प्लास्टिक की बंद बोतल में पानी पीने के नुक़सान, कितना ख़तरनाक है प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना, प्लास्टिक बोतल से पानी क्यों नहीं पीना चाहिए, (Plastic bottle me pine ke nuksan, plastic ki bottle me pani pine se kya hota hai, how harmful is plastic bottled water for health?)
दोस्तों भारत में आपको जगह जगह पर सड़क किनारे ठेलों या दुकानों पर पानी की प्लास्टिक बोतलें सजी हुई मिल जाती हैं। जब हम कहीं जाते हैं और रास्ते में प्यास लगती है तो सबसे पहले हम यही प्लास्टिक बोतल बंद पानी ख़रीदते हैं। यही हाल आपका भी है। क्यूं, सही कहा न हमने!
दिलचस्प बात तो यह है कि आजकल घर से निकलते समय आप जानबूझकर साथ में घर का पानी रखने से बचते हैं। यही सोचकर कि 'बाहर तो बोतल बंद पानी हर जगह उपलब्ध है।' लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यही प्लास्टिक बोतल का बंद पानी आपकी सेहत के लिए किस हद तक ख़तरनाक साबित हो सकता है।
आप यदि लगातार इस पानी का इस्तेमाल करते हैं तो आगे चलकर इनफर्टिलिटी, अर्ली प्युबर्टी, हॉर्मोनल इम्बैलेंस, लिवर, किडनी और मस्तिष्क पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा शोधों में यह पाया गया है कि प्लास्टिक बोतल का पानी उपयोग करने से विभिन्न प्रकार के संक्रमण और बीमारियों का ख़तरा भी बढ़ सकता है।
दोस्तों, आजकल प्लास्टिक की बंद बोतल का पानी पीना आम बात हो गई है। लोग इसे सुविधाजनक और सुरक्षित मानते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि प्लास्टिक की बंद बोतल में रखा पानी हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए कई मायने में हानिकारक होता है।इस लेख में हम प्लास्टिक की बंद बोतल का पानी पीने के नुक़सान क्या हैं इस पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।
शहरों में रहने वाले युवा छात्र-छात्राएं, रोज़मर्रा के कामकाजी और नौकरीपेशा लोग या यूं कहिए कि ज़्यादातर लोग पीने के लिए प्लास्टिक बोतल वाले पानी का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। ये बोतल वाला पानी 20 रुपए से लेकर 100 रुपए के बीच में मिल जाता है। लेकिन सही मायने में ये प्लास्टिक की बोतलों में बंद पानी मानव स्वास्थ्य से लेकर पर्यावरण के लिए भी कई कारणों से हानिकारक हो सकता है। आइए जानते हैं ये प्रमुख कारण क्या हैं?
प्लास्टिक बोतल में पानी पीने के नुक़सान (Harmful effects of drinking water in plastic bottles in hindi)
प्लास्टिक की बंद बोतल में पानी पीने के नुकसान (plastic ki botal me pani pine ke nuksan) निम्नलिखित हो सकते हैं -
1. सूक्ष्म प्लास्टिक का रिसाव -
प्लास्टिक में कई तरह के रसायन होते हैं जिनके पानी में मिलने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा प्लास्टिक की बोतल से पानी में सूक्ष्म प्लास्टिक कण मिल सकते हैं। ये माइक्रोप्लास्टिक मानव शरीर में लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकते है। इससे सूजन, प्रतिरोधक क्षमता में कमी और हृदय सम्बंधी समस्याओं का जोख़िम बढ़ सकता है। इतना ही नहीं बल्कि ये दीर्घकाल में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
प्लास्टिक में कई तरह के रसायन होते हैं जिनके पानी में मिलने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा प्लास्टिक की बोतल से पानी में सूक्ष्म प्लास्टिक कण मिल सकते हैं। ये माइक्रोप्लास्टिक मानव शरीर में लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकते है। इससे सूजन, प्रतिरोधक क्षमता में कमी और हृदय सम्बंधी समस्याओं का जोख़िम बढ़ सकता है। इतना ही नहीं बल्कि ये दीर्घकाल में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
एक रिसर्च के अनुसार, हर एक लीटर की पानी की बोतल में लगभग 10 प्लास्टिक के कण पाए जाते हैं। ये प्लास्टिक कण इतने ज़्यादा छोटे होते हैं कि आपको आंखों से दिखाई नहीं देते। ऐसे में जब आप यह पानी पीते हैं तो यही प्लास्टिक के कण आपके शरीर में सीधे तौर पर पहुंच जाते हैं, जो कुछ समय के बाद आपके शरीर में गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
2. हानिकारक रसायनों का दुष्प्रभाव -
