidance for pregnant women in hindi)
(1) गर्भवती महिला को भले ही भूख न लगी हो लेकिन उसको हर 4 घंटे में कुछ न कुछ खाने की कोशिश करना चाहिए। क्योंकि आपके गर्भ में पल रहे शिशु को भूख लगती है।
(2) वज़न बढ़ जाने की चिंता किये बग़ैर गर्भवती महिला को अच्छी तरह से खाते रहने के बारे में सोचना चाहिए ताकि शिशु को नियमित मात्रा में भोजन मिल सके।
(3) गर्भवती महिला को एक विशेष बात ध्यान रखना है कि वह इस दौरान कच्चा दूध पीने से बचें।
(4) कुछ महिलाएँ धूम्रपान की आदि होती हैं। इसीलिए हम बता देना चाहते हैं कि ऐसी स्थिति में मदिरापान और धूम्रपान जैसी आदत से बिल्कुल दूर रहें।
(5) ध्यान रहे कैफ़ीन की मात्रा शरीर में ज़्यादा न जाये।प्रतिदिन लगभग 200 मिग्रा या इससे अधिक कैफ़ीन हो जाने से आपके साथ गर्भपात और वज़न कम होने जैसी समस्या हो सकती है। साथ ही शिशु के कम वज़न के साथ जन्म लेने की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
(6) गर्भवती महिलाओं को इस समय गर्म मसालेदार चीजों से तौबा कर लेना चाहिए। ऐसे समय में गर्म मसालेदार चीज़ें आपके व आपके शिशु के लिए घातक हो संकती हैं।
(7) पूर्ण अनाज से बने पदार्थ, अंकुरित दलहन, हरे पत्तेवाली साग-सब्ज़ी, गुड़, तिल आदि लौहतत्व से भरपूर खाद्यपदार्थों का सेवन, एनीमिया से बचाव के लिये अत्यंत आवश्यक है।
(8) गर्भवती महिलाओं का वज़न, उनके गर्भावस्था के दौरान 10 से 12 किलो तक अवश्य बढ़ना चाहिए। यह एक सामान्य प्रक्रिया है।
(9) यदि आप उपवास रखती हैं तो जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि गर्भावस्था के दौरान किसी भी महिला को उपवास नहीं रखना चाहिए। उपवास रखने से ख़ुद के साथ-साथ शिशु के लिए भी घातक साबित हो सकता है।
(10) यदि गर्भवती महिला को मीठा खाने की प्रबल इच्छा हो रही हो तो उसे अंजीर खिलाना ज़्यादा बेहतर होगा। क्योंकि यह मीठा होने के साथ-साथ प्रचुर मात्रा में कैल्शियम भी देता है। इससे कब्ज़ भी दूर होता है।
(11) किसी महिला को यदि गर्भावस्था के दौरान सुप या जूस पीने का मन कर रहा हो तो मार्केट से मिलने वाले रेडीमेड सूप अथवा जूस का उपयोग कतई न करें। बल्कि भोजन के बाद, सब्ज़ियों या फलों का सूप या जूस घर में ही बनाकर सेवन करें।
(12) गर्भावस्था के दौरान महिला को काफी चीज़ों पर कंट्रोल रखने की आवश्यकता होती है। जैसे फ़ास्टफ़ूड, ज़्यादा तला हुआ खाना, तीखा व मसालेदार खाने से गर्भवती महिला को परहेज़ करना ही चाहिए।
(13) सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्भवस्था के दौरान महिला को किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में रहना चाहिए। डॉक्टर की सलाह अनुसार समय-समय पर विटामिन और आयरन की गोलियां लेना चाहिए।
गर्भवती महिला को क्या क्या नहीं खाना चाहिए? | garbhavati mahila ko kya nahi khana chahiye?
