अगरबत्ती से घर महके या स्वास्थ्य बहके | Dhoopbatti ke nuksan in hindi

क्या अगरबत्ती जलाने से नुक़सान होता है? | Disadvantages of incense sticks in hindi




दोस्तों आज हम जिस topic पर बात करने जा रहे हैं। वो थोड़ा धार्मिकता से जुड़ा है। इसलिए हम यहां पहले ही स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि लेख का संबंध किसी धर्म विशेष को आहत करने से नहीं है। ये रिसर्च एवं केज स्टडी के अनुसार निकाला गया निष्कर्ष है। जिसे हमें आज नहीं तो कल समझना ही होगा। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि अगरबत्ती जलाने से क्या नुक़सान है? (agarbatti jalane se kya nuksan hain?) तो चलिए लेख की शुरुआत करते हैं।

दोस्तों हमारे घरों में या यूं कहा जाए कि पूरे भारत वर्ष में प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में सुख शांति और एक सकारात्मक ऊर्जा के लिए पूरे तन मन से पूजा पाठ करता है। इस पूजापाठ में वो विशेष तौर पर विशेष प्रकार की सुगंधित अगरबत्तियों का प्रयोग करता है एवं मन ही मन बहुत प्रसन्न होता है। आजकल तो एकदम ट्रेंडिंग फ़ैशन चल रहा है। बड़े बड़े अभिनेता और अभिनेत्रियां भी किसी न किसी अगरबत्ती का विज्ञापन करते नज़र आते हैं।

कुछ समय पहले लोग दीपक, लुभान या धूप बत्ती का प्रयोग किया करते थे। आजकल अगरबत्तियों में बहुत कुछ हानिकारक केमिकल मिलाए जाते हैं। जो अत्यधिक विषैले होते हैं। फ़रीदाबाद के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल नेक्रोलोजिस्ट बताते हैं कि अगरबत्तियों से निकलने वाला विषैला एवं केमिकल युक्त धुंआ आपके फेफड़ों (lungs) में पहुंचकर आपको विभिन्न रोगों से ग्रसित कर सकता है।  अधिक समय तक धुंए के इर्द गिर्द रहने या संपर्क में रहने से अगरबत्ती में पाए जाने वाला हाइड्रोकार्बन, फेफड़ों में एकत्रित होकर ब्लड तक पहुंच सकते हैं।

जिससे गंभीर बीमारियां जैसे हार्ट से रिलेटेड किडनी, कैंसर आदि के साथ-साथ ब्रेन से संबंधित बीमारी जैसे ब्रेन डैमेज भी हो सकता है। इतना ही नहीं इन ख़ुशबूदार अगरबत्तियों से ब्रोकाइटिस, वोकल कार्ड, श्वसन से संबंधित परेशानी, फेफड़े और युरिन एरिया में कैंसर जैसी भयावह स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। यहां तक कि अगरबत्ती और धूपबत्ती से निकलने वाला विषैला धुंआ पूरे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। यहां तक कि इससे निकलने वाला धुंआ, बीड़ी सिगरेट के धुंए से भी ज़्यादा हार्मफुल है।



बीमारियों को न्यौता देती अगरबत्तियों की महक




एक शोध में कोलकात्ता के 'नेताजी सुभाचन्द्र बोस कैंसर अस्पताल' की जांच के अनुसार यह बताया गया है कि ये सुगंधित महक कैंसर का कारण हो सकती है। आख़िर ये अगरबत्ती के नुक़सान (agarbatti ke nuksan) इतने भयावह क्यों हैं? आइए जानते हैं।

दरअसल अगरबत्ती को सुगंधित एवं मोहक बनाने के लिए कार्बन कणों का प्रयोग किया जाता है। और जैसे ही किसी सुगंधित अगरबत्ती को पैकेट से निकालकर जलाया जाता है तो धुंए के रूप में कार्बन डाइआक्साइड(CO2) उत्सर्जित होकर वातावरण में फैल जाता है। जो फेफड़ों एवं श्वासनली में संक्रमण फैलाता है। जिसके परिणामस्वरूप यूरिनरी ब्लैडर प्रभावित होता है। 

धुंए के लगातार संपर्क में रहकर, धुंए में मौजूद कार्बन मोनोआक्साइड ग्रहण करने से सांस की नली कैंसर की बीमारी की गिरफ़्त में आ सकती है। जिससे खांसी की परेशानी शुरू हो सकती है। जब खांसी बढ़ती है तो खांसी के साथ ख़ून भी आ सकता है। या संक्रमण और अधिक हो जाए तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