प्लास्टिक की बोतलों में अक्सर BPA (Bisphenol A) और अन्य हानिकारक रसायन पाए जाते हैं। BPA एक प्रकार का रसायन है जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है। BPA जैसे रसायन शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा को बढ़ाकर विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न कर सकते हैं, जैसे कि प्रजनन संबंधी समस्याएँ, मधुमेह, कैंसर और हार्मोनल विकार आदि।
प्लास्टिक की बोतलों में अक्सर BPA (Bisphenol A) और अन्य हानिकारक रसायन पाए जाते हैं। BPA एक प्रकार का रसायन है जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है। BPA जैसे रसायन शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा को बढ़ाकर विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न कर सकते हैं, जैसे कि प्रजनन संबंधी समस्याएँ, मधुमेह, कैंसर और हार्मोनल विकार आदि।
पानी की बोतलों को लचीली बनाने के लिए उसमें फाथालेट्स (phthalates) का इस्तेमाल किया जाता है। ये भी हमारे शरीर में प्रवेश कर कई बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। ये दिल से जुड़ी बीमारियों या डायबिटीज़ की वजह बन सकते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पानी की बोतल बनाने के लिए जो मैटेरियल यूज़ होता है वह एक पॉलीमर है। यानि कि कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और क्लोराइड से बनकर तैयार होने वाला मैटेरियल। हॉर्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, ज़्यादातर पानी के बोतलों में पॉली कार्बोनेट प्लास्टिक का यूज़ किया जाता है।
3. धूप में हानिकारक पदार्थ का रिसाव -
प्लास्टिक की बोतलों को यदि धूप में रख दिया जाए तो उसमें मौजूद केमिकल्स, तापमान अधिक होने के कारण तेज़ी से पानी में घुलने लगते हैं। आप समझ सकते हैं कि ऐसे में ये मानव स्वास्थ्य के लिए कितने ख़तरनाक साबित हो सकते हैं। यही कारण है कि बोतल के पानी को गाड़ी में, धूप में या गर्म जगहों पर छोड़ना असुरक्षित माना जाता है।
4. शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक -
शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए प्लास्टिक की बोतल का पानी अत्यधिक हानिकारक हो सकता है। गर्भवती महिलाओं के शरीर में BPA जैसे रसायनों का प्रवेश भ्रूण के विकास पर बुरा असर डाल सकता है। वहीं, शिशुओं के लिए ये रसायन मस्तिष्क के विकास और प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए प्लास्टिक की बोतल का पानी अत्यधिक हानिकारक हो सकता है। गर्भवती महिलाओं के शरीर में BPA जैसे रसायनों का प्रवेश भ्रूण के विकास पर बुरा असर डाल सकता है। वहीं, शिशुओं के लिए ये रसायन मस्तिष्क के विकास और प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
5. पर्यावरण पर प्रभाव -
प्लास्टिक की बोतलें पर्यावरण के लिए भी बड़ा ख़तरा हैं। अधिकांश प्लास्टिक की बोतलें रिसाइकिल नहीं की जातीं, जिससे ये कूड़े में फेंकी जाती हैं और समुद्रों में जाकर जल प्रदूषण का कारण बनती हैं। ये बोतलें सैकड़ों सालों तक नष्ट नहीं होतीं और मरीन लाइफ़ को नुक़सान पहुँचाती हैं। मछलियाँ और अन्य समुद्री जीव इन प्लास्टिक के टुकड़ों को खा लेते हैं, जो उनकी मृत्यु का कारण बनते हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक का कचरा ज़मीन की उर्वरता को भी कम करता है और ज़मीनी जीवों के लिए भी घातक होता है।
प्लास्टिक की बोतलें पर्यावरण के लिए भी बड़ा ख़तरा हैं। अधिकांश प्लास्टिक की बोतलें रिसाइकिल नहीं की जातीं, जिससे ये कूड़े में फेंकी जाती हैं और समुद्रों में जाकर जल प्रदूषण का कारण बनती हैं। ये बोतलें सैकड़ों सालों तक नष्ट नहीं होतीं और मरीन लाइफ़ को नुक़सान पहुँचाती हैं। मछलियाँ और अन्य समुद्री जीव इन प्लास्टिक के टुकड़ों को खा लेते हैं, जो उनकी मृत्यु का कारण बनते हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक का कचरा ज़मीन की उर्वरता को भी कम करता है और ज़मीनी जीवों के लिए भी घातक होता है।
6. ऊर्जा और संसाधनों की बर्बादी -
प्लास्टिक की बोतलें बनाने में बहुत सारी ऊर्जा और पानी की खपत होती है। एक अध्ययन के अनुसार, 1 लीटर पानी की प्लास्टिक बोतल बनाने में लगभग 3 लीटर पानी का उपयोग होता है। इस तरह, यह एक बड़ा संसाधन बर्बादी का कारण बनता है। प्लास्टिक की बोतल के उत्पादन में भारी मात्रा में तेल और गैस का भी उपयोग होता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है और ऊर्जा की भी बर्बादी होती है।
प्लास्टिक की बोतलें बनाने में बहुत सारी ऊर्जा और पानी की खपत होती है। एक अध्ययन के अनुसार, 1 लीटर पानी की प्लास्टिक बोतल बनाने में लगभग 3 लीटर पानी का उपयोग होता है। इस तरह, यह एक बड़ा संसाधन बर्बादी का कारण बनता है। प्लास्टिक की बोतल के उत्पादन में भारी मात्रा में तेल और गैस का भी उपयोग होता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है और ऊर्जा की भी बर्बादी होती है।
7. रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर -
बोतल में रखे पानी में बायोफिल्म (biofilm) नामक बैक्टीरिया का एक प्रकार विकसित हो सकता है। ये बैक्टीरिया पानी में ही मौजूद होते हैं और धीरे-धीरे हमारे शरीर में पहुंचकर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करते हैं। इससे हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती जाती है, जिससे व्यक्ति जल्दी बीमार हो सकता है। इसलिए प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना हमें avoid करना चाहिए।
बोतल में रखे पानी में बायोफिल्म (biofilm) नामक बैक्टीरिया का एक प्रकार विकसित हो सकता है। ये बैक्टीरिया पानी में ही मौजूद होते हैं और धीरे-धीरे हमारे शरीर में पहुंचकर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करते हैं। इससे हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती जाती है, जिससे व्यक्ति जल्दी बीमार हो सकता है। इसलिए प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना हमें avoid करना चाहिए।
8. पानी की गुणवत्ता पर प्रभाव -
प्लास्टिक बोतल में बंद पानी को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कई बार यह गुणवत्ता में कमतर होता है। कुछ कम्पनियां पानी के शुद्धिकरण में पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं करतीं, जिससे बोतल का पानी प्रदूषित हो सकता है। इस पानी में बैक्टीरिया, केमिकल्स और दूषित पदार्थ भी हो सकते हैं, जो हमारी सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं। साथ ही, कई बार बोतल का पानी लंबे समय तक रखे रहने से भी इसकी गुणवत्ता ख़राब होने लगती है।
प्लास्टिक बोतल में बंद पानी को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कई बार यह गुणवत्ता में कमतर होता है। कुछ कम्पनियां पानी के शुद्धिकरण में पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं करतीं, जिससे बोतल का पानी प्रदूषित हो सकता है। इस पानी में बैक्टीरिया, केमिकल्स और दूषित पदार्थ भी हो सकते हैं, जो हमारी सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं। साथ ही, कई बार बोतल का पानी लंबे समय तक रखे रहने से भी इसकी गुणवत्ता ख़राब होने लगती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
प्लास्टिक की बंद बोतल का पानी पीना जितना सुविधाजनक लगता है, उतना ही हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए ख़तरनाक है। इसमें मौजूद हानिकारक रसायन हमारे शरीर में जाकर अनेक प्रकार की गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। साथ ही, प्लास्टिक के कचरे से पर्यावरण भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है। इसलिए, हमें प्लास्टिक की बोतलों के उपयोग को कम करके वैकल्पिक साधनों को अपनाना चाहिए, जिससे हमारा स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों ही सुरक्षित रह सकें।
इसके लिए जितना संभव हो, घर से निकलते वक्त अपने साथ स्टेनलेस स्टील, कांच या तांबे की बोतल में पानी भरकर ले जाएं। इससे न केवल प्लास्टिक का उपयोग कम होगा, बल्कि आप स्वच्छ और सुरक्षित पानी भी प्राप्त करेंगे। धूप में रखे हुए प्लास्टिक बोतल के पानी से बचें। पानी को हमेशा सुरक्षित और विश्वसनीय स्रोत से प्राप्त करें।
उम्मीद है प्लास्टिक की बोतल का पानी पीने से क्या होता है? (plastic ki bottle ka pani pine se kya hota hai?) यह लेख पढ़कर आप जान चुके होंगे। हम आशा करते हैं आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में भी प्लास्टिक की बोतलों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में दिलचस्पी लेंगे। और प्लास्टिक की बोतल के पानी का उपयोग कम से कम करेंगे।
"- Written by Alok"
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