ऐसी अनेक चीज़ें हैं, जिनका सेवन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए। विशेष तौर पर उन्हें अपने आहार में शामिल नहीं करना चाहिए। चलिये हम आपको बताते हैं कि गर्भवती महिला को क्या चीज़ नहीं खाना चाहिए? (Garbhavati mahila ko kya nahi khana chahie?) -
(1) कच्चा अंडा कभी भी न खाएं -
ध्यान रहे, गर्भावस्था के दौरान महिला को कच्चा अंडा नहीं खाना चाहिए। उनके लिए अच्छी तरह पका हुआ अंडा ही लाभदायक होता है। कच्चा अंडा खाने से साल्मोनेला संक्रमण का ख़तरा बना रहता है। जिससे गर्भवती महिला को उल्टी, दस्त की शिकायत हो सकती है।
ध्यान रहे, गर्भावस्था के दौरान महिला को कच्चा अंडा नहीं खाना चाहिए। उनके लिए अच्छी तरह पका हुआ अंडा ही लाभदायक होता है। कच्चा अंडा खाने से साल्मोनेला संक्रमण का ख़तरा बना रहता है। जिससे गर्भवती महिला को उल्टी, दस्त की शिकायत हो सकती है।
(2) शराब और धूम्रपान से परहेज़ करें -
आप तो जानते ही हैं कि नशीली चीज़ें कभी भी किसी के लिए फायदेमंद नहीं हो सकती। इसीलिये गर्भवती महिला को शराब के साथ-साथ किसी भी प्रकार की नशीली चीज़ों से परहेज़ करना चाहिए। शराब के सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु पर घातक असर पड़ता है। शराब शिशु के दिमाग़ व शारीरिक विकास में बाधा पैदा करती है। यहां तक कि शराब के सेवन से गर्भपात (abortion) होने का ख़तरा भी ज़्यादा होता है। धूम्रपान से भी गर्भपात, समय से पहले ही प्रसव, जन्म के समय शिशु का वज़न कम होने के अलावा अन्य कई गंभीर समस्याएँ होने का ख़तरा बना रहता है। जिसमें Sudden Infant Death Syndrome (SIDS) भी प्रमुख रूप से शामिल है।
आप तो जानते ही हैं कि नशीली चीज़ें कभी भी किसी के लिए फायदेमंद नहीं हो सकती। इसीलिये गर्भवती महिला को शराब के साथ-साथ किसी भी प्रकार की नशीली चीज़ों से परहेज़ करना चाहिए। शराब के सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु पर घातक असर पड़ता है। शराब शिशु के दिमाग़ व शारीरिक विकास में बाधा पैदा करती है। यहां तक कि शराब के सेवन से गर्भपात (abortion) होने का ख़तरा भी ज़्यादा होता है। धूम्रपान से भी गर्भपात, समय से पहले ही प्रसव, जन्म के समय शिशु का वज़न कम होने के अलावा अन्य कई गंभीर समस्याएँ होने का ख़तरा बना रहता है। जिसमें Sudden Infant Death Syndrome (SIDS) भी प्रमुख रूप से शामिल है।
(3) कैफ़ीन का सेवन कतई न करें -
चाय, चॉकलेट, कॉफी जैसी चीज़ें बिल्कुल भी न लें। इनमें कैफ़ीन पाया जाता है। आपको बता दें कि ज़्यादा कैफ़ीन लेने से गर्भपात के ख़तरा बना रहता है। साथ ही शिशु का वज़न जन्म के समय कम रह जाने का ख़तरा भी बना रहता है। हालांकि 200मिग्रा तक कैफ़ीन लेना सुरक्षित माना जाता है।
चाय, चॉकलेट, कॉफी जैसी चीज़ें बिल्कुल भी न लें। इनमें कैफ़ीन पाया जाता है। आपको बता दें कि ज़्यादा कैफ़ीन लेने से गर्भपात के ख़तरा बना रहता है। साथ ही शिशु का वज़न जन्म के समय कम रह जाने का ख़तरा भी बना रहता है। हालांकि 200मिग्रा तक कैफ़ीन लेना सुरक्षित माना जाता है।
(4) पारा वाली मछली का सेवन न करें -