हम तो बस यही कहना चाहते हैं कि साधारण तौर पर हर ख़ुशबूदार चीज़ में कोई न कोई केमिकल युक्त पदार्थ ज़रूर मिला होता है। इसलिए अगरबत्ती से होने वाले नुक़सान (agarbatti se hone wale nuksan) से बचने की पूरी कोशिश करना चाहिए।

तभी तो आजकल मंदिरों के गर्भगृह में या मन्दिरों के विशेष स्थानों पर अगरबत्ती जलाने की सख़्त मनाही होती है। एवं उसके स्थान पर अगरबत्ती या तो बाहर जलायी जाती है या अगरबत्ती के स्थान पर दीपक, कर्पूर या लुभान जलायी जाती है जिससे वातावरण शुद्ध होता है।


घर में अगरबत्ती क्यों नहीं जलानी चाहिए? | Ghar me agarbatti kyon nahin jalana chahie?

विभिन्न अनुसंधान केंद्रों में हुए शोधों के अनुसार ये सुगंधित अगरबत्ती और धूपबत्ती जो पूरे घर को धुंए से भर देती है। सेहत के लिए बेहद नुक़सानदायक होती है। इनसे निकलने वाला धुंआ इतना अधिक नुक़सानदायक होता है कि यह बीड़ी और सिगरेट के धुएं से भी ज़्यादा विषैला होता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि अगरबत्ती क्यों नहीं जलाना चाहिए? (agarbatti kyon nahin jalana chahie?) 

रिसर्च के अनुसार, इस प्रकार के धुएं से मानव शरीर के सेल्स (कोशिका) के DNA में बदलाव होता है। जिससे मनुष्य को कैंसर तक होने का ख़तरा बढ़ जाता है। वैसे भी मनुष्य के लिए धुंआ, चाहे वह सिगरेट, बीड़ी, अगरबत्ती या चूल्हे में जलने वाली लकड़ियों, कंडों (उपलों) से ही क्यूं न निकल रहा हो, मनुष्य के लिए हानिकारक ही होता है। तभी तो सरकार ने उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर की व्यवस्था की थी।



अगरबत्ती या धूपबत्ती का बेहतरीन विकल्प

आजकल सभी लोग अपने पर्यावरण एवं स्वस्थ जीवन प्रणाली (healthy lifestyle) जीने योग्य वातावरण चाहते हैं। जिसके परिणामस्वरूप सभी स्वास्थ्य वर्धक वस्तुओं का उपयोग करना अधिक ज़रूरी समझते हैं। 

जिसके कारण आज कई तरह के घरेलू उद्योग जिसमें अगरबत्ती घर से बनी हुई, जिसमें केवल उन्हीं वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है जो इको फ्रेंडली हो। इसके अलावा कर्पूर, लुभान एवं दीपक को अपनी पूजा पाठ में शामिल कर सकते हैं। जिससे आपका घर सुगंधित होने के साथ साथ कीटाणु मुक्त भी होगा।

कपूर जिसको अन्य भाषा में नौसादर भी कहा जाता है। इसको जलाने से विशेष प्रकार की सुगंध निकलती है। जिसके कारण वातावरण पूर्ण रूप से शुद्ध एवं वायरस रहित हो जाता है। इसके साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। एवं घर बैक्टीरिया भी बचा रहता है।

इसी प्रकार लुभान को अपनी पूजा पाठ में शामिल करने से भी कई प्रकार की मानसिक व शारीरिक व्याधियों से छुटकारा मिलता है। एवं घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। लुभान की मीठी मीठी सुगंध से मन प्रसन्न होता है।जिससे मानसिक शांति मिलती है। इस प्रकार का उपयोग कई स्थान पर शारीरिक व्याधियों को दूर करने में भी किया जाता है।

जब हम आयुर्वेदिक उपचार करते हैं तो उसमें विशेष दवाइयां एवं लेप के रूप में उपयोग किया जाता है। जब बात हो दीपक जलाने की तो आप घर में ही घी का दिया या आप जिस तेल का इस्तेमाल करना चाहें कर सकते हैं। परन्तु कुछ प्रकार के तेल का प्रयोग दीपक में करने से आपको दुगुना लाभ होता है। जैसे- पूजा में नीम के तेल का उपयोग करते हैं तो आप पूजा अर्चना साथ ही कई तरह की बीमारियों को भी दूर कर रहे होते हैं। 

क्योंकि नीम के तेल का दीपक जलाने से घर का वातावरण शुद्ध व स्वच्छ होता है। साथ ही मच्छर, मख्खी व अन्य हानिकारक संक्रमण फैलाने वाले कीटाणुओं (वायरस) से बचाव होता है। इससे संक्रमण फैलने का ख़तरा कम होता है और हमें वायरस मुक्त माहौल मिलता है।

कपूर का तेल का उपयोग करने से हमारे घर में सुगंधित महक के साथ ही स्वच्छ वातावरण का निर्माण होता है। कपूर के तेल से दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा हमारे घर में वास करती है। साथ ही अन्य कीड़े, मकोड़े या हानिकारक बैक्टीरिया से बचाव होता है।


इसी प्रकार आप कुछ ऐसे घरेलू व आयुर्वेदिक टिप्स अपनाकर अपने घर को स्वच्छ रखने के साथ साथ सुरक्षित भी रख सकते हैं। और अगर फ़िर भी आपको कुछ और अधिक समाधान चाहते हैं तो प्रत्येक रविवार या जब भी आपको अवकाश मिले, आप अपने घर में हवन का आयोजन भी कर सकते हैं।

यक़ीनन हवन करने से सकारात्मक ऊर्जा, पवित्रता एवं शांति मिलेगी एवं यह आपके तन मन को प्रसन्न एवं जीवित कर देगी। प्राचीन समय में हमारे ऋषि मुनि एवं जनसाधारण भी अपने घर में छोटे छोटे यस अथवा हवन का आयोजन किया करते थे। जिसमें परिवार के छोटे बड़े सभी सदस्य एकजुट होकर ईश्वर की आराधना करते थे एवं हवन का कार्यक्रम भी किया करते थे।

हवन करने के लिए आपको किसी बड़े तामझाम की कोई ज़रूरत नहीं है। बस कुछ आम की सूखी लकड़ियां, थोड़ा सा घी एवं मेवा या वह सामग्री जो हवन में प्रयोग की जाती है। उसे लेकर कर सकते हैं। अपनी आवश्यकता के अनुसार केवल आवश्यक वस्तुओं के द्वारा ही हवन कर सकते हैं। हवन के द्वारा जो वातावरण में परिवर्तन होगा वह अवश्य ही देखने और महसूस करने लायक होगा।


अगरबत्ती जलाना शुभ या अशुभ? (agarbatti jalana shubh ya ashubh?)




वास्तुशास्त्र की मानें तो अगरबत्ती को जलाना ठीक नहीं माना जाता है। एक प्रश्व यह उठता है कि हिन्दू धर्म में अगरबत्ती क्यों नहीं जलानी चाहिए? (agarbatti kyon nahin jalani chahie?) तो इनके पीछे इनका एक तर्क भी है कि अगरबत्ती को बांस से बनाया जाता है। और हिन्दू धर्म में वास्तुशास्त्र के हिसाब से बांस को बहुत ही शुभ और ख़ास माना गया है। इसलिए पूजा अर्चना के समय अगरबत्ती जलाना निषेध माना गया है। 

हिन्दू मान्यताओं में कहा जाता है कि बांस को जलाने से भाग्य और वंश का नाश होता है. मान्यताओं में बांस को भाग्यवर्धक और वंश वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसलिए हिन्दू धर्म में बांस से बनी अगरबत्तियों को जलाना निषेध है।

वास्तुशास्त्र के मुताबिक़ बांस जलाने से पितृ दोष लगता है। शास्त्रों के अनुसार धूपबत्ती को जलाने का उल्लेख है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बांस का प्रयोग शुभ कार्यों में जैसे जनेऊ, मुंडन एवं विवाह के मंडप कों तैयार करने के लिए किया जाता है।


पूजा में अगरबत्ती जलाना चाहिए या नहीं? तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगरबत्ती बांस की बनी होती है अत: इसे जलाना शुभ नहीं होता। शास्त्रों में पूजन विधान में कहीं भी अगरबत्ती (agarbatti) का उल्लेख नहीं मिलता। बल्कि सब जगह धुप ही लिखा हुआ मिलता है। अगरबत्ती बांस और केमिकल से बनाई जाती है। जिसका सेहत पर बुरा असर होता है।

अगरबत्ती का चलन तो अभी कुछ वर्षों पहले ही हुआ है और जब से यह शुरू हुआ है तब से कुछ न कुछ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। अतः आप सभी से अनुरोध है कि आप अगरबत्ती के अत्यधिक प्रयोग से बचें। सेहतमंद रहकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखें। साथ ही अपने और अपने आसपास के सम्पूर्ण वातावरण को स्वच्छ एवं सुंदर बनाए रखने का प्रयास करें।

उम्मीद है आपको हमारा यह लेख 'अगरबत्ती जलाने से क्या नुक़सान हैं? | Agarbatti jalane se kya nuksan hain?' अवश्य पसंद आया होगा। अगरबत्ती के बारे में दी गई इस जानकारी को आप अपने दोस्तों से ज़रूर साझा करें।
(- By Poonam)

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