RO वाटर प्यूरीफायर क्या होता है, इसका फूल फार्म, , उपयोगिता क्या है, आरओ वाटर फिल्टर का पानी कितना नुकसानदायक, RO वाटर प्यूरीफायर के फायदे और नुकसान (RO water kya hai, RO Water Purifier kya hai in hindi, purpose of water purifier in hindi, RO Water filter ke nuksan)
दोस्तों हमारे पड़ोस में शर्मा जी के घर पड़ोस के शहर से एक परिवार आया हुआ था। हमने देखा कि शाम से ही उन्हें एक चिंता सता रही थी कि आख़िर पीने के पानी का इंतज़ाम कैसे किया जाए। उनका मानना था कि उनकी फैमिली के लोग RO के पानी के अलावा किसी और पानी को पीते ही बीमार पड़ जाते हैं। यानि कि सीधे शब्दों में उनका यह मानना था कि हमारे घरों का पानी बिल्कुल भी पीने लायक नहीं है।
मुझे हैरानी इस बात की थी कि ये वही जनाब थे जिन्होंने अपना बचपन, सारी पढ़ाई लिखाई यहीं से की थी। तब तो उन्हें इस पानी की समस्या नहीं थी। एक ख़ास बात यह भी, कि मेरी जानकारी में पानी के संक्रमण जैसी कोई समस्या हमारे मोहल्ले में आज तक नहीं हुई और ना हि वर्तमान में ऐसा कोई एलर्ट जारी किया गया था। एक जनाब तो जहां भी अपना परिवार लेकर जाते हैं अपने साथ RO का पानी से भरा केन भी साथ लेकर जाते हैं। आख़िर इनके साथ ही यह समस्या क्यूं?
अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो समझिए यह लेख सिर्फ़ आपके लिए ही है। इस लेख में हम इन्हीं कारणों पर चर्चा करने वाले हैं। बस लेख के अंत तक बने रहिएगा। निश्चित रूप से यह लेख आपके लिए दिलचस्प और जानकारी से भरा होने वाला है।
दोस्तों अगर आप लगातार लंबे समय तक आरओ का पानी (RO Water) पीना जारी रखते हैं तो यक़ीन मानिये, आप कुछ दिनों बाद साधारण नल, बोर या घरेलू कुएं का पानी भी नहीं पचा पाएंगे। बल्कि ये भी हो सकता है कि आप उस पानी से बीमार पड़ने लग जाएं जिसे सालों से पीकर आप इतने बड़े हुए हैं।
दरअसल आरओ का पानी प्रदूषित जल को स्वच्छ तो करता है लेकिन उसमें मौजूद प्राकृतिक गुणों से भरपूर तत्वों (जैसे खनिज, मिनरल्स आदि) को भी नष्ट कर देता है। जिस कारण हमारा शरीर उन तत्वों के अभाव में कमज़ोर होने लगता है। परिणामस्वरूप दिल की बीमारी, इंफैक्शन, पाचन क्रिया की गड़बडी, पेट ख़राब होना, हड्डियां कमज़ोर होना, कमज़ोर महसूस करना, सिरदर्द, थकान आदि होने लगती है। यही कारण है कि हम किसी और पानी को पचा पाने में असमर्थ महसूस करने लगते हैं। इतना ही नहीं बल्कि बीमार भी पड़ जाते हैं।
अब से पच्चीस, तीस वर्ष पहले तक ज़्यादातर अमीर वर्ग ही प्यूरीफायर वाटर का प्रयोग करता था, मध्यम वर्गीय परिवारों की सोच से यह परे था। हालांकि RO वाटर प्यूरीफायर ऐसी जगहों के लिए अत्यंत उपयोगी है जहां पर पानी अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है। जहां का पानी भारी है तथा उसमें नुक़सानदायक खनिज तत्व (अयस्क) मिले हुए हैं। ऐसी जगहों के लिए आरओ (RO) ही एकमात्र बेहतर विकल्प साबित होता है। ऐसी जगहों के पानी में मौजूद हानिकारक मिनरल्स से बचने का यही मात्र एक तरीका जान पड़ता है।
लेकिन कुछ सालों में परिस्थितियां इतनी बदल चुकी हैं कि मानो अब RO रखना भी एक "स्टेटस सिम्बल" बन गया है। पिछले कुछ सालों में अधिकांशतः घरों में R.O वाटर प्यूरीफायर का होना अनिवार्य सा हो गया है। ऐसा महसूस होने लगता है मानो आरओ वाटर प्यूरीफायर (RO Water purifier) के बिना आपके मकान की साजो-सज्जा का कोई अर्थ ही नहीं। तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि ये वॉटर प्यूरीफायर क्या होता है (RO Water Purifier kya hota hai?) और यह कैसे काम करता है?