चूँकि गर्भावस्था के दौरान मछली खाना फ़ायदेमंद होता है। लेकिन गर्भवती महिलाओं को ऐसी मछलियों के सेवन से बचना चाहिए जिन मछलियों के शरीर में पारे का स्तर अधिक होता है। उदाहरण के लिए- स्पेनिश मेकरल, मर्लिन या शार्क, किंग मकरल और टिलेफिश। इन मछलियों में पारे का स्तर अत्यधिक पाया जाता है। इन मछलियों के खाने से भ्रूण के विकास में समस्या उत्पन्न हो सकती है।
(5) गर्भावस्था में कच्चा पपीता कभी न खाएं -
गर्भवती महिला के द्वारा कच्चा पपीता खाना बेहद ख़तरनाक हो सकता है। कच्चे पपीते में ऐसा केमिकल पाया जाता है जिसका दुष्प्रभाव सीधा भ्रूण को पहुँच सकता है। इसीलिए जितना हो सके कच्चे पपीता से दूरी बनाये रखें।
(6) कच्ची अंकुरित चीज़ें न खाएं -
वैसे तो अंकुरित चीजों का नाश्ता सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है। लेकिन आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि गर्भवस्था के दौरान अंकुरित चीज़ों का सेवन वर्जित माना जाता है। दरअसल कच्ची अंकुरित दालों में साल्मोनेला, लिस्टेरिया व ई-कोलाई के बैक्टेरिया पाए जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप फ़ूड पॉइज़निंग की समस्या हो सकती है। उल्टी या दस्त की समस्या के साथ-साथ शिशु की सेहत पर भी घातक प्रभाव पड़ सकता है।
(7) क्रीम दूध से बना पनीर बिल्कुल न खाएं -
अक़्सर महिलाओं की पहली पसंद पनीर होता है। लेकिन सावधान हो जाइये। गर्भावस्था के दौरान क्रीम दूध से बना पनीर नहीं खाना चाहिए। चूंकि इस तरह के पनीर के बनाने में पाश्चुरीकृत दूध का प्रयोग किया जाता है। जिस कारण इसमें लिस्टेरिया नामक बैक्टेरिया पाया जाता है। जिस कारण गर्भपात या समय पूर्व प्रसव का ख़तरा बना रहता है।
(8) कच्चा मांस का सेवन ना करें -
गर्भावस्था के दौरान कच्चे मांस का सेवन करने से सदैव बचें। अगर आप मांस खा रही हैं तो ध्यान रखें कि वह मांस पूरी तरह पका हुआ हो। कच्चे मांस से आपको टोक्सोप्लास्मोसिस का संक्रमण हो सकता है। इससे आपको गर्भपात का ख़तरा बना रहता है।
(9) फलों या सब्ज़ियों को बिना धुले न खाएं -
जब भी मार्किट या किसी भी जगह से फल अथवा सब्ज़ियां घर लाते हैं। उन फलों या सब्ज़ियों को अच्छी तरह धोकर उपयोग में लाएं। बग़ैर धुली सब्ज़ियों में टोक्सोप्लाज़्म नाम का बैक्टेरिया पाया जाता है। जिस कारण शिशु के विकास में बाधा हो सकती है।
(10) आइसक्रीम खाने से परहेज़ करें -
गर्भावस्था के दौरान आइसक्रीम खाने से बचें। आइसक्रीम चाहे घर की बनी हुई हो या बाहर की। परहेज़ करने में ही आपकी भलाई है। क्योंकि आमतौर पर आइसक्रीम बनाने में कच्चे अंडे का इस्तेमाल किया जाता है। हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि कच्चे अंडे के सेवन से साल्मोनेला नामक संक्रमण का ख़तरा बना रहता है। जिसके परिणाम माँ और शिशु दोनों के लिए घातक हो सकते हैं।
गर्भावस्था से जुड़ी कुछ भ्रांतियां (Some Dietary Misconceptions during pregnancy in hindi)
समाज में या यूँ कहिए कि घर घर में गर्भावस्था में खानपान (garbhavastha me khanpan से जुड़ी कई भ्रांतियां यानि कि मिथक होते हैं। ये मिथक इतने ज़्यादा प्रचलित होते हैं कि इन पर पढ़े लिखे लोग भी यक़ीन करने लगते हैं। आइये हम ऐसे ही कुछ भ्रामक मिथकों और उनके तथ्यों को आपके साथ साझा करते हैं -
भ्रांति- 'गर्भवती महिला को दो लोगों के बराबर भोजन करना ज़रूरी होता है।'
