ज़्यदा प्रोटीन लेने से क्या नुक़सान हैं, शरीर में प्रोटीन की अधिकता से क्या होता है, (Zyada protein lene se kya nuksan hain, Protein ki adhikta se kya nuksan hote hain
दोस्तों, प्रोटीन का चलन (trend) हाल के वर्षों में काफ़ी बढ़ा है, ख़ासतौर पर फिटनेस, स्वास्थ्य और न्यूट्रिशन के क्षेत्र में प्रोटीन का बोलबाला बढ़ा है। इसका मुख्य कारण लोगों में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता, मांसपेशियों को मज़बूत बनाने की चाहत और संतुलित आहार की ज़रूरत है।
प्रोटीन मसल्स बनाने में अहम भूमिका निभाता है। यह मसल्स के टिश्यू की मरम्मत और रखरखाव में मदद करता है। शरीर की आवश्यकता से कम प्रोटीन लेने से मांसपेशिया कमज़ोर पड़ती है। लेकिन रोज़ाना एक्सरसाइज़ करने वाला व्यक्ति अगर द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के मानक से ज़्यादा प्रोटीन लेता है तो उसके शरीर की ताक़त बढ़ेगी और बदन गठीला बनेगा।
द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के मुताबिक एक सामान्य वयस्क व्यक्ति को उसके शरीर के प्रति किलोग्राम पर 0.8 ग्राम प्रोटीन लेना ज़रूरी होता है। लेकिन मसल्स बनाने वाले व्यक्ति को इससे अधिक प्रोटीन लेने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक रिपोर्ट बताती है कि अपनी कैलोरी का 10 से 35% हिस्सा प्रोटीन से प्राप्त करना पर्याप्त है।
अक़्सर देखा जाता है कि कम समय में अधिक वज़न घटाने या बॉडीबिल्डिंग के चक्कर में लोग हाई प्रोटीन डाइट लेने शुरू कर देते हैं। अगर आप भी ऐसा ही कुछ कर रहे हैं, तो हम बता दें कि यह सीधे तौर पर सेहत से खिलवाड़ करने जैसा है। इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि. ज़्यादा प्रोटीन लेने के नुक़सान (jyada protein lene ke nuksan) क्या हो सकते हैं
प्रोटीन चलन के कुछ प्रमुख पहलू :
प्रोटीन के चलन के कुछ प्रमुख पहलू निम्न हैं -
1. हाई-प्रोटीन डाइट का बढ़ता चलन–
लोग अब प्रोटीन-युक्त आहार जैसे चिकन, अंडे, सोया, पनीर, दालें और नट्स को प्राथमिकता दे रहे हैं।
2. प्रोटीन सप्लीमेंट्स का बढ़ता उपयोग–
जिम जाने वाले लोग और एथलीट Whey Protein, Plant-based Protein और Casein जैसे सप्लीमेंट्स ज़्यादा ले रहे हैं।
3. वेगन और प्लांट-बेस्ड प्रोटीन का चलन–शाकाहारी और वीगन लाइफस्टाइल अपनाने वाले लोग मटर प्रोटीन, सोया प्रोटीन और चिया सीड्स जैसे विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं।
4. फूड इंडस्ट्री में प्रोटीन युक्त उत्पादों की बढ़ती मांग-
अब हाई-प्रोटीन स्नैक्स, बार्स, ब्रेड और यहां तक कि प्रोटीन-फोर्टिफाइड दूध और दही भी बाज़ार में उपलब्ध हैं।
5. वज़न घटाने और हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए प्रोटीन–
कई लोग हाई-प्रोटीन और लो-कार्ब डाइट को वेट लॉस के लिए फॉलो कर रहे हैं, जैसे कि Keto और Paleo डाइट।
क्या यह चलन सही है?
अगर सही मात्रा में लिया जाए, तो प्रोटीन मांसपेशियों के निर्माण, इम्यून सिस्टम को मज़बूत करने और मेटाबॉलिज्म को तेज़ करने में मदद करता है। लेकिन अत्यधिक प्रोटीन का सेवन (ख़ासकर सप्लीमेंट्स के ज़रिए) किडनी और लीवर पर असर डाल सकता है। इसलिए संतुलित मात्रा में प्रोटीन लेना ज़रूरी है।
दोस्तों, प्रोटीन हमारे शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है, जो मांसपेशियों के निर्माण, ऊतकों की मरम्मत, एंजाइम और हार्मोन के उत्पादन में मदद करता है। हालांकि, जब हम आवश्यकता से अधिक प्रोटीन का सेवन करते हैं, तो यह शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आजकल हाई-प्रोटीन डाइट, जैसे कि कीटो डाइट और पैलियो डाइट, काफ़ी लोकप्रिय हो गई हैं। लेकिन बिना उचित जानकारी के अत्यधिक प्रोटीन लेने से कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
ज़्यादा प्रोटीन लेने से होने वाले नुक़सान (Zyada protein lene se hone wale nuksan)
अधिक प्रोटीन का सेवन करने से कई तरह के स्वास्थ्य संबंधी नुक़सान हो सकते हैं जो कि निम्नलिखित हैं -
1. किडनी पर प्रभाव
अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। किडनी का मुख्य कार्य शरीर से विषाक्त पदार्थों को छानकर बाहर निकालना होता है, और जब प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जाती है, तो किडनी को नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट (जैसे यूरिया) को निकालने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस तरह ज़्यादा प्रोटीन का सेवन किडनी पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है।
किसी व्यक्ति को यदि पहले से ही किडनी से जुड़ी कोई समस्या है, तो अत्यधिक प्रोटीन उनके लिए हानिकारक हो सकता है और किडनी फेलियर का ख़तरा बढ़ सकता है। क्योंकि अत्यधिक प्रोटीन किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है।
वहीं, किडनी में प्रोटीन जमा हो जाने से पेट के अंदर ज्यादा एसिडिक एनवायरनमेंट बन जाता है, जिसके चलते आपको बार-बार यूरिन आना या किडनी स्टोन यानि पथरी से भी जूझना पड़ सकता है।
2. डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) की समस्या
ज़्यादा प्रोटीन लेने से शरीर को अतिरिक्त नाइट्रोजन को बाहर निकालने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति प्रोटीन लेने के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पी रहा है, तो इससे डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) हो सकती है। पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से व्यक्ति को सिरदर्द, कमज़ोरी, चक्कर आना और मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या हो सकती है।
3. हड्डियों की कमज़ोरी
कुछ शोध यह बताते हैं कि अत्यधिक प्रोटीन, विशेष रूप से जानवरों से प्राप्त प्रोटीन के सेवन से, शरीर में कैल्शियम का स्तर प्रभावित हो सकता है। जिससे हड्डियां कमज़ोर हो सकती हैं। हाई प्रोटीन के चलते यूरिन के रास्ते कैल्शियम शरीर के बाहर निकलने लगता है।
दरअसल शरीर एसिड-बेस बैलेंस को बनाए रखने के लिए हड्डियों से कैल्शियम खींच लेता है। ऐसे में ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी की कमज़ोरी) का ख़तरा बढ़ सकता है।। सामान्य तौर पर देखा जाए तो जो लोग हाई प्रोटीन डाइट लेते हैं उनकी हड्डियां काफ़ी कमज़ोर पाई जाती हैं।
4. वज़न या मोटापा बढ़ना
हालांकि प्रोटीन वज़न घटाने में मदद कर सकता , लेकिन यदि कोई व्यक्ति अपनी आवश्यकता से अधिक प्रोटीन का सेवन कर रहा है, तो यह अतिरिक्त कैलोरी के रूप में जमा हो सकता है। विशेष रूप से, अगर प्रोटीन स्रोत में वसा (fat) की मात्रा अधिक है (जैसे रेड मीट, फुल फैट डेयरी उत्पाद), तो इससे मोटापा बढ़ने का ख़तरा बना रहता है।
आज के समय में अधिकतर लोग बॉडीबिल्डिंग या तेज़ी से वज़न घटाने के चक्कर में ज़रूरत से ज़्यादा प्रोटीन का सेवन कर रहे हैं, जिस कारण प्रोटीन के साथ ही कैलोरी भी बढ़ जाती है। ऐसे में एक्सरसाइज में ज़रा सी भी ढिलाई होने पर शरीर में मौजूद प्रोटीन की अधिकता फैट (वसा) की तरह स्टोर होने लगती है। शरीर में मौजूद प्रोटीन का यूटिलाइज नहीं हो पाता है और वज़न घटने के बजाय बढ़ने लगता है।
5. हृदय रोग का ख़तरा
ज़्यादा प्रोटीन का सेवन करने वाले लोग अक़्सर रेड मीट प्रोसेस्ड मीट या हाई-फैट डेयरी उत्पादों पर निर्भर रहते हैं जिनसे कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के साथ-साथ हृदय रोगों का ख़तरा बढ़ सकता है।
फैट डेयरी, जिनमें सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और हृदय रोग (हार्ट अटैक, स्ट्रोक) का ख़तरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि ज़्यादा प्रोटीन वाले आहार से ख़राब कोलेस्ट्रॉल (LDL) का स्तर भी बढ़ सकता है।
बहुत अधिक प्रोटीन नसों में प्लाक के निर्माण का कारण बनता है, ये प्लाक धीरे-धीरे नसों के अंदरूनी हिस्सों में जमकर ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करने लगता है जो हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर और स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है।
6. लीवर पर असर
लीवर शरीर से टॉक्सिन्स को निकालने और पोषक तत्वों को मेटाबोलाइज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब ज़्यादा मात्रा में प्रोटीन खाया जाता है, तो लीवर पर अधिक दबाव पड़ता है, ख़ासकर उन लोगों के लिए जो पहले से लीवर से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त हैं।
7. पाचन संबंधी समस्याएं
अगर कोई व्यक्ति बहुत अधिक प्रोटीन ले रहा है, लेकिन फाइबर युक्त आहार (जैसे फल, सब्ज़ियां और साबुत अनाज) नहीं खा रहा है, तो इससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इनमें कब्ज़, एसिडिटी और अपच शामिल हैं। ख़ासतौर पर हाई-प्रोटीन, लो-कार्ब डाइट लेने वाले लोगों में ये समस्याएं अधिक देखी जाती हैं।
8. कैंसर का ख़तरा
कुछ शोध बताते हैं कि अत्यधिक मात्रा में एनिमल प्रोटीन (जैसे रेड मीट) का सेवन करने से कैंसर, विशेष रूप से कोलन कैंसर (आंत का कैंसर) का ख़तरा बढ़ सकता है। इसका कारण यह हो सकता है कि रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर में सूजन और कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि को बढ़ावा दे सकते हैं।
9. शरीर की अम्लीयता बढ़ना
जब हम ज़्यादा मात्रा में प्रोटीन लेते हैं, तो शरीर में अम्लीयता (Acidosis) बढ़ सकती है, जिससे शरीर का पीएच बैलेंस बिगड़ सकता है। इससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे थकान, सिरदर्द, हड्डियों की कमज़ोरी और पाचन संबंधी दिक्कतें।
10. सांस की बदबू (Bad Breath)
हाई-प्रोटीन, लो-कार्ब डाइट लेने से शरीर में केटोसिस की प्रक्रिया शुरू हो सकती है, जिससे सांस की बदबू होने लगती है। यह बदबू तब आती है जब शरीर कार्बोहाइड्रेट की जगह वसा और प्रोटीन को एनर्जी के लिए जलाने लगता है।
कितना प्रोटीन लेना सही है? | कुछ खास श्रेणियों के लिए सुझाव
प्रोटीन की मात्रा व्यक्ति की उम्र, वज़न, शारीरिक गतिविधि और उसके स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है। आइए जानते हैं कि अलग अलग गतिविधि में लगे हुए लोगों के लिए कितना प्रोटीन लेना आवश्यक होता है।
सामान्य व्यक्ति के लिए : सामान्यतः एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रति किलोग्राम शरीर के वज़न के अनुसार 0.8 से 1 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
सामान्य शारीरिक गतिविधि करने वाले के लिए : ऐसे लोग जो सामान्य गतिविधि करते है उन्हें 1.0 ग्राम प्रति किलोग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
एथलीट और बॉडीबिल्डर के लिए : ऐसे लोग जो एथलीट हैं या बॉडी बिल्डिंग करते हैं उन्हें 1.2–2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए : ऐसी महिलाएं जो गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं उन्हें 1.1-1.3 ग्राम प्रति किलोग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
संतुलित आहार का महत्व :
प्रोटीन हमारे शरीर के लिए जरूरी है, लेकिन इसका संतुलित मात्रा में सेवन करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अपने आहार में संतुलन बनाए रखने के लिए हमें प्रोटीन के साथ-साथ फाइबर, विटामिन, मिनरल्स और हेल्दी फैट्स का भी ध्यान रखना चाहिए।
कुछ हेल्दी प्रोटीन स्रोत
शाकाहारी : दालें, सोया, टोफू, नट्स, बीज, हरी सब्ज़ियां
मांसाहारी : अंडे, मछली, चिकन, कम वसा वाला दूध और पनीर
Disclaimer : आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से ज़रूर परामर्श करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
प्रोटीन का अधिक सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है, ख़ासकर जब इसे असंतुलित मात्रा में लिया जाता है। यह किडनी, हृदय, लीवर, हड्डियों और पाचन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, किसी भी डाइट को अपनाने से पहले पोषण विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है। संतुलित आहार और पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर हम अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।
प्रोटीन ज़रूरी पोषक तत्व है, लेकिन इसे संतुलित मात्रा में लेना चाहिए। औसतन, एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रति किलोग्राम शरीर के वज़न पर 0.8-1.2 ग्राम प्रोटीन पर्याप्त होता है। एथलीट्स और बॉडीबिल्डर्स को थोड़ी ज़्यादा मात्रा की ज़रूरत होती है, लेकिन अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए। अगर आप हाई-प्रोटीन डाइट ले रहे हैं, तो पर्याप्त पानी पीएं और संतुलित आहार का ध्यान रखें।
प्रोटीन बॉडी के लिए बेहद ज़रूरी न्यूट्रिशन में से एक है, इसलिए इसे हमेशा डाइट में शामिल करने की सलाह दी जाती है। ये मांसपेशियों की ग्रोथ से लेकर वेट लॉस और हार्मोन रेगुलेट को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी है। प्रोटीन दरअसल अमीनो एसिड का कॉम्पोनेंट है जो बॉडी में ब्रेकडाउन होते ही मसल मास को फ्यूल देता है और मेटाबॉलिज्म को बेहतर रखता है।
"- By Alok Khobragade"
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