Table of Contents :
RO वॉटर प्यूरीफायर क्या है (What is RO Water Purifier in hindi?)
RO का मतलब होता है Reverse Osmosis, अर्थात दूषित पानी को शुद्ध करने की तकनीक। जिन स्थानों पर अत्यधिक दूषित पानी पाया जाता है। वहां पर RO प्यूरीफायर की आवश्यकता विशेष तौर पर देखी जाती है। आरओ वाटर प्यूरिफायर, पानी से बेड मिनरल्स जैसे- लेड, आर्सेनिक, बेरियम, एल्यूमिनियम आदि नुकसानदायक तत्वों को ख़त्म कर देता है।
जब आरओ प्यूरीफायर (RO Purifier) पानी को प्यूरीफाई करता है तब इस प्रक्रिया में बुरे तत्वों के साथ साथ अच्छे तत्वों का भी सफ़ाया हो जाता है। यानि कि पानी से गुड और बैड दोनो ही मिनरल्स ख़त्म हो जाते हैं। इससे पानी की उपयोगिता के साथ साथ स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। जो लोग कई सालों से लगातार आरओ पानी का सेवन कर रहे हैं, बीच में यदि दूसरा पानी यानि बिना आरओ किया पानी पीते हैं, तो उनके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे दिल की बीमारी, इंफैक्शन, पाचन क्रिया की गड़बडी, कमज़ोरी सिरदर्द पेट ख़राब होना और थकान आदि होने लगती है। साथ ही हड्डियों से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती हैं।
किस तरह का पानी उपयोग कर सकते हैं?
पानी को मिट्टी के घड़े में रखकर, घड़ा ऐसी जगह रखें जहां धूप और हवा बराबर उपलब्ध हो। दरअसल पानी का टीडीएस (TDS) ज़्यादा होने पर घड़ा थोड़े मिनरल्स स्वतः ही बाहर निकाल लेता है और टीडीएस कम होने पर उसमें मिनरल्स पुनः जोड़ भी देता है। धूप और हवा में घड़ा रखने से पानी अच्छी तरह से ऑक्सीजनेट और सेनेटाइज़ भी हो जाता है।
RO की आवश्यकता क्यूं? | RO वाटर प्यूरीफायर का फ़ायदा क्या है?
कई स्थानों पर पानी की जांच करने पर पाया जाता है कि उस पानी में कई तत्व (अयस्क) शामिल होते हैं जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद नुकसानदायक हैं। ऐसे पानी का शुद्धिकरण करने के लिए RO सबसे उपयुक्त साबित होता है। सीधे तौर पर कहा जाए तो इस समय पानी के शुद्धिकरण के लिए कोई दूसरी विधि उतनी प्रभावी और व्यापक रूप से उपयोग नहीं की जाती जितना RO वाटर प्यूरीफिकेशन सिस्टम के द्वारा किया जाता है।
RO वाटर प्यूरीफायर का प्रयोग करने से पानी में मौजूद हानिकारक खनिज तत्व निकल जाते है। और विशेष बात यह है कि यह अशुद्धि दूर करने के लिए RO प्यूरीफायर ही बेहतर साबित होता है। सामान्य फ़िल्टर, पानी से केवल मिट्टी, रंग आदि को ही फ़िल्टर कर पाता है। साधारण वाटर फिल्टर पानी में मौजूद उन लवणों को दूर नहीं कर पाते, जो पानी के अंदर रहकर पानी को भारी बनाते हैं।
स्वाद के मामले में भी RO का पानी सामान्य पानी से बेहतर होता है। यह भी एक कारण है कि लोग RO का पानी पीना बेहतर समझते हैं। इसके अलावा आज के दौर में अपने घरों में आरओ वाटर प्यूरीफायर लगाना स्टेटस सिंबल भी माना जाने लगा है। यह भी एक कारण है कि अब नई पीढ़ी के बच्चे भी बचपन से ही आरओ का पानी पीकर बड़े हो रहे हैं।
पीने के पानी का TDS कितना होना चाहिए?