तथ्य- ज़बरदस्ती खाना खाने से ज़्यादा वज़न बढ़ने लगता है। जिसका दुष्प्रभाव बच्चे पर भी पड़ता है। आप जो भी खाएं, उसमें जरूरी पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद हों इस बात का ध्यान रखें। आपको और आपके शिशु को किसी भी पोषक तत्व की कमी नहीं होनी चाहिए। गर्भावस्था की पहली तिमाही में आपको प्रतिदिन 1800 कैलोरी, दूसरी तिमाही में प्रतिदिन 2200 कैलोरी और तीसरी तिमाही में प्रतिदिन 2400 कैलोरी की आवश्यकता होती है। इसलिए, आपको अपने भोजन की मात्रा, ऊर्जा की ज़रूरत के हिसाब से ही तय करनी चाहिए। ना कि दो व्यक्तियों की ख़ुराक के हिसाब से।
भ्रांति- 'हल्के रंग का भोजन करने से बच्चे का रंग भी गोरा होता है।'
तथ्य- अक़्सर यह कहते सुना जाता है कि हल्के रंग की कुछ चीज़ें जैसे टोफू, सोया उत्पाद, गेरू आदि खाने से जन्म लेने वाले बच्चे का रंग गोरा होता है। सच कहा जाये तो इस बात में कोई भी सच्चाई नहीं है। शिशु का रंग उसके पारिवारिक जीन्स पर निर्भर करता है न कि किसी ख़ास कलर के भोजन पर।
भ्रांति- 'अनानास और पपीता खाने से गर्भपात हो सकता है।'
तथ्य- इस बात में भी कोई सच्चाई नहीं है। अगर पपीता ठीक तरह से पाक हुआ हो। तो उसे खाने में कोई भी नुकसान नहीं है। शारीरिक समस्याओं के चलते कभी-कभी गर्भपात हो जाना आम बात है। अनानास का सेवन भी गर्भावस्था के दौरान नुकसानदायक बिल्कुल नहीं है।
भ्रांति- 'गर्भावस्था के दौरान जड़ी-बूटी या टॉनिक लेने से बुद्धिमान बच्चा पैदा होता है।'
तथ्य- इस तरह के टॉनिक और जड़ी-बूटियाँ बाज़ार में धड़ल्ले से बिक रही हैं। लेकिन सच यही है कि अब तक इनके सेवन से बुद्धिमान बच्चे के जन्म लेने के पक्ष में कोई प्रामाणिक प्रमाण नहीं मिला है।
भ्रांति- 'गर्भावस्था के समय केसर या संतरे खाने से, होने वाला बच्चा गोरा होता है।'
तथ्य- यह बात समाज में बहुत ही ज़्यादा भ्रामक रूप से फैल चुकी है कि केसर या संतरा खाने से गोरा बच्चा जन्म लेता है। हम आपको बता चुके हैं कि किसी फल या विशेष रंग की चीज़ें खाने से बच्चे के रंग में परिवर्तन नहीं होता। बल्कि रंग गोरा या काला होना, जीन्स पर ज़्यादा निर्भर करता है।
भ्रांति- 'गर्भावस्था में मक्खन या घी के ज़्यादा सेवन से प्रसव (Delivery) के समय सरलता होती है।'
तथ्य- यह भी पूरी तरह भ्रामक जानकारी फैली हुई है। दरअसल प्रसव का सरल होना, पूरी तरह शिशु के आकार, गर्भ में शिशु की अवस्था या प्रसव की जटिलता अथवा सरलता से सीधा संबंध होता है।
भ्रान्ति- 'मसालेदार भोजन करने से प्रसव शुरू हो सकता है।'
तथ्य- गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए क्योंकि इससे गर्भवती महिलाओं को पेट में जलन, एसिडिटी या गैस की शिकायत हो सकती है। लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि मसालेदार भोजन के सेवन से प्रसव शुरू हो जाता है।
उम्मीद है आपको हमारे इस अंक में "गर्भावस्था के दौरान क्या खाना चाहिये? और साथ ही गर्भावस्था के दौरान वर्जित भोजन (garbhavastha ke dauran varjit bhojan) की जानकारी ज़रूर पसंद आयी होगी।। आशा करते हैं अब आप गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार की जानकारी रखने के साथ साथ गर्भावस्था के दौरान खानपान (garbhavastha ke dauran khanpan) का विशेष ध्यान रखेंगे।
(- By Poonam)
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