प्रेम विवाह अक्सर असफल क्यों हो जाते हैं, प्रेम विवाह असफल रहने के कारण, प्रेम विवाह की असफलता के क्या कारण हैं, Love marriage success kyon nahi hoti, prem vivah ke kya nuksan hote hain, Love marriage kyon nahi chalti hai?
प्रेम विवाह (love marriage) यानि कि नायक नायिका का हसीन कल्पना रूपी सागर में डूबकर, एक दूजे की भावनाओं से प्रेरित होकर, बिना किसी की परवाह किए, परिवार और समाज से बगावत कर विवाह की डोर में बंध जाना। और जब जीवन की असलियत का सामना हो, तब नायक नायिका का, अपने ही फ़ैसले पर पछताना। फ़िर सारा तालमेल धराशायी और फ़िर उसी रिश्ते का पतन, जिसके लिए तमाम वादे किए गए।
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Image credit : pixabay |
दोस्तों नमस्कार, आज इस लेख में हम एक ऐसे मुद्दे पर बात करने वाले हैं, जो लगने में बहुत ही सरल दिखाई देता है लेकिन, सबसे बड़ी समस्या उन्हीं के द्वारा होती है जिन्हे ये सरल दिखाई देता है। ये लेख दिलचस्प होने वाला है। बस आप इस लेख में बने रहिएगा।
प्रेम विवाह असफल क्यों हो जाते हैं? ये सवाल काफी आम है, और इसका जवाब सीधा नहीं है, क्योंकि हर रिश्ता अलग होता है। लेकिन कुछ सामान्य कारण हैं जिनकी वजह से लव मैरिज में समस्याएँ आ सकती हैं। चलिए जानते है कि लव मैरिज की असफलता के क्या कारण हैं? (Love marriage ki asafalta ke kya karan hai?)
लव मैरिज की असफलता के कारण | Reasons for failure of love marriage in hindi
कुछ सामान्य कारण हैं जिनकी वजह से लव मैरिज में समस्याएँ आ सकती हैं। जो कि निम्नलिखित हैं -
1. अस्थिर भावनात्मक जुड़ाव
प्रेम विवाह अक़्सर भावनाओं के आधार पर होता है। प्रेम के शुरुआती चरणों में व्यक्ति अपने साथी के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर देखता है और कमियों की अनदेखी करता है। परंतु जब विवाह के बाद वास्तविक जीवन की चुनौतियाँ सामने आती हैं, तब उन्हीं प्रेमी जोड़ों के बीच भावनात्मक जुड़ाव कमज़ोर पड़ने लगता है। और यदि इस जुड़ाव में स्थायित्व और परिपक्वता की कमी हो, तो ये रिश्ता धीरे-धीरे टूटने लगता है।
2. परिवार का समर्थन न मिलना
भारत जैसे देश में परिवार का विवाह में विशेष महत्व होता है। प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों को कई बार परिवार का समर्थन नहीं मिलता, जिससे मानसिक तनाव, सामाजिक दबाव और अकेलेपन का सामना करना पड़ता है। जब जोड़ा बिना पारिवारिक सहयोग के विवाह करता है, तो बाद में समर्थन के अभाव में समस्याओं का समाधान करना कठिन हो जाता है।
3. संस्कृति और परवरिश में अंतर
प्रेम में अक़्सर व्यक्ति सामने वाले की भावनाओं से जुड़ जाता है, लेकिन विवाह के बाद जब दोनों की पारिवारिक संस्कृति, जीवनशैली और सोच में फ़र्क दिखाई देने लगता है, तब संघर्ष उत्पन्न होता है। अलग-अलग सामाजिक, आर्थिक, जातीय या धार्मिक पृष्ठभूमि से आने वाले जोड़ों को तालमेल बिठाने में उतनी ही कठिनाई होती है।
4. अत्यधिक अपेक्षाएं
प्रेम विवाह में साथी से अपेक्षाएं अधिक होती हैं, क्योंकि पहले से संबंध होने के कारण एक आदर्श स्थिति की कल्पना की जाती है। परंतु जब विवाह के बाद यह अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं, तो निराशा और असंतोष जन्म लेता है। यह असंतोष धीरे-धीरे वैवाहिक जीवन में दरार पैदा करता है।
5. असली ज़िंदगी का फ़र्क
प्यार के समय हम अक़्सर अपने पार्टनर की सिर्फ़ अच्छाइयों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं और कमियों को नज़रअंदाज़ करते हैं। शादी के बाद जब ज़िम्मेदारियाँ बढ़ती हैं, तब असलियत सामने आती है। तब अपने पार्टनर की बुराइयां जानने के बाद आपसी रिश्ते में टकराव पैदा होने शुरू हो जाते हैं।
6. स्वतंत्रता की कमी
प्रेम विवाह में अक़्सर दोनों साथी स्वतंत्र विचारों वाले होते हैं। परंतु विवाह के बाद पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ, सामाजिक बंधन और आपसी समझौतों के कारण स्वतंत्रता सीमित हो जाती है। अगर दोनों एक-दूसरे की व्यक्तिगत सीमाओं का सम्मान नहीं करते, तो यह टकराव का कारण बन जाता है।
7. कम्युनिकेशन गैप (संवादहीनता)