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि टीडीएस क्या है? TDS यानि कि Total Dissolved Solids अर्थात पानी के अंदर घुले हुए खनिज एवं लवणों का माप होता है। पानी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड, सल्फेट और कार्बोनेíट जैसे तत्व मिले होते हैं। बहुत कम टीडीएस (tds) का मतलब है कि पानी में पर्याप्त खनिज नहीं हैं, और बहुत ज़्यादा टीडीएस (tds) का मतलब है कि पानी में बहुत ज़्यादा खनिज या संदूषण है।
कुल घुलित ठोस (TDS) शब्द का इस्तेमाल पानी में मौजूद अकार्बनिक लवण और कार्बनिक पदार्थों की छोटी मात्रा का मापन करने के लिए किया जाता है। ये लवण पानी में विघटित होकर आयन बनाते हैं इसके दो भाग हैं- एक धनात्मक आवेश एवं दूसरा ऋणात्मक आवेश वाला, जो अलग होकर पानी (H20) के अणुओं के साथ मिल जाते हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार पीने के पानी में TDS, 500mg/litr से कम होना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार TDS, 300mg/litr से कम होना चाहिए। तो वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि 500mg/litr से कम TDS वाला पानी ही पीने योग्य होता है। इसे ज़्यादा वाला पानी पीने योग्य कतई नहीं है। इससे नुकसान हो सकता है। वैसे सामान्य रूप से देखा जाए तो पानी में यदि 300mg/litr से 600mg/litr तक TDS हो तो उसे पीने योग्य माना जा सकता है।
TDS पानी के स्वाद में फ़र्क लाता है। जैसे कम TDS वाला पानी फीका लग सकता है। तो वहीं ज़्यादा TDS वाले पानी का स्वाद खारा व धातु मिला हुआ लग सकता है। कम टीडीएस वाला पानी पीने से हड्डियां कमज़ोर और ज्वाइंट्स में दर्द होना शुरू हो सकता है। और अधिक टीडीएस वाला पानी पीने से पाचन संबंधी समस्या, डिहाइड्रेशन, किडनी में पथरी और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी का TDS 100 से भी कम हो तो उससे प्लास्टिक के कणों के घुलने का ख़तरा हो सकता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सामान्य तौर पर प्लास्टिक बंद बोतलों के पानी का TDS 100mg/lit से कम होता है।
पीने के पानी का टीडीएस (tds) लगभग 65 से 95mg/lit होने के कारण पानी का स्वाद मीठा या पसंदीदा तो हो सकता है। लेकिन इससे कई ज़रूरी मिनरल्स भी ख़त्म हो चुके होते हैं जो हमारे शरीर के लिए ज़रूरी व फ़ायदेमंद होते हैं।
क्या है RO Water Purifier का सच
देश-विदेश की कंपनियों ने इसका बिज़नेस इतने धड़ल्ले से किया है कि अब शहर तो क्या, गाँव भी इनसे नहीं बच पाया है। जिस देश में कभी पानी बिकने की कल्पना तक नहीं जा सकती थी, आज उस देश में पानी भी बेचा जाता है। मशीनों के लिए प्रयोग होने वाला RO वाटर आज प्रत्येक घरों में पहुँच चुका है। वैसे भी आजकल कंपनियों के ऑफ़र और विज्ञापन इतने प्रभावशाली होते हैं कि उन्हें देखकर RO प्यूरीफायर लगाने की एक होड़ सी लग जाती है। शायद लोगों की ऐसी मानसिकता भी बन चुकी है कि 'हम RO Water पीएंगे तो बीमार नहीं होंगे।" आइए इसके बारे में निम्न बिंदुओं पर ध्यान देते हैं।
• पानी के अन्दर बहुत सारे मिनरल्स होते हैं लेकिन जब इनको काटरेज फ़िल्टर से पास किया जाता है तो बहुत सारे मिनरल्स ख़त्म हो जाते हैं। इसकी एक समस्या यह भी है कि 1 लीटर RO का पानी बनाने के लिए 2 लीटर पानी का प्रयोग किया जाता है। यानि कि आरओ पानी बनाने के लिए 50% पानी बर्बाद (Waste) हो जाता है।
• सामान्यतः मानव के लिए 7 से 7.5 PH, 200 से 300 TDS, 50 Hardness value का पानी पीना सही होता है। लेकिन जहाँ पर सप्लाई का पानी, बोर का पानी या घर के कुएं का पानी ही 200 से 500 TDS ke बीच में हो, और बाकी के मानकों को यह पानी पूर्ण कर रहा हो तो ऐसी परिस्थिति में वहां RO का भला क्या काम है?
• कोई भी RO Water Purifier पानी की क्वालिटी मेन्टेन करने का दावा नहीं करता है। सिर्फ़ आपको साफ़ पानी देता है और तो और जो बोतलों में पानी मिलता है उनकी TDS लगभग 10 के आसपास होती है और हां, उसमें पानी की PH बढ़ाने के लिए व मिनरल्स को मेन्टेन रखने के लिए केमिकल मिलाया जाता है।
• जब भी आप बाहर का या नल का या कुएं का पानी पीते है। कुछ ही दिनों में आपके पेट में दर्द होने लग जाता है क्योंकि आपके सिस्टम को RO पानी की आदत पड़ चुकी है। ऐसे लोगों की बातों पर विश्वास किया जाए तो लगता है अब गांव या छोटे शहरों में पीने लायक पानी बचा ही नहीं है।
• आप 90% लोंगों से पूछिए, यहाँ तक कि जो RO water purifier बेचने का काम करते हैं। उन्हें भी पूर्ण जानकारी नहीं होती है कि पानी की गुणवत्ता क्या होती है। यह जान लीजिए कि पड़ोसी के घर RO है तो हमारे यहाँ क्यों नहीं। आजकल झूठे विज्ञापनों के प्रचार व भेड़चाल में पड़कर भी लोग बिना सोचे समझे RO water purifier का प्रयोग करते जा रहे हैं?
• शहर की बात जाने दीजिये अब तो गाँव में भी RO पहुँच गया है और हम पूरी तरह RO पर निर्भर होते जा रहें हैं। उनसे यदि आप इसे पीने को वजह या उसकी क्वालिटी के बारे में पूछेंगे तो शायद ही उनके पास कोई संतोषप्रद जवाब होगा। उन्होंने इस बात की जानकारी भी नहीं ली होगी कि जिन मशीनों को उन्होंने लगवाया है, उसमें पानी की क्वॉलिटी संतोषप्रद है भी या नहीं। TDS और PH मान सही है या नहीं।
किस तरह का पानी है लाभदायक?
सबसे बेहतरीन पानी बारिश का होता है। आप अपने घर में पानी का टैंक बनवाएं और बारिश के दिनों में अपनी छत पर लकड़ी का कोयला व चूने को डाल दें जिससे पानी कोयले व चूने से छनकर आप के टैंक में आए। यह पानी साल भर ख़राब नहीं होगा। इस पानी को आप साल भर पीएंगे तब भी आपको पेट की बीमारी नहीं होगी।
आवश्यकता होने पर कभी-कभी थोड़ी मात्रा में लाल दवा (पोटेशियम परमैग्नेट) या फिटकरी का प्रयोग कर लें अन्यथा उसकी भी ज़रूरत नहीं है। राजस्थान में जहाँ पर पानी की बहुत अधिक कमी है इसी तरह जल के भंडार को सुरक्षित रखकर प्रयोग किया जाता है। वहां कोई RO का पानी नहीं पीता है।
बारिश के पानी के बाद ग्लेशियर से निकली हुई नदियों का पानी होता है जिसमें विशिष्ट गुणवत्ता को पूर्ण करने वाले अधिकतम खनिज तत्व पाए जाते हैं।
नदियों के जल के बाद तालाब का पानी जिसमें साफ़ बारिश का जल एकत्रित होता। लेकिन शर्त यही है कि उसमें गंदगी या जानवर कहलाने का कार्य न किया जाता हो।
फिर कुएँ का पानी जिसका संबंध बारिश के दिनों में पानी के जलस्तर बढ़ने व घटने से होता है। लेकिन कुएं की सफ़ाई बारिश से पहले, गर्मियों के दिनों में कर दिया जाए तो, इसका पानी बेशक पीने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
कुएं के पानी के बाद सप्लाई का पानी जिसे साफ़ करके, गुणवत्ता की जाँच-पड़ताल के बाद भेजा जाता है। और पीने योग्य होने पर ही पीने की इजाज़त दी जाती है।
सप्लाई के पानी के बाद सबसे ख़राब पानी RO का है जिसमें कभी भी शरीर के लिए आवश्यक खनिज तत्व नहीं मिलते हैं। इसका इस्तेमाल करने के बाद आपको उन खनिज तत्त्वों की सख़्त आवश्यकता होती है जिन्हें आपने RO पानी के कारण खो दिया है।
RO वाटर प्यूरीफायर के नुकसान (Disadvantages of RO Water Purifier in hindi)
मुख्यतः दो कारणों से RO द्वारा शुद्ध पानी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है -
(1) RO वाटर प्यूरीफायर के द्वारा शुद्धिकरण के दौरान पानी से सभी आवश्यक तथा गुणकारी तत्व नष्ट हो जाते हैं। जब RO प्यूरीफायर पानी को साफ़ करता है तो वो बुरे मिनरल्स के साथ ही अच्छे मिनरल्स को भी बाहर निकाल देता है। अच्छे मिनरल जैसे- कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि तथा बुरे मिनरल लेड, आर्सेनिक, मरकरी आदि होते है। आरओ पानी के लगातार उपयोग से आवश्यक मिनरल्स हमारे शरीर को नहीं मिल पाते जिस कारण शरीर में इन तत्वों की कमी हो सकती है।
2. आरओ सिस्टम (RO System) पानी के पीएच (PH) स्तर को भी कम करता है।
वैसे साधारण तौर पर देखा जाए तो केवल पानी ही lo आवश्यक खनिजों का एकमात्र स्रोत नहीं है। कई खाद्य पदार्थों में कैल्शियम और मैग्नीशियम होता है। आप अपने शरीर में इन खनिजों के उचित संतुलन को बनाए रखने के लिए इन खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
आप स्वस्थ रहने के लिए आरओ से फिल्टर पानी पीते हैं ताकि अशुद्ध पानी से आप कहीं बीमारी न पड़ जाएं। लेकिन सच्चाई कुछ और है। आरओ प्यूरीफायर पानी से गंदगी को हटाने के साथ साथ उसमें घुले उपयोगी तत्वों को भी नष्ट कर देता है। विशेषज्ञों का भी साफ़ साफ़ कहना है कि आरओ का पानी अगर कुछ बीमारियों से दूर रखता है तो कई तरह की बीमारियां होने का कारण भी बनता है। सीधे शब्दों में कहें तो आरओ का पानी (RO ka pani) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
WHO ने भी साफ-साफ दी थी चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी आरओ फिल्टर (RO Filter) के उपयोग के खिलाफ़ चेतावनी दी है। डब्ल्यूएचओ ने 2019 में í था, "आरओ मशीनें पानी को साफ करने में बहुत प्रभावी हैं, लेकिन वे कैल्शियम और मैग्नीशियम को भी हटा देती हैं, जो शरीरिक ऊर्जा के लिए बहुत ज़रूरी हैं। इसलिए, लंबे समय तक आरओ का पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।"
निसंदेह आरओ वाटर प्यूरीफायर पानी में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, रोगाणुओं और विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करता है, लेकिन हमें आवश्यक खनिजों से वंचित होने की भारी क़ीमत भी चुकानी पड़ती है।
एक स्टडी से भी पता चला है कि ऐसे लोग जो लंबे समय से आरओ वाटर का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें गठिया, अवसाद, चिड़चिड़ापन, मांसपेशियों में थकान, याददाश्त में कमी, शरीर में दर्द, हड्डियों में कमज़ोरी और बालों के झड़ने जैसी समस्याएं पैदा होने लगी हैं। शायद इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2022 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के एक आदेश के तहत रोक लगा दी थी, जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को सभी आरओ वाटर प्यूरीफायर के निर्माताओं को निर्देश जारी किए गए थे कि वे उन वाटर प्यूरिफायर्स पर प्रतिबंध लगाएं जहां पानी में टीडीएस का स्तर 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है।
निष्कर्ष (Conclusion)
दोस्तों, इसमें कोई दो मत नहीं कि RO पानी में मौजूद अशुद्धि को हटाता है। लेकिन यह भी सच है कि यह पानी में मौजूद लाभकारी तत्वों को भी नष्ट कर देता है। इसलिए जहां तक संभव हो RO का पानी पीने की आदत ना ही बनाएं तो अच्छा है। वर्ना आपके शरीर के लिए किसी और जगह का पानी पचाना कष्टप्रद हो सकता है।
अगर आप किसी ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां पानी को शुद्ध करने की अत्यंत आवश्यकता हो तभी RO के पानी का उपयोग करें। और ध्यान रखें कि RO की वजह से जिन चीज़ों की पूर्ति नहीं हो रही है। अपनी डाइट के माध्यम से उन चीज़ों की पूर्ति करने का भरसक प्रयास करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आपका RO वाटर प्यूरीफायर पीने योग्य पानी के मानकों को यानि कि टीडीएस और पीएच संबंधी मानकों को पूर्ण करता है अथवा नहीं।
घरों में जिस पानी का आप पीने के लिए उपयोग कर रहे हैं, वह पानी साफ-सुथरा होना चाहिए तथा TDS 500 से कम ही होना चाहिए। अगर आपको ऐसा लग रहा है कि पानी उतना संतुष्टप्रद नहीं है। तो इसके लिये पीने के पानी को छानकर स्टील के बर्तन में भरें। इसके बाद उसे अच्छी तरह से उबाल कर ठंडा करके किसी अन्य स्टील या मिट्टी के घडे में पुनः छान लें फिर उस पानी का उपयोग पीने के लिए कर सकते हैं।
आप चाहें तो अपने घरों के पानी की जांच करवा सकते हैं। उनमें यदि हानिकारक तत्व मौजूद नहीं हैं। टीडीएस 500mg/litr से कम है। तो आपको RO वाटर फिल्टर लगाने की इतनी आवश्यकता नहीं है। सामान्य तौर पर उच्च और बहुत अधिक टीडीएस वाले पानी को पीने की सलाह नहीं दी जाती है। उदाहरण के लिए समुद्र के पानी का TDS 25000mg/litr होता है। इसलिए यह पीने योग्य नहीं होता है।
उम्मीद है RO वाटर प्यूरीफायर के बारे में जानकारी से भरा यह लेख आपको ज़रूर पसंद आया होगा। मैं आशा करता हूं कि RO वाटर प्यूरीफायर के नुकसान जानने के बाद अब आप इसका तभी उपयोग करेंगे जब आपके क्षेत्र में पाए जाने वाले पानी में लेड, आर्सेनिक, एल्यूमिनियम, मर्करी जैसे नुकसानदायक खनिज मौजूद हों और टीडीएस भी 500mg/litr से अधिक हो।
(- Written by Alok)
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