ठंड में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल | Taking care of health in cold weather in hindi



दोस्तों, ठंड का मौसम अब धीरे- धीरे पैर पसारने लगा है, ये कहना अतिश्योक्ति ना होगा कि, गुलाबी ठंड का मौसम अब धीरे धीरे कड़ाके की ठंड में तब्दील होने लगा है । ऐसे में अपनी सेहत का ख्याल कैसे रखा जाए बस इसी के बारे में आज का लेख आधारित है। 

वैसे तो इस मौसम का एक अपना ही आनंद है। लेकिन इसी मौलम में, हमें बीमारियाँ जैसे सर्दी ज़ुकाम, बुखार जैसी बीमारियां आसानी से घेर लेती है। ख़ासतौर से छोटे बच्चों के लिए तो मानो ये मौसम बहुत ही समस्याएं खड़ी कर देता है। तो आइये जानते है कि इस मौसम में हम कैसे अपने नन्हें-मुन्नों और बड़ो को स्वस्थ एवं निरोगी रख सकते हैं।

(1) ठंड के गर्म कपड़े ज़रूर पहनाएं और कान को ढक कर रखें

हम अधिकतर गर्म कपड़े पूरे शरीर में पहन तो लेते है लेकिन अपने शरीर के सबसे अहम हिस्से, पैर एवं कान को ढंकना भूल जाते हैं जिसके कारण ठंडी सीधे हमारे शरीर में एवं पैर के तलवे द्वारा सीधे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती है। और ठंड के कारण हमारी नाक बहने लगती है। सरदर्द होने लगता है और पैरों में झुनझुनी आ जाती है । इस तरह से हम सर्दी, ज़ुकाम व बुखार के शिकार हो जाते हैं । इसमें छोटे बच्चे जल्दी चपेट में आते है। अतः अपने शरीर को ढकने के साथ अपने सिर (मस्तक) एवं पैरों का भी ध्यान रखकर ठंड से बचा जा सकता है।

(2) गर्म पानी एवं गर्म खाने का करें प्रयोग

वैसे तो ठंड के मौसम में सभी को गर्म खाना ही अच्छा लगता है लेकिन, इस गरम खाने का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब हम गर्म खाने के साथ, गर्म पानी का भी प्रयोग करें। दोस्तों खाना तो हम गर्म खा लेते हैं लेकिन अधिकतर लोग गर्म खाने के साथ ठंडे पानी का प्रयोग करते है जो कि बिस्कुल ग़लत है। ऐसा करने से हमारी जठराग्नि कमज़ोर पड़ जाती है। हमारी पाचन ग्रंथियां प्रभावित होती हैं। अतः बड़ों से लेकर है बच्चों सभी को गर्म पानी का सेवन कराएँ।
यदि अधिक गर्म नहीं पी पा रहे हैं तो उन्हें रूम टेम्परेचर पर या हल्का कुनकुना पानी पिलाने की आदत डालिये जो बड़े एवं बच्चो सभी के लिए एक हेल्दी आदत है।



(3) नहाने एवं खाने के लिये सही समय का चुनाव करें

ठंड के मौसम में सूर्य उदय एवं सूर्य अस्त का समय परिवर्तित हो जाता है । एवं सूरज की धूप में भी वो गर्मी नहीं रहतीं जिसके कारण ग ग़लत समय पर नहाने एवं खाने से हमारे शरीर पर इसके विपटीत प्रभाव पड़ सकते हैं। ठंड के मौसम में वायु में नमी एवं धूप में कमी महसूस होती है। पाचन तंत्र भी प्रभावित होते है। जिसके कारण यदि नहाने नहाने (स्नान) एवं खाने (भोजन) का सही समय का निर्धारण नहीं हुआ तो हमें पाचन से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए उचित समय का निर्धारण कर सही समय पर स्थान एवं भोजन करें।

(4) सोने का सही रुटीन बनाए

खाने एवं नहाने के समय के साथ ही सोने का भी सही समय होना चाहिये। रात्रि में अधिक देर तक जागने से शरीर में वायु ( वात ) का प्रकोप बढ़ जाता है। जिसके कारण पेट में गैस एवं अफारा की समस्या बढ़ने लगती हैं। यह गैस, कई समस्याओं का कारण बन जाती है। परिणामस्वरूप सिर में दर्द, पाचन संबंधी समस्याएँ ब्लड - प्रेशर (B.P.) यहाँ तक कि हार्ट अटैक जैसी बड़ी समस्या गैस एवं असमय खाने से हो सकती है। इसीलिए अपने डेली - रूटीन का टाइम बनाते हुए सोने के लिए एक निश्चित समय का चुनाव करें।

(5) योगा प्राणायाम अभ्यास ज़रूर करें

ठंड के मौसम में ठंड का बहाना कर के अधिकतर लोग अपना अधिकतर समय बिस्तर पर गुजरते हैं। जिसके कारण सही समय पर नहीं उठ पाते। वो अपनी लाइफ का महत्वपूर्ण कार्य जो कि योगा प्राणायाम है नहीं कर पाते जिसके कारण health से related issue हो जाते हैं। फ़िर उन्हें न चाहते हुए भी डाक्टर की रंग-बिरंगी बड़ी-बड़ी मोटी-मोटी केप्सूल एवं गोलियाँ खानी पड़ती है। इन सबसे बचाव का एक ही तरीक़ा है योगा प्राणायाम। आज की दौड़-भाग भरी ज़िन्दगी में वहीं व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है जो योगा प्राणायाम के महत्व को समझता है।



(6) अधिक ठंड में निकलने से बचें

छोटे बच्चों एवं बुजुर्गों बुज़ुर्गों को यह सत्साह दी जाती है कि अधिक ठंड में बाहर न निकला जाएं क्योंकि बाहर की सर्द हवाएं उनके स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं होती है जो वे बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। जिस कारण उन्हें मांसपेशियों में जकड़न, सूजन एवं तनाव की समस्या का सामना कर पड़ सकता है। जिससे उनकी इम्यूनिटी पावर (प्रतिरोधक क्षमता) पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है अतः ध्यान रखें कि बच्चे एवं बुजुर्गों को अत्यधिक ठंड के मौसम में न निकलने दें।

(7) अत्यधिक बासी भोजन खाने से बचें

ठंड के मौसम में पाचन की गति धीमी हो जाती है हमारे पेट में गये भोजन को पचने में औसत से अधिक समय लग जाता है। पकाए हुए भोजन की मात्रा शेष रहने के कारण
फ्रीज में रखकर अधिक समय तक स्टोर करने से बचें। अधिक समय का पुराना भोजन यानि कि बासी भोजन करने से बचें।

(8) चाय एवं कॉफी की जगह काढ़े व ग्रीन टी का प्रयोग करें

ठंड के मौसम में तो मानो दूध, जूस, शरबत व पानी की जगह चाय की खपत बढ़ जाती है लोग न जाने कितनी ही बार चाय का सेवन कर जाते हैं। कहीं स्कूल में बैठे बैठे पढ़ाते हुए तो कहीं दफ्तरों में काम करते करते। यूं कहिए कि चाय की दोहटी खपत बढ़ जाती है। चाय की दुकानों व टी स्टॉलों पर तो मानो ग्राहकों का तांता सा लग जाता है।
जबकि आयुर्वेद की माना जाए तो यह गलत है हमें उठते ही पेट में चाय जैसी विषैली चीज़ डालने से बेहतर है काढ़े या ग्रीन टी का प्रयोग करना चाहिये। जिसमे अदरक, तुलसी, लौंग एवं दालचीनी जैसी महत्वपूर्ण औषधियों का प्रयोग करना चाहिये।

(9) रात्रि के समय हल्का एवं सुपाच्य भोजन करें

रात्रि के समय अधिकतर लोग तला भुना, oily और spicy खाने का सेवन करते है जो कि स्वास्थ्य के नियमों के बिल्कुल विरुद्ध है। रात्रि के समय हमें हमेशा हल्का एवं सुपाच्य भोजन ही करना चाहिये। चाहे मौसम कोई भी हो।
दरअसल रात्रि के समय पाचन तंत्र कमज़ोर एवं धीरे-धीरे काम करता है। जिस कारण हमे अपच एवं बदहज़मी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सुबह हमें गैस व हाज़मे वाली गोली का सेवन करना होता है।

(10) मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से बचें

अत्यधिक मोबाइल के प्रयोग से इंसान का ध्यान एक ही जगह स्थिर रहता है। जिस कारण कोई शारीरिक गतिविधि भी नहीं होती है। हमें बैचेनी, घबराहट एवं आलस्य का सामना करना पड़ता है। साथ ही कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
(- By Poonam)


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