प्रेम के समय संवाद सहज और खुला होता है, परंतु विवाह के बाद जब ज़िम्मेदारियाँ बढ़ती हैं, तो संवाद कम होता चला जाता है। एक-दूसरे की बातों को समझना, भावनाओं को साझा करना और समस्याओं पर खुलकर चर्चा न करना, आपसी रिश्ते को कमज़ोर बना देता है।
8. आर्थिक तनाव
विवाह के बाद खर्चे, भविष्य की योजनाएं, बच्चों की परवरिश जैसी ज़िम्मेदारियाँ आती हैं। अगर दोनों में से कोई आर्थिक रूप से अस्थिर हो या वित्तीय निर्णयों में मतभेद हो, तो यह रिश्ता प्रभावित कर सकता है। प्रेम के समय जो बातें छोटी लगती हैं, वही शादी के बाद बड़े मुद्दे का रूप धारण कर लेती हैं।
9. ईगो क्लैश (अहम का टकराव)
प्रेम विवाह में अक़्सर दोनों साथी समान अधिकार और सम्मान की अपेक्षा रखते हैं। परंतु अगर किसी को लगे कि उसकी बात या इच्छा को अनदेखा किया जा रहा है, तो उनका अपना अहम आड़े आ जाता है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब कोई भी झुकने को तैयार न हो।
10. विश्वास की कमी और जलन
विवाह के बाद अगर साथी एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते या किसी तीसरे व्यक्ति से संबंधों को लेकर संदेह करते हैं, तो यह रिश्ते में विष घोल देता है। प्रेम विवाह में विश्वास की नींव मज़बूत न हो, तो छोटी-छोटी बातों पर शक, जलन और नियंत्रण की भावना पैदा हो जाती है।
11. भावनात्मक परिपक्वता की कमी
प्रेम करने वाले कई लोग भावनात्मक रूप से परिपक्व नहीं होते हैं। वे यह समझ नहीं पाते कि विवाह सिर्फ़ रोमांस नहीं, बल्कि जीवन भर की साझेदारी है जिसमें समझ, समर्पण और धैर्य की ज़रूरत होती है। जब भावनात्मक समझदारी नहीं होती, तो रिश्ता बोझ बन जाता है।
12. प्रेम के वास्तविक स्वरूप को न समझना
कुछ लोगों को लगता है कि प्यार केवल एक भावना है, लेकिन वास्तव में यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें समय के साथ बदलाव भी आता है। वास्तविक जीवन में संघर्ष, ज़िम्मेदारी, रिश्तेदारी और जीवन के उतार चढ़ाव से जूझते हुए ख़ुद को संभाले रखने की चुनौती भी होती है। ऐसे में अगर ये जोड़े, जीवन के इस बदलाव को समझने के बजाय, सिर्फ़ काल्पनिक बातों
में ही जीना चाहे तो, उनके बीच वैचारिक मतभेद बढ़ जाते हैं। और तब प्रेम की डोर कमज़ोर हो जाती है।
13. समाज का दबाव और आलोचना
प्रेम विवाह करने वाले जोड़े ख़ासकर तब ज़्यादा दबाव में आ जाते हैं जब समाज, रिश्तेदार या मित्र उन्हें ताना मारते हैं या रिश्ते की आलोचना करते हैं। इस बाहरी दबाव का असर मानसिक स्थिति पर पड़ता है, जिससे आपसी रिश्ते पर भी प्रभाव पड़ता है।
14. शारीरिक और मानसिक असंतुष्टि
अगर विवाह के बाद साथी एक-दूसरे की शारीरिक और मानसिक ज़रूरतों को नहीं समझते या उन्हें नज़रअंदाज़ करते हैं, तो यह उनके बीच की दूरी को बढ़ा देता है। प्रेम के जिस आकर्षण ने उन्हें जोड़ा है, अगर वही फीका पड़ जाए, तो संबंध कमज़ोर होने लगता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
प्रेम विवाह सफल हो सकता है, बशर्ते कि उसमें सिर्फ़ भावनाएं ही नहीं, बल्कि व्यवहारिक सोच, समझ, धैर्य और आपसी सम्मान भी शामिल हो। विवाह जीवन का एक ऐसा पड़ाव है जहाँ केवल प्रेम काफी नहीं होता, बल्कि ज़िम्मेदारियों को निभाने की समझ, सामंजस्य और त्याग की भी आवश्यकता होती है। यदि प्रेम विवाह करने वाले जोड़े इन पहलुओं को समझें और मिलकर चुनौतियों का सामना करें, तो उनका रिश्ता मज़बूत और सफल हो सकता है।
लेकिन ये सभी बातें हर लव मैरिज पर लागू नहीं होतीं। अगर दोनों पार्टनर मिलकर एक-दूसरे को समझें, संवाद करें, और एक-दूसरे के साथ खड़े रहें, तो रिश्ता मज़बूत भी हो सकता है। अन्यथा लव मैरिज के नुक़सान ही झेलने पड़ते हैं।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रेम विवाह सफल भी हो सकते हैं। कुछ प्रेम विवाह बहुत सफल होते हैं और वे लंबे समय तक चलते हैं। सफल प्रेम विवाह के लिए महत्वपूर्ण है कि दोनों जोड़े एक-दूसरे को प्यार करते हों, एक-दूसरे का सम्मान करते हों, और एक-दूसरे के साथ खुले तौर पर संवाद करें।
(- By Alok Khobragade